बेमेतरा

ये हैं भारत की सूरत बदलने वाले डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और युवा, जानिए कैसे अपनी नेक सोच से समाज को दे रहे नई दिशा

जिला मुख्यालय की तस्वीर बदलने शहर के जागरूक नागरिक एक साल से प्रयासरत हैं। उनके प्रयास से शहर के पुराने बांधा तालाब, कालिका तालाब, मुक्तिधाम, कन्या स्कूल मार्ग किनारे को नया स्वरूप मिला है।

बेमेतराAug 18, 2019 / 05:03 pm

Dakshi Sahu

ये हैं भारत की सूरत बदलने वाले डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और युवा, जानिए कैसे अपनी नेक सोच से समाज को दे रहे नई दिशा

बेमेतरा. जिला मुख्यालय की तस्वीर बदलने शहर के जागरूक नागरिक एक साल से प्रयासरत हैं। उनके प्रयास से शहर के पुराने बांधा तालाब, कालिका तालाब, मुक्तिधाम, कन्या स्कूल मार्ग किनारे को नया स्वरूप मिला है। आमतौर पर सार्वजनिक स्थलों की देखरेख, सड़कों पर गिट्टी डालने एवं पेड़ों को बचाने का काम सरकारी कर्मचारियों एवं नगर पालिका की ओर से किया जाता है, लेकिन जिला मुख्यालय के सजग नागरिकों ने यह जिम्मा उठा रखा है। संगठन के सदस्य रोजाना सुबह एक घंटे का समय शहर को सुंदर और व्यवस्थित बनाने के लिए तय कर रखा है।
हरियाली वापस लाई
सीसी रोड निर्माण के दौरान कन्या स्कूल से लगे इलाके के एक हिस्से पर लगे पेड़ को काटा गया था। लेकिन मौके पर पौधरोपण की सुध किसी ने नहीं ली। इस पर संगठन ने पहल कर मौके पर पौधरोपण किया। बाढ़ लगाया और हरियाली को वापस लाया गया।
सोशल मीडिया पर बताते हैं शहर की जरूरत
ग्रुप के कई सदस्य सोशल मीडिया में है, जो अपने कामकाजों को रिकॉर्ड करने के बाद वाइस ओवर के माध्यम से उक्त स्थल की समस्या, निराकरण व निराकरण के लिए नागरिकों से अपील करते हुए वीडियो जारी करते हैं, नतीजतन लोग भी जागरूक हो रहे हंै।
बांधा तालाब किया साफ
शहर के सबसे बड़े बांधा तालाब में वहां 18 माह पूर्व काम शुरू किया गया। इन्होंने तालाब का कचरा साफ किया। पार की सफाई की। पूरा मलमा निकाला गया। मेहनत के बाद जब तालाब के इस हिस्से का उपयोग होने लगा है। इसी तरह सभी ने मिलकर कालिका तालाब को संवारने में सार्थक भूमिका निभाई है।
मुक्तिधाम में की सफाई
मुक्तिधाम के पुराने पेड़ों के अवशेषों को हटाने और बैठने के स्थान को साफ करने का काम महीनों पहले संगठन ने किया था। इसके आलावा मुक्तिधाम से जुड़ी दिक्कतों केा अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया। जिससे मुक्तिधाम में दीवार की ऊंचाई बढ़ाई गई और बैठक शेड का निर्माण किया गया।
सड़क के गड्ढों को भरा
बारिश के दौरान नेशनल हाइवे पर बायपास व सडक चौड़ीकरण लंबित होने से शहर से होकर गुजरी सड़क पर कई गड्ढे हो थे। गड्ढे के खतरे को भांप कर सदस्यों ने उसे भरने का काम किया। सदस्य पांच दिन से कुदाल, फावड़ा लेकर गड्ढों को भरने का काम कर रहे हैं।
इनकी सकियता रहती है प्रतिदिन
शहर को अपना समझकर सुबह पौ फटने के साथ हाथ में फावड़ा लेकर संगठन के सदस् निकल पड़ते हैं। इसमें चिकित्सक, वकील, बड़े कारोबारी, शासकीय सेवक, रिटायर कर्मचारी, जनप्रतिनिधि एवं युवक शामिल हैं। इसमें डॉ सुभाष चौबे, रमन काबरा, सुशील शर्मा, रामा मोटवानी, विजय सेानी, गैंदलाल साहू, बंशी साहू, एलआर साहू, राज सिन्हा, तेजिन्दर चावला, संतोष चौहान, रमेेश त्रिपाठी, मंगीलाल राठी, नीतू कोठारी, संतोष चांडक, प्रणीश रजक, गणेश माहेश्वरी, गौरव शर्मा, शिशिर बाजपेयी, संतोष विश्वकर्मा, नालेश्वर साहू शामिल हैं।

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