नवागढ़ का कोदूराम दलित महाविद्यालय बना मिसाल, परिश्रम और परिणाम दोनों में बेटों से आगे निकलीं बेटियां
लगभग 15 से 20 किलोमीटर साइकिल चलाकर तामझाम से दूर भविष्य की चिंता में सीमित संसाधन में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली बेटियों ने नवागढ़ का मान बढ़ा दिया है। जिस नवागढ़ को पिछड़ा समझकर कमजोर साबित करने का प्रयास किया जाता है, उस नवागढ़ में शिक्षा के प्रति बेटियों की लगन का प्रमाण आंकड़े बोल रहे हैं।

बेमेतरा/नवागढ़ @ patrika. लगभग 15 से 20 किलोमीटर साइकिल चलाकर तामझाम से दूर भविष्य की चिंता में सीमित संसाधन में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली बेटियों ने नवागढ़ का मान बढ़ा दिया है। जिस नवागढ़ को पिछड़ा समझकर कमजोर साबित करने का प्रयास किया जाता है, उस नवागढ़ में शिक्षा के प्रति बेटियों की लगन का प्रमाण आंकड़े बोल रहे हैं। परिश्रम व परिणाम दोनों में लड़कों के मुकाबले लड़कियां बहुत आगे हैं। आलम यह है कि नवागढ़ सहित आसपास के सत्तर फीसदी लड़के तो कॉलेज में एडमिशन के लिए वह अंक नहीं ला पाते जो जरूरी है।
गर्व है कॉलेज को
प्राचार्य डॉ प्रेमलता मिश्रा ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे कॉलेज में लड़कियां अधिक है। 15 से 20 किलोमीटर साइकिल चलाकर सादगी पूर्ण जीवन शैली खेत खलिहान में परिजन के साथ सहभागिता से लेकर कॉलेज की पढ़ाई में अग्रणी लड़कियों को देखकर लगता है कि हम बेहतर कल की ओर अग्रसर हैं। अनुकूल परिणाम अवश्य आएगा।
अधिक सुविधा मिले
नवागढ़ तहसीलदार रेणुका रात्रे ने कहा कि नवागढ़ कॉलेज में निजी शैक्षणिक संस्थाओं में प्रतियोगी परीक्षाओं में कम्प्यूटर शिक्षा में लड़कियों की जिज्ञासा देखकर लगता है कि इन्हें और अधिक सुविधा मिले, जिससे प्रतिभा को सही प्लेटफॉर्म मिले। लड़कियों का श्रम सार्थक होकर रहेगा। हमें लड़कियों की मेहनत पर पूरा-पूरा विश्वास है।
481 लड़कों के मुकाबले 621 लड़कियां
नवागढ़ विधानसभा का इकलौता शासकीय कॉलेज नवागढ़ में अनुसूचित जन जाति, अनुसूचित जाति अन्य पिछड़ा वर्ग सामान्य वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के साथ कॉलेज के 13 कक्षाओं में से दस में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले अधिक है। एक पिछड़े हुए ब्लाक का तमगा लगाने वाले नवागढ़ में लड़कियों का रुझान यह संदेश दे रहा है कि अब कमांड बदल रहा है। अनुसूचित जनजाति के 22 लड़कों के मुकाबले 26 लड़कियां हैं। अनुसूचित जाति के 165 लड़कों के मुकाबले 244 लड़कियां हैं, अन्य पिछड़ा वर्ग के 275 लड़कों के मुकाबले 315 लड़कियां, सामान्य वर्ग से 19 लड़कों के मुकाबले 31 लड़कियां व अल्पसंख्यक में दो लड़कों के मुकाबले 5 लड़कियां हैं। बीएससी प्रथम गणित, बीएससी गणित अंतिम एवं समाजशास्त्र तृतीय सेमेस्टर में लड़के अधिक हैं पर इन तीन के मुकाबले दस में लड़कियां अधिक है।
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