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बेमेतरा

सरकार के लापरवाह कर्मचारियों की वजह से बुझ गया घर का चिराग, मासूम के लिए न्याय की आस में भटक रहा पिता

प्रशासन ने जिम्मेदारों पर न कोई कार्रवाई की और न पिता को आर्थिक सहायता दी, कलक्टर के बाद अब मंत्री से लगाएंगे गुहार

बेमेतराSep 11, 2018 / 11:55 pm

Laxmi Narayan Dewangan

Bemetara Patrika

एकलौते बेटे को खोने के 2 साल बाद भी पिता को नहीं मिला न्याय

बेमेतरा/दाढ़ी . अपने चार वर्षीय मासूम बेटे की मौत के बाद पिता न्याय पाने के लिए दो साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। गंभीर मामला होने के बावजूद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। ज्ञात हो कि अक्टूबर 2016 में ग्राम कोदवा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की लापरवाही की वजह से 4 वर्षीय बालक की नहर में डूबने से मौत हो गई थी।
इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। घटना के समय बालक के पिता को आर्थिक सहायता दिए जाने की बात कही गई थी। लेकिन आज तक कोई आर्थिक सहायता भी नहीं दी गई है। अब अनुराग का पिता धर्मेंद्र चंद्राकर दो साल से मासूम बेटे की मौत के जिम्मेदारों पर कार्रवाई और आर्थिक सहायता की मांग को लेकर विभागों के चक्कर लगा रहे हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका की लापरवाही के कारण बुझ गया मेरे घर का चिराग
ग्राम पंचायत कोदवा में आंगनबाड़ी केंद्र में पढऩे वाला चार वर्षीय बालक अनुराग चंद्राकर 7 अक्टूबर 16 से मध्यान्ह भोजन करने के बाद लापता हो गया था। जिसकी रिपोर्ट पुलिस थाना दाढ़ी में दर्ज कराई गई थी। बच्चे के लापता होने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की घोर लापरवाही उजागर हुई थी।
आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका का दायित्व होता है कि बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र तक लाएं व घर तक छोड़ें। यहां उन्होंने बच्चे को घर छोडऩे के बजाए ऐसे ही घर भेज दिया और अनहोनी हो गई। 14 अक्टूबर 16 को सुबह देवगांव माइनर (छोटा नहर) के किनारे (खार) में अनुराग का क्षत-विक्षत शव मिला। शव पानी में गल चुका था। शव की पहचान उनके परिजन ने शर्ट के कलर से की थी।
शव का पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार बालक की मौत पानी में डूबने की वजह से हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद भी इस मामले में जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। साथ ही प्रशासन भी उदासीन हो गया। जिसकी वजह से एकलौते बेटे के पिता को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल पाई।
राजस्व विभाग ने भी नहीं ली सुध
धर्मेंद्र चंद्राकर ने बताया कि अनुराग मेरे घर का चिराग था, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की लापरवाही के कारण मेरे घर का चिराग बुझ गया। इसके बावजूद महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आज तक सुध नहीं ली गई, कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही किसी प्रकार की सहायता दी गई। राजस्व विभाग में भी आवेदन दिया था।
जिस पर नायब तहसीलदार ने अनुराग की मृत्यु के संबंध में जांच प्रतिवेदन, नजरी नक्शा, पंचनामा आदि दस्तावेज मागा था, जिसे 21 जुलाई 2017 को जमा कर दिया था। लेकिन राजस्व विभाग से भी कोई आर्थिक मदद नहीं मिली। धर्मेंद्र ने बताया कि अब एक बार फिर 11 सितंबर को कलक्टर जनदर्शन में आवेदन दिया हूं। साथ ही क्षेत्रीय विधायक व मंत्री दयालदास बघेल से भी न्याय की गुहार लगाऊंगा।
शासन से जल्द दिलाएंगे आर्थिक सहायता
इस संबंध में सहकारिता मंत्री डीडी बघेल ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की लापरवाही के कारण 4 वर्षीय मासूम बालक की मौत होना बेहद गंभीर मामला है। बालक के पिता द्वारा 2 साल से न्याय व आर्थिक सहायता के लिए भटकना भी अधिकारियों की उदासीनता को प्रमाणित करता है। यह मामला मेरे संज्ञान में आ गया है।
अब पीडि़त पिता को जल्द से जल्द शासन से आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी। नायब तहसीलदार आरके मरावी ने कहा कि घटना उनके कार्यकाल के पहले की है, फिर भी मामले को देखता हूं कि क्यों देर हुई है। पीडि़त परिवार को शासन से मिलने वाली आर्थिक सहायता राशि अतिशीघ्र दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
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