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कृषि मंत्री के गृह जिले में बेकाबू कोरोना, जान बचाने वाली रेमडेसिवर इंजेक्शन का सरकारी स्टॉक खत्म, बेबस हुए लोग

locationबेमेतराPublished: Apr 12, 2021 12:29:40 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

Corona की पहली लहर में करीब एक साल की अवधि में जिले में 56 लोगो की मौत हुई थी। वहीं दूसरी लहर में एक माह में 60 से अधिक लोगों की जिले में मौत हो गई है।

कृषि मंत्री के गृह जिले में बेकाबू कोरोना, जान बचाने वाली रेमडेसिवर इंजेक्शन का सरकारी स्टॉक खत्म, बेबस हुए लोग

कृषि मंत्री के गृह जिले में बेकाबू कोरोना, जान बचाने वाली रेमडेसिवर इंजेक्शन का सरकारी स्टॉक खत्म, बेबस हुए लोग

बेमेतरा. covid-19 संक्रमण की दूसरी लहर के बीच कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के गृृह जिले में जीवन रक्षक दवाई रेमडेसिवर इंजेक्शन की उपलब्धता नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर कोरोना मरीज दम तोड़ रहे हैं। वहीं परिजनों को इंजेक्शन के लिए दीगर जिलों में दौड़ भाग करनी पड़ रही है। आलम ये है कि कोरोना की पहली लहर में करीब एक साल की अवधि में जिले में 56 लोगो की मौत हुई थी। वहीं दूसरी लहर में एक माह में 60 से अधिक लोगों की जिले में मौत हो गई है। रोजाना हो रही मौतों से लोग दहशत में है। इनमें ज्यादातर मौतें चेस्ट इंफेक्शन व निमोनिया से हुई है। कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिए जीवन रक्षक दवाई Remdesivir injection की जरूरत पड़ती है। इस दवाई की छत्तीसगढ़ में भारी किल्लत बनी हुई है। इंजेक्शन की उपलब्धता की जरूरी जानकारी और अभाव के कारण मरीज के परिजनों को भटकना पड़ रहा है। कई दिनों तक भटकने के बावजूद दवाई नहीं मिलने के कारण मरीज दम तोड़ रहे है। जिले में हालात काफी खराब है। (coronavirus in bemetara )
दूसरे जिले के मेडिकल स्टोर पर निर्भर संक्रमितों के परिजन
छत्तीसगढ़ में दुर्ग, रायपुर के बाद बेमेतरा सबसे अधिक कोरोना प्रभावित जिलों में शामिल है। दवाई के अभाव में बड़े पैमाने पर मौतें हो रही है। बावजूद जिले के किसी भी मेडिकल स्टोर में यह जीवन रक्षक इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है । जिले के मरीजों को इंजेक्शन के लिए पड़ोसी जिला रायपुर व दुर्ग पर निर्भर रहना पड़ता है । जहां चुनिंदा मेडिकल स्टोर्स पर पहले से लंबी कतारें लगी हुई है। ऐसी स्थिति में समय पर इंजेक्शन नहीं मिलने से मरीज को बचाना मुश्किल हो गया है। जानकारी के अनुसार अक्टूबर से फरवरी तक में केस घटने पर कंपनियों ने रेमडेसिवर इंजेक्शन का प्रोडक्शन घटा दिया था।
पांच सौ की डिमांड, तीन सौ का मिला आश्वासन
देश में फरवरी के बाद फिर से कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं। मार्च के दूसरे सप्ताह बाद से इंजेक्शन की डिमांड भी तेजी से बढ़ी है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व में कम प्रकरणों में रेमडेसिवर इंजेक्शन की जरूरत पड़ रही थी। इसलिए सिर्फ 150 इंजेक्शन की डिमांड की गई थी, उस समय शासन से मात्र 50 इंजेक्शन प्रदाय किया गया था। अब कोरोना की दूसरी लहर में बड़े पैमाने पर मरीजों की मौत हो रही है । ऐसी स्थिति में इस इंजेक्शन की उपलब्धता जरूरी है, लेकिन स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के पास एक भी इंजेक्शन नहीं है। विभाग की ओर से 500 इंजेक्शन की डिमांड की गई । जिसमें 300 इंजेक्शन सप्लाई का भरोसा राज्य सरकार की ओर से दिया गया है ।
ऐसे देते हैं मरीज को डोज
बेमेतरा सीएमएचओ डॉ. एसके शर्मा के अनुसार यह रेमडेसिवर इंजेक्शन कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए एंटीडोज का काम करता है। ऐसे में यह इंजेक्शन कोरोना पेशेंट को लगाया जाता है। 5 दिन में इस इंजेक्शन के 6 डोज लगाए जाते हैं। जबकि 5 दिन तक लगने वाले इन इंजेक्शन में पहले दिन दो डोज लगाया जाता हैं उसके बाद एक-एक इंजेक्शन रोज लगता है।
सभापति ने दवाई की कालाबजारी व उपलब्धता को लेकर सीएम को लिखा पत्र
सभापति राहुल टिकरिहा के अनुसार बेमेतरा जिले में कोविड-19 मरीजों के लिए रेमडेसिवर एंटी वाइरल इंजेक्शन व फली परावीर टेबलेट नहीं है। जिसके कारण कोविड-19 मरीजों के ठीक होने की संख्या कम हो गई है साथ ही मृत्युदर में बढ़ोतरी हो रही है। मार्केट में भी ये दवाई की कीमतें अधिक होने के कारण मरीजों व उनके परिजनों को आर्थिक रूप से परेशानी हो रही है साथ ही यह दवाई मार्केट में भी आसानी से उपलब्ध नहीं है। महंगे दामों में बेचने के लिए मेडिकल दुकानदार खरीददारों को गुमराह करते है। रेमडेसिविर के कीमत प्रति डोज की कीमत 1100 से 1400 रुपए है। बावजूद इसे 5500 से 6000 रुपये में बेचा जा रहा है। जीवन रक्षक दवाई होने और अभाव के कारण विक्रेता मनमानी कर रहे हैं, जो निंदनीय है। इसलिए सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखकर समस्या के निराकरण का आग्रह किया है।
मरीज की हो गई मौत
जिला कोविड अस्पताल में चार दिनों से भर्ती 40 वर्षीय युवक की चेस्ट इंफेक्शन से मौत हो गई । रविवार रात करीब चार बजे ऑक्सीजन लेवल डाउन होने पर परिजनों को सूचना देकर बुलाया गया। जहां डॉक्टर ने इंफेक्शन पर नियंत्रण के लिए रेमडेसिवर इंजेक्शन लाने कहा। स्थानीय स्तर पर इंजेक्शन की उपलब्धता नहीं होने पर परिजन परेशान हो गए। काफी प्रयासों के बाद दुर्ग में इंजेक्शन मिलने की जानकारी मिलने पर परिजन तुरन्त बाइक से दुर्ग रवाना हुए। इंजेक्शन मिलने के बाद बेमेतरा लौटने तक काफी देर हो चुकी थी। इंजेक्शन लगने के बावजूद तबियत में सुधार नहीं हुआ और मरीज की मौत हो गई ।
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