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गर्मी की दस्तक से पहले ही विदेशी परिंदों ने छोड़ा आशियाना, ग्रामीण मानते हैं इन्हें मौसम का दिकसूचक

locationबेमेतराPublished: Mar 04, 2021 07:10:48 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

जिले के नवागढ ब्लॉक के कटई गांव में विगत 40 वर्षों से आ रहे विदेशी मेहमान भी गर्मी की आहट के पूर्व ही 20-25 दिनों पहले से आशियाना छोड़ चले हैं और गांव के पेड़ वीरान हो गए है।

गर्मी की दस्तक से पहले ही विदेशी परिंदों ने छोड़ा आशियाना, ग्रामीण मानते हैं इन्हें मौसम का दिकसूचक

गर्मी की दस्तक से पहले ही विदेशी परिंदों ने छोड़ा आशियाना, ग्रामीण मानते हैं इन्हें मौसम का दिकसूचक

बेमेतरा/अंधियारखोर . मार्च शुरू होते ही बेमेतरा जिले में गर्मी ने दस्तक दे दी है और शुरुवाती दिनों में ही पारा 30 से 35 डिग्री जा पहुँचा है। लू के थपेड़े लोगों को झुलसाने लगे हैं। जिले में सोमवार की सुबह से ही सूरज ने आग उगलनी शुरू कर दी थी। ऐसा माना जाता है कि पक्षी मौसम के दिकसूचक होते हैं और उन्हें मौसम परिवर्तन की सूचना सबसे पहले मिल जाती है। बता दें कि यही कारण है कि जिले के नवागढ ब्लॉक के कटई गांव में विगत 40 वर्षों से आ रहे विदेशी मेहमान भी गर्मी की आहट के पूर्व ही 20-25 दिनों पहले से आशियाना छोड़ चले हैं और गांव के पेड़ वीरान हो गए है।
इस संबंध में पक्षी प्रेमी दिनेश तिवारी एवं गेंद लाल वर्मा ने बताया कि गर्मी शुरू होने के पहले ही कटई में आने वाले विदेशी मेहमान 25 दिनों पूर्व ही उड़ चुके हैं। जिनका अब बारिश से पूर्व पुन: गांव में आगमन होगा। ये पक्षी अच्छी बारिश के दिकसूचक होते हैं, इनके आते ही हम बारिश के पूर्व की तैयारियां शुरू करते हैं। वहीं सहायक चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार सप्रे ने बताया कि गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। इसके मद्देनजर लोगों को सजग रहने की जरूरत है एवं लोग इससे बचने के लिए तरल पदार्थों का सेवन करें। वहीं अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलें। उन्होंने कहा कि पक्षियों को मौसम परिवर्तन के संकेत मिलते ही उन्होंने आशियाना छोड़ दिया है।
ग्रामीण करते हैं मेहमान परिंदों से प्यार
ग्राम कटई में लगभग 40 वर्षों से लगातार जून से फरवरी तक विदेशी पक्षियों का कलरव सुनकर गांव के लोग मंत्र मुग्ध होते है और शाम को आसमान में आसमानी करतब दिखाते साइबेरियन पक्षी को देखकर मानो ग्रामीणों की दिन भर की थकान मिट जाती है। वही फरवरी के अंत में गर्मी की आहट मिलते ही विदेशी मेहमान आशियाना छोड़ देते है और 4 महीने के लिए ठंडे इलाकों में चले जाते है। कटई गांव में आने वाले विदेशी मेहमानों की गांव वाले भी बखूबी मेहमान नवाजी करते हैं और उन्हें किसी भी प्रकार का कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है और उनके शिकार पर भी पूर्णत: प्रतिबंध लगा रखे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के निश्चित पेड़ में ही उनका बसेरा होता है और वह आते ही अपना नया बसेरा बना लेते हैं यह उनका प्रजनन काल होता है।
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