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बेमेतरा

ये क्या, सिलेंडर होने के बावजूद डीईओ साहब 13 साल से लकड़ी-कंडे पर बनवा रहे खाना

जिले के 11 सौ से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले 1 लाख 27 हजार बच्चों के लिए चूल्हे पर बन रहा मध्यान्ह भोजन

बेमेतराMar 14, 2018 / 11:59 pm

Satya Narayan Shukla

Chhattisgarh Breaking news, Mid Day Meal in Bemetara
बेमेतरा . चूल्हे में खाना बनाने से हो रही दिक्कत, लकड़ी-कंडे की किल्लत और धुएं से हो रहे प्रदूषण को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने जिले के सरकारी स्कूलों को मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए 13 साल पहले एलपीजी गैस सिलेंडर प्रदान किया है। इसके बावजूद महिला समूहों द्वारा आज तक चूल्हे पर लकड़ी-कंडा के माध्यम से मध्यान्ह भोजन बनाया जा रहा है। जिले के 11 सौ से अधिक स्कूलों में से केवल 7 स्कूलों में ही गैस सिलेंडर का उपयोग किया जा रहा है। इस संबंध में डीईओ एके भार्गव ने कहा कि स्कूलों में एलपीजी गैस के माध्यम से मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए स्कूल प्रमुखों को कई बार नोटिस जारी किया गया है। इसके बावजूद वे रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
शासन ने 2005-06 में मुहैया कराया था गैस सिलेंडर
शासन द्वारा स्कूलों को धुआं मुक्त बनाने के लिए 2005-06 में एलपीजी गैस सिलेंडर व चूल्हा मुहैया कराया गया था। लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता की वजह से यह योजना फेल हो रही है और गैस सिलेंडर का कुछ दिन उपयोग करने के बाद समूहों ने गैस में खाना बनाना बंद कर दिया। स्कूलों को आवंटित गैस चूल्हा व सिलेंडर का भी अता-पता नहीं है। इसके लिए आज तक किसी तरह की जांच या मानीटरिंग नहीं की गई। जिसके कारण स्कूलों में एलपीजी गैस के उपयोग को लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही है।
जिले के मात्र 7 स्कूलों में हो रहा गैस सिलेंडर का उपयोग
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के 11 सौ से अधिक स्कूलों में से मात्र 7 स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए गैस सिलेंडर का उपयोग किया जा रहा है। जिसमें बेमेतरा के तीन, नवागढ़ और साजा ब्लॉक के दो-दो स्कूल शामिल हैं। वहीं बेरला ब्लॉक के किसी भी स्कूल में गैस सिलेंडर का उपयोग नहीं किया जा रहा है। बेमेतरा ब्लॉक के बावा मोहतरा, बिरसिंघी और एक अन्य स्कूल में महिला समूहों द्वारा एलपीजी गैस में खाना पकाया जा रहा है। नवागढ़ ब्लॉक के नांदघाट और गोपालपुर स्कूल में एलपीजी गैस से खाना बनाया जा रहा है। इसी तरह साजा ब्लॉक के कन्या शाला साजा और लालपुर स्कूल में गैस सिलेंडर के माध्यम से मध्यान्ह भोजन बनाया जा रहा है।
हर माह एक ब्लॉक में 15 लाख रुपए हो रहा खर्च
जिले के 745 प्रायमरी स्कूलों में 7611 और 389 मिडिल स्कूलों में 51889 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इस तरह 1134 स्कूलों में 127500 विद्यार्थी हैं। जिले के इन स्कूलों में रोजाना करीबन एक लाख से अधिक बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन बनाया जाता है। जिले में 12 महीने मध्यान्ह भोजन दिया जाना है। जिस पर करीब 11 करोड़ से अधिक राशि खर्च होता है। बताया गया कि प्राथमिक स्कूलों में 4 रुपए 58 पैसा और मिडिल स्कूलों में 6 रुपए 18 पैसे की दर से कुकिंग खर्च दिया जाता है। समूहों को गैस से खाना पकाने पर प्रतिदिन प्राइमरी स्कूल में 20 पैसा व मिडिल स्कूल में 30 पैसा प्रत्येक बच्चे के लिए निर्धारित है। जिसके अनुसार औसतन एक ब्लॉक में 15 से 20 लाख रुपए तक का खर्च किया जाता है।
परिवहन की समस्या
स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की जिम्मेदारी संभाल रही महिला समूहों के अनुसार एलपीजी गैस सिलेंडर लाने व ले जाने सहित रिफिलिंग कराने की समस्या है। जिसके कारण हम पीछे रहे हैं। रही बात खर्च की तो गैस सिलेंडर से खाना बनाने में लागत अधिक आएगी। यदि परिवहन समस्या का निराकरण हो जाए तो हम गैस पर भी खाना पकाने के लिए तैयार हैं। सर्वप्रथम गैस सिलेंडरों की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाए। सिलेंडरों के परिवहन पर आने वाले खर्च को तय करने के साथ-साथ बच्चों की संख्या के अनुपात में सिलेंडरों का कोटा तय किया जाए, तभी स्कूलों में एलपीजी गैस के माध्यम से खाना बनाना संभव हो पाएगा।
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