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रिश्वत मांगने वाले सरकारी वकील को मिली सजा

locationबेमेतराPublished: Nov 16, 2017 12:54:39 am

भ्रष्टाचार के मामले में सहायक लोक अभियोजक को विशेष न्यायधीश ममता पटेल ने पांच साल की सजा सुनाई।

Bemetara Jail

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बेमेतरा. भ्रष्टाचार के मामले में 13 साल बाद आए फैसले में विशेष न्यायाधीश ममता पटेल ने आरोपी पूर्व जिला सहायक अभियोजन अधिकारी को 5 साल सश्रम कारावास व 1 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। सजा सुनाए जाने के पश्चात आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
मामला 2004 का
मामला वर्ष 2004 का है, जहां आरोपी पूर्व जिला सहायक अभियोजक अधिकारी राजेश पिता होशियार सिंह श्रीवास्तव (48) निवासी अनुपम नगर, रायपुर ने बेमेतरा निवासी प्रार्थी किशोर तिवारी से उसके पक्ष में जांच रिपोर्ट बनवाकर देने की बात कहते हुए 5 हजार रुपए रिश्वत की मांग की थी। जिस पर प्रार्थी किशोर तिवारी ने एसीबी को शिकायत करने के बाद आरोपी को उसके निवास पर रिश्वत के रूप में 4 हजार रुपए देने पहुंचा, जहां एंटी करप्शन ब्यूरो, रायपुर की टीम ने आरोपी को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया। इसके पश्चात आरोपी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 07 एवं 13 (1) के तहत प्रकरण दर्ज कर अग्रिम कार्रवाई के लिए न्यायालय में पेश किया गया।
ट्रक से हुई थी दुघर्टना

मामला हैं कि प्रार्थी किशोर तिवारी के स्वामित्व के वाहन ट्रक क्रमांक एमपी 23 बी 0298 से 5 जून 2001 को दुर्घटना कारित हुई। इस मामले में प्रार्थी के ट्रक चालक राजेश यादव के खिलाफ मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन था। उक्त प्रकरण में प्रार्थी की गाड़ी की बीमा पालिसी में वाहन क्रमांक में बी सीरिज के स्थान पर डी सीरिज हो गया। प्रार्थी ने दस्तावेजों के आधार पर दुर्घटनाकारित ट्रक न्यायालय से सुपुर्दनामे में प्राप्त किया था।
प्रकरण समाप्त होने के बाद दिया आवेदन

दुर्घटना के प्रकरण का अंतिम निराकरण में प्रार्थी के ड्राइवर को दोषमुक्त कर दिया गया। प्रकरण समाप्त होने के बावजूद आरोपी पूर्व सहायक जिला अभियोजन अधिकारी ने वाहन के बीमा पालिसी की जांच कराए जाने न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया। इस पर प्रार्थी किशोर तिवारी के आरोपी से मिलने पर उसने प्रार्थी को अवैध बीमा पालिसी के आधार पर ट्रक का सुपुर्दनामा प्राप्त किया है। इसलिए उसके विरुद्ध प्रकरण बनता है। ऐसा कहते हुए आरोपी ने प्रार्थी से 5 हजार रुपए की मांग करने के साथ आवेदन वापस लेने और उसके पक्ष में रिपोर्ट बनवाने की पेशकश की थी।
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