लंबे अर्से से चल रही है गड़बड़ी
जानकार सूत्रों के अनुसार, जिले के संसाधन केन्द्र में अर्से से प्रशिक्षण के नाम पर गड़बड़ी की जा रही है, जिसमें कई तरह की आर्थिक गड़बड़ी भी शामिल है। जिला पंचायत सदस्य अजय तिवारी ने आरोप लगाया कि मिलीभगत कर अधिकारी सरकारी फंड का जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं। केन्द्र में प्रशिक्षण देने के नाम पर गोलमाल किया जा रहा है, जिसे उन्होंने ने भी देखा है। प्रशिक्षण दिए जाने के नाम पर हो रहे घोटाले की जांच की जानी चाहिए। जिला पंचायत अध्यक्ष कविता साहू ने भी दो माह पूर्व केंद्र के दौरे के दौरान अनियमितता पाई थी, जिसे आज तक दुरुस्त नहीं किया गया है।
जवाबदेही से बच रहे प्रभारी
बताना होगा की केन्द्र में प्रशिक्षण के नाम पर अब तक 7 लाख रुपए खर्च किया जा चुका है, लेकिन प्रशिक्षण का सही लाभ किसे मिला, यह जांच का विषय है। ‘पत्रिकाÓ टीम के पहुंचते ही लेखापाल शेखर नंद मौके से नदारद हो गए। वहीं इसके जिम्मेदार जिला पंचायत उपसंचालक देवेन्द्र कौशिक से जानकारी मांगने पर उन्होंने साफ कह दिया कि इस बारे में अभी कुछ नहीं बता पाउंगा, बाद में ही जानकारी दे पाउंगा।
रजिस्टर में दो दर्ज, वे भी नदारद
लेखापाल शेखर सौदागर नंद ने बताया कि बुधवार को 5 प्रशिक्षु आए थे, लेकिन मंगलवार को 8 से 9 प्रशिक्षु आए थे, लेकिन रजिस्टर में बुधवार को केवल दो प्रशिक्षुओं योगेश साहू व प्रहलाद का नाम दर्ज था। इससे पूर्व मंगलवार को 18 प्रशिक्षुओ का नाम दर्ज था, वहीं एक का नाम दर्ज किया गया, पर आगे हस्ताक्षर के लिए स्थान खाली छोड़ दिया गया है। ज्यादातर नामों को एक ही पेन से एक ही तरीके से लिखा गया था, और एक ही तरीके हस्ताक्षर किया गया था, जो संदेहजनक है।
जानकार सूत्रों के अनुसार, जिले के संसाधन केन्द्र में अर्से से प्रशिक्षण के नाम पर गड़बड़ी की जा रही है, जिसमें कई तरह की आर्थिक गड़बड़ी भी शामिल है। जिला पंचायत सदस्य अजय तिवारी ने आरोप लगाया कि मिलीभगत कर अधिकारी सरकारी फंड का जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं। केन्द्र में प्रशिक्षण देने के नाम पर गोलमाल किया जा रहा है, जिसे उन्होंने ने भी देखा है। प्रशिक्षण दिए जाने के नाम पर हो रहे घोटाले की जांच की जानी चाहिए। जिला पंचायत अध्यक्ष कविता साहू ने भी दो माह पूर्व केंद्र के दौरे के दौरान अनियमितता पाई थी, जिसे आज तक दुरुस्त नहीं किया गया है।
जवाबदेही से बच रहे प्रभारी
बताना होगा की केन्द्र में प्रशिक्षण के नाम पर अब तक 7 लाख रुपए खर्च किया जा चुका है, लेकिन प्रशिक्षण का सही लाभ किसे मिला, यह जांच का विषय है। ‘पत्रिकाÓ टीम के पहुंचते ही लेखापाल शेखर नंद मौके से नदारद हो गए। वहीं इसके जिम्मेदार जिला पंचायत उपसंचालक देवेन्द्र कौशिक से जानकारी मांगने पर उन्होंने साफ कह दिया कि इस बारे में अभी कुछ नहीं बता पाउंगा, बाद में ही जानकारी दे पाउंगा।
रजिस्टर में दो दर्ज, वे भी नदारद
लेखापाल शेखर सौदागर नंद ने बताया कि बुधवार को 5 प्रशिक्षु आए थे, लेकिन मंगलवार को 8 से 9 प्रशिक्षु आए थे, लेकिन रजिस्टर में बुधवार को केवल दो प्रशिक्षुओं योगेश साहू व प्रहलाद का नाम दर्ज था। इससे पूर्व मंगलवार को 18 प्रशिक्षुओ का नाम दर्ज था, वहीं एक का नाम दर्ज किया गया, पर आगे हस्ताक्षर के लिए स्थान खाली छोड़ दिया गया है। ज्यादातर नामों को एक ही पेन से एक ही तरीके से लिखा गया था, और एक ही तरीके हस्ताक्षर किया गया था, जो संदेहजनक है।