जिले के 745 प्रायमरी स्कूलों में 7611 और 389 मिडिल स्कूलों में 51889 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इस तरह 1134 स्कूलों में 127500 विद्यार्थी हैं। जिले के इन स्कूलों में रोजाना करीबन एक लाख से अधिक बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन बनाया जाता है। जिले में 12 महीने मध्यान्ह भोजन दिया जाना है। जिस पर करीब 11 करोड़ से अधिक राशि खर्च होता है। बताया गया कि प्राथमिक स्कूलों में 4 रुपए 58 पैसा और मिडिल स्कूलों में 6 रुपए 18 पैसे की दर से कुकिंग खर्च दिया जाता है। समूहों को गैस से खाना पकाने पर प्रतिदिन प्राइमरी स्कूल में 20 पैसा व मिडिल स्कूल में 30 पैसा प्रत्येक बच्चे के लिए निर्धारित है। जिसके अनुसार औसतन एक ब्लॉक में 15 से 20 लाख रुपए तक का खर्च किया जाता है।
परिवहन की समस्या
स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की जिम्मेदारी संभाल रही महिला समूहों के अनुसार एलपीजी गैस सिलेंडर लाने व ले जाने सहित रिफिलिंग कराने की समस्या है। जिसके कारण हम पीछे रहे हैं। रही बात खर्च की तो गैस सिलेंडर से खाना बनाने में लागत अधिक आएगी। यदि परिवहन समस्या का निराकरण हो जाए तो हम गैस पर भी खाना पकाने के लिए तैयार हैं। सर्वप्रथम गैस सिलेंडरों की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाए। सिलेंडरों के परिवहन पर आने वाले खर्च को तय करने के साथ-साथ बच्चों की संख्या के अनुपात में सिलेंडरों का कोटा तय किया जाए, तभी स्कूलों में एलपीजी गैस के माध्यम से खाना बनाना संभव हो पाएगा।