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जिमीकंद लगाने खुदाई कर रहे बच्चे को मिली मां काली की सैकड़ों साल पुरानी मूर्ति, दर्शन के लिए उमड़ी ग्रामीणों की भीड़

locationबेमेतराPublished: Oct 30, 2021 01:38:35 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

शुरूआत में केवल मां काली का मुकुट व चेहरा दिखा। जिसके बाद ग्रामीणों ने कुदाल से जमीन की खुदाई की। जहां मां काली के हाथ में तलवार व दूसरे हाथ में असुर का कटा हुआ सिर लिए दिखाई दिया।

जिमीकंद लगाने खुदाई कर रहे बच्चे को मिली मां काली की सैकड़ों साल पुरानी मूर्ति, दर्शन के लिए उमड़ी ग्रामीणों की भीड़

जिमीकंद लगाने खुदाई कर रहे बच्चे को मिली मां काली की सैकड़ों साल पुरानी मूर्ति, दर्शन के लिए उमड़ी ग्रामीणों की भीड़

बेमेतरा/रांका. बेमेतरा जिले के पुरानी बस्ती रांका के बनिया तालाब के पास स्थित मैदान में खुदाई के दौरान मां काली की प्राचीन मूर्ति निकली है। ग्रामीण सदाराम निषाद मैदान में जिमीकंद लगाने के लिए खुदाई कर रहे थे। इस दौरान उनके पुत्र दीपचंद निषाद उम्र 13 साल को खुदाई करते समय मां काली की मूर्ति दिखाई दी। शुरूआत में केवल मां काली का मुकुट व चेहरा दिखा। जिसके बाद ग्रामीणों ने कुदाल से जमीन की खुदाई की। जहां मां काली के हाथ में तलवार व दूसरे हाथ में असुर का कटा हुआ सिर लिए दिखाई दिया।
साथ ही माता के गले में असुरों का कटा सिर का स्वरूप दिख रहा है। जमीन से उद्घृत मां काली की प्रतिमा की खबर गांव में फैलते ही देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। रात तक लोग दर्शन करने पहुंचते रहे। जहां ग्रामीणों ने नारियल चढ़ाकर विधिवत पूजा अर्चना की। मां काली की प्रतिमा मिलने से ग्रामीणों में उत्साह है। जिसे देखने आसपास गांव कठिया, कुरूद, पेंड्री, झलमला, जौग, तिवरैया, किरीतपुर, जेवरा, मटका, सिमगा, बेमेतरा से बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंच रहे है। ग्रामीणों द्वारा सहयोग से मंदिर निर्माण कर मूर्ति संरक्षित करने की योजना है।
करीब 100 वर्ष है पुरानी है प्रतिमा, टीम भेजकर कराया जाएगा जांच
पुरातत्व विभाग के उपसंचालक जेआर भगत ने बताया कि खुदाई में मिली मां काली की मूर्ति देखने पर करीब 100 वर्ष पुरानी लग रही है। जांच के बाद प्रतिमा वास्तविक में कितनी पुरानी है पता चल पाएगा। उन्होंने कहा कि राज्योत्सव के बाद मूर्ति की जांच करने विभाग से टीम भेजी जाएगी। ताकि मूर्ति की वास्तविक इतिहास के बारे में पता चल सके। जिसके बाद आगे मूर्ति को संरक्षित करने की दिशा में काम किया जाएगा। ताकि खुदाई में मिले पुरानी प्रतिमाओं व अन्य अवशेषों को सुरक्षित रखा जा सके।
जिमीकंद लगाने खुदाई कर रहे बच्चे को मिली मां काली की सैकड़ों साल पुरानी मूर्ति, दर्शन के लिए उमड़ी ग्रामीणों की भीड़
गांव में 14 वीं शताब्दी की मां महामाया की प्रतिमा स्थापित
पुरानी बस्ती रांका में प्राचीन काल की जमीन से उद्घृत मां महामाया की मूर्ति मिली है। जो 14 वीं शताब्दी की है। जिसे ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर निर्माण किया गया है। ग्रामीण ईश्वर निषाद ने बताया छ:मासी रात में मा महामाया मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में दो गर्भगृह बनाए गए हैं। जिसे कारीगरों द्वारा आकर्षक रूप से तराश कर बनाया गया है। जिसमें एक में भगवान राम सीता व दूसरे गर्भगृह में शंकर पार्वती की प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके अलावा मंदिर के दीवारों में पत्थरो को तराश कर भगवान हनुमान की प्रतिमा भी अंकित की गई है।
टेंट लगाकर सुरक्षा व्यवस्था व सेवा में जुटे ग्रामीण
जमीन से उद्घृत मां काली की प्रतिमा के दर्शन करने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे है। ग्रामीणों द्वारा मूर्ति की सुरक्षा व्यवस्था भी की जा चुकी है। जहां स्थानीय लोगों द्वारा सेवाभाव से टेंट लगाकर मां काली की सेवा भक्ति में जुट गए हंै। लोग आस्था के चलते दर्शन कर फूल, नारियल पैसा, चुनरी चढ़ा आशीर्वाद लेने पहुंच रहे है। मां काली की मूर्ति को एक नजर देखने पर बहुत ही मनमोहक दिखाई देती है। मूर्ति के चेहरे पर तेज और गुस्से की मुद्रा बड़ी सुंदरता से चित्रित है। दीपावली पर्व पर मां काली की मूर्ति मिलने से स्थानीय लोग इसको गांव की खुशहाली व समृद्धि से जोड़कर देख रहे है। पर्व के दौरान मां की जमीन से उद्घृत शुभ संकेत माना जा रहा है।
कलचुरी वंश से जुड़ा है मां महामाया मंदिर का इतिहास
ग्रामीण चैतराम निषाद बताया कि रांका में आज भी अनेकों स्थानों में खुदाई के दौरान प्राचीन अवशेष मिलते है। जिनमें प्रतिमा, बर्तन सहित अनेक वस्तुएं है। गांव के बुजुर्ग बताते है कि मां महामाया मंदिर का इतिहास कलचुरी वंश से जुड़ा हुआ है। वे बताते है कि महामाया मंदिर के किनारे कलचुरी वंश के राजा महाराजा ठहरते थे। जहां गांव में विश्राम करने के बाद रतनपुर के लिए आगे बढ़ते थे। जिसके प्रमाण आज भी है। मंदिर के आसपास खुदाई के दौरान प्राचीन काल के अवशेष मिलते है। रतनपुर में कलचुरी राजवंशों की लहुरी शाखा ने 10 वीं शताब्दी में राज्य स्थापित किया था। रतनपुर की प्रसिद्धि चारों युगों में है। कलयुग में रत्नपुर के नाम से प्रसिद्ध है।

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