बेमेतरा जिले में बमुश्किल 10 प्रतिशत आरटीपीसीआर टेस्ट हो रहा है, इसके लिए भी मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव पर निर्भर है। जिले में रैपिड टेस्टिंग ज्यादा हो रही है जबकि कोरोना की सही पुष्टि आरटीपीसीआर टेस्ट से ही होती है। आरटीपीसीआर वाली टेस्टिंग बढ़ाने की आवश्यकता है। केंद्रीय टीम के निरीक्षण के दौरान सीएमएचओ डॉ. एसके शर्मा, बेरला एसडीए संदीप ठाकुर, डीपीएम अनुपमा तिवारी आदि मौजूद थे ।
केंद्रीय टीम के अनुसार जिले में कंट्रोल पैनल का अभाव है। कंट्रोल पैनल द्वारा प्रत्येक पॉजिटिव मरीज की स्थिति को आंकलित करना चाहिए। उसकी बीमारी का स्टेज देखकर उसे होम क्वारंटाइन / हॉस्पिटलाइज्ड कराने की सलाह देनी चाहिए। होम क्वारंटाइन वाले मरीजों को ऑक्सीमीटर देना चाहिए या उन्हें ऑक्सीमीटर खरीदने की सलाह देनी चाहिए ताकि वे समय-समय पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोल रूम से प्रत्येक मरीज को नियमित कॉल करके उसका ऑक्सीजन लेवल पूछा जाना चाहिए। ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्हें अविलंब हॉस्पिटल में एडमिट करने हेतु स्वयं स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही सक्रियता बरती जानी चाहिए। वर्तमान में जिले में यही स्थिति है कि ज्यादातर होम क्वारंटाइन पॉजिटिव मरीजों को कंट्रोल रूम से कोई कॉल नहीं जाता है। गंभीर स्थिति में आने पर वे स्वयं ही हॉस्पिटलाइज होने के लिए भटकते हैं।
हॉस्पिटल में बेड की कमी को लेकर केंद्रीय टीम ने चिंता जताई कि मरीज की अवस्था में सुधार होने के बाद भी मरीज हॉस्पिटल नहीं छोड़ रहे हैं। तबीयत में सुधार होने के बाद आगे का इलाज होम क्वारंटाइन होकर अच्छे से किया जा सकता है। इससे दूसरे जरूरतमंद मरीज को बेड मिल सकेगा लेकिन मरीज पूरे सुधार के बाद ही घर जाना चाहते हैं। इस कारण पुराने मरीज के आवश्यकता से अधिक समय तक हॉस्पिटलाइजेशन में रहने से बेड जल्दी खाली नहीं हो पा रहे हैं। ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिससे कि अत्यंत जरूरतमंद मरीज को ही हॉस्पिटल में भर्ती किया जाए।
सांसद विजय बघेल ने कहा कि Chhattisgarh Government की लापरवाही और अनदेखी के चलते प्रदेश में कोरोना की स्थिति भयानक स्तर पर पहुंच गई है। अब राज्य शासन को चाहिए कि वह अपनी कुम्भकर्णी नींद से जागे और केंद्रीय टीम द्वारा दिए गए सुझावों पर गंभीरता से अमल करे। उन्होंने राज्य शासन के क्रियाकलापों पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि corona की भयावह स्थिति को लेकर कैबिनेट की बैठक तक नहीं बुलाई गई है। राज्य शासन के मंत्री जनसेवा के लिए सामने आने की बजाय दुबके पड़े हैं।