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लोलेसरा के किसान आखिर रविवार को क्यों खेत में नहीं करेंगे काम

locationबेमेतराPublished: Jul 23, 2018 05:56:08 pm

Submitted by:

Rajkumar Bhatt

धरती मांग की सेवा और गांव की खुशहाली के लिए लोलेसरा के ग्रामीण सावन महीने के दौरान रविवार को खेत में काम नहीं करेंगे।

villagers praying to kuldevi

villagers praying to kuldevi

बेमेतरा (लेालेसरा). धरती मां की सेवा में सप्ताह में एक दिन खतों में काम नहीं करते हुए त्योहार मनाने की परंपरा का निर्वहन करते हुए शनिवार की मध्य रात्रि को कुलदेवी की पूजा-अर्चना कर लोलेसरा के किसानों ने भगवान त्योहार मनाया शुरू किया। गांव के किसान पर अब से रविवार को खेत नहीं जाएंगे।
मध्यरात्रि को की कुलदेवी की पूजा

लोलेसरा के किसानों के परिवार की सुख-शांति व समृद्धि बरकरार रखने, गांव में अच्छी बारिश से फसल की अच्छी पैदावर होने, कीट व्याधी न होने और पशुधन के ऊपर किसी भी प्रकार का संकट न आए और बीमारी से दूर रहे इस ध्येय से ग्राम बैगा जनकराम यादव ने शनिवार को मध्य रात्रि में गांव की कुलदेवी महामाई की पूजा-अर्चना की। साथ ही ग्राम में स्थित देवालयों – शीतला मंदिर, बजरंगबली मंदिर, सांहड़ा देव, महादेव, दुर्गा मंदिर, शिव मंदिर, बरमबावा, कबीर कुटी, चुरौतिन माई में पूजा-अर्चना के साथ 33 कोटी देवताओं का आह्वान किया।
ग्राम रक्षक देवाताओं की पूजा

गांव के देवताओं की पूजा-अर्चना करने के बाद बैगा ने किसान ध्रुवकुमार वर्मा, सिद्धराम वर्मा, संतोष वर्मा, पुनीत साहू, सोहन साहू, ईश्वर वर्मा, मोहित वर्मा सहित अन्य किसानों को साथ में लेकर नंगे पैर चलते हुए गांव के सीमाओं में स्थित ग्राम रक्षक देवताओं की पूजा-अर्चना कर गांव की सुख-शांति और लोगों की समृद्धि के लिए नारियल भेंट किया। इसके बाद रविवार सुबह पूरे गांव वाले को प्रसाद का वितरण किया गया। साथ में पशुधन को खिलाने प्रसाद का वितरण किया।
भगवान त्योहार के दिन खेती किसानी का काम बंद

गांव में भगवान त्योहार के दिन किसान खेत नहीं जाते। इस दिन खेतीबाड़ी का काम बंद कर किसान-मजदूर मिलजुल कर त्योहार मनाते हैं। अगर कोई खेतीबाड़ी का काम करता है, उसे ग्राम के किसानों द्वारा दंडित किया जाता है। इस बार भगवान त्योहार सावन महीने के प्रत्येक रविवार को मनाया जाएगा।
सैकड़ों साल पुरानी है परंपरा

ग्राम पटेल शत्रुहन वर्मा ने बताया कि भगवान त्योहार मनाने की परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है। वर्षाकाल में मानव पर किसी भी प्रकार की विपत्ति न आए, महामारियों का प्रकोप न हो, पशुधन में महामारी न आए और फसलों पर बीमारी या कीट व्याधि न लगे इस उद्देश्य से ग्राम देवताओं की पूजा-अर्चना कर भगवान त्योहार मनाने की परंपरा है, जिसे ग्रामीण आज तक बरकरार रखे हुए हैं।
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