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इस जिले के किसान खरीफ 2017 की फसल बीमा राशि के लिए लगा रहे सरकारी दफ्तरों के चक्कर

locationबेमेतराPublished: Sep 14, 2018 12:46:24 am

Submitted by:

Rajkumar Bhatt

जिले के किसान खरीफ 2017 में दी जाने वाली फसल बीमा राशि नहीं मिलने के कारण दफ्तरों में आवेदन लगाकर परेशान हो चुके हैं।

Bemetara Patrika

क्यों छलक रहा है जिले के किसानों का सब्र का बांध

बेमेतरा. सूखे की वजह से किसानों की पूरी फसल सूख गई। अनाज का एक दाना भी नहीं हुआ। भीषण अकाल में भी बैंकों द्वारा प्रीमियम राशि खाता से निकाले जाने के बाद भी फसल बीमा की क्षतिपूर्ति राशि नहीं दी गई है। कार्यालयों का चक्कर लगाकर थक चुके थानखम्हरिया तहसील के ग्राम हरदास के किसान भीखम साहू, तुलाराम, राजकुमार, हरीश साहू, केजूराम, माखन लाल साहू अधिकारियों से मुलाकात के दौरान सीधे गांव आकर गणना करने की मांग कर रहे हैं।
दफ्तरों में आवेदन लगाकर थके

फसल बीमा राशि नहीं मिलने की शिकायत केवल ग्राम हरदास के किसानों की नहीं है। दरअसल, अव्यवस्था के कारण जिले के किसान खरीफ 2017 में दी जाने वाली फसल बीमा राशि नहीं मिलने के कारण दफ्तरों में आवेदन लगा-लगाकर परेशान हो चुके हैं। एक बार फिर कई गांव के प्रभावित किसान जिला प्रशासन के पास पहुंचकर राशि भुगतान की मांग की। इनमें ग्राम हरदास के अलावा कठिया, बैजलपुर, कोदवा और पिकरी के किसान शामिल थे।
गलती किसी और की भुगत रहे किसान

बेरला तहसील ग्राम कठिया के किसान द्वारिका साहू ने बताया कि सूखा राहत राशि सूची में उनका नाम है। उन्होंने खाता नंबर भी दिया था, लेकिन खाता नंबर में त्रुटि कर राशि बैंक में जमा करने के लिए भेजा गया था, जिसके कारण राशि खाते में नही पहुंच पाई है। गैंद सिंह वर्मा ने बताया कि राजस्व कार्यालय में जाने पर तहसीलदार के पास भेज दिया, वहां जाने पर नायब नजीर से पता करने को कहा गया। वहां जाने पर राशि खाता में भेज दिया गया है, कह कर वापस लौटा गया। स्थिति यह है कि उनको मिलने वाली फसल बीमा की राशि अभी तक नहीं मिली है।
सिंचित-असिंचित के फेर में फंस रहे किसान

फसल बीमा की क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिलने का एक कारण सिंचिति-असिंचित रकबे भी है। किसानों के सिंचित व अंसिंचित रकबे के बीमा के लिए प्रिमियम दर भी अलग-अलग निर्धारित है। इसके अलावा दोनों रकबे में नुकसान के आंकलन के लिए फसल कटाई का प्रयोग भी अलग-अलग किया जाता है। यही वजह है कि फसल उपज की औसत गणना में सिंचित रकबे का फसल मूल्यांकन ज्यादा आता है। किसानों द्वारा केसीसी ऋण लेने के लिए अपने जमीन को सिंचित बताया जाता, जिसके चलते किसानों को गांव के सिंचित रकबे में औसत उत्पादन अच्छा होने के कारण क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिल पा रही है।
कलक्टर का आश्वासन भी थोथा साबित हुआ

जिले मे सबसे अधिक गड़बड़ी संबलपुर बैंक में सामने आई है, जहां के 1100 से अधिक किसानों को प्रीमयम राशि जमा करने के बाद भी आज तक उन्हें बीमा का लाभ नहीं मिला हैै। बैंक के अंतर्गत आने वाले मक्खनपुर, जेवरा नवागढ़, झंाकी, गांगपुर, मानिकपुर, झाल अंधियारखोर, बाधुल, गाडामोड, धोधरा के किसान प्रभावित हुए हैं। बीते वर्ष 2016-17 के दैारान राशि नहीं मिलने के कारण नवागढ़ क्षेत्र के ग्राम झाल के किसानों को हड़ताल तक करना पड़ा था। इस दौरान राशि वितरण का आश्वासन तत्कालीन कलक्टर कार्तिकेय गोयल ने किया था, लेकिन इसके बाद भी किसानों को राशि नहीं दी गई है।
राशि दिलाने का कर रहे प्रयास

कृषि उपसंचालक शशांक शिंदे ने बताया कि किसानों को फसल बीमा की राशि दिलाए जाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से किसानों को बीमा राशि जारी करने में बीमा कंपनी रुचि नहीं दिखा रही हैं। 3 गांवों के लिए रिवाइज प्रकरण तैयार कर कंपनी को बीमा भुगतान का निर्देश दिया गया है। जिला कार्यालय में पहुंचकर शिकायत करने वाले किसानों के आवेदनों का निराकरण किया जाएगा।
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