चार माह में ही बढ़ गई पेन की डिमांड
4 माह से महिलाओं ने खाली समय में पेन बनाना शुरू किया। महिलाओं ने बताया कि वे लिखो-फेंको पेन के अलावा टिप-टॉप वाला पेन भी बना रही हैं। फिलहाल स्कूल-कॉलेज खुलने लगे हैं। जिससे उनके पेन की खपत बढऩे की संभावना नजर आ रही है। स्थिति को देखते हुए महिलाओं ने अधिक श्रम करना शुरू कर दिया है।
4 माह से महिलाओं ने खाली समय में पेन बनाना शुरू किया। महिलाओं ने बताया कि वे लिखो-फेंको पेन के अलावा टिप-टॉप वाला पेन भी बना रही हैं। फिलहाल स्कूल-कॉलेज खुलने लगे हैं। जिससे उनके पेन की खपत बढऩे की संभावना नजर आ रही है। स्थिति को देखते हुए महिलाओं ने अधिक श्रम करना शुरू कर दिया है।
जिले के अधिकारियों ने दिया है पेन खरीदने का आश्वासन
जिले में महिला समूह की सदस्यों के कदम को देखते हुए मदद करना है। अब जिले में प्रशासनिक अधिकारियों की सहमति पर जिले के सभी 52 विभागों, आदिवासी आदिवासी विभाग के छात्रावास और शासकीय स्कूलों में महामाया स्वसहायता समूह को प्राथमिकता देकर पेन खरीदने की बात कही गई है।
जिले में महिला समूह की सदस्यों के कदम को देखते हुए मदद करना है। अब जिले में प्रशासनिक अधिकारियों की सहमति पर जिले के सभी 52 विभागों, आदिवासी आदिवासी विभाग के छात्रावास और शासकीय स्कूलों में महामाया स्वसहायता समूह को प्राथमिकता देकर पेन खरीदने की बात कही गई है।
प्रशिक्षण लेकर कर रहीं कारोबार
इस समूह में कुल 10 महिलाएं शामिल हैं। महिला चित्ररेखा यदु, सुमित्रा विश्वकर्मा, डगेश्वरी यदु एवं अन्य महिलाएं रुचि लेकर कार्य कर रही हैं। महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पेन बनाने से पहले प्रशिक्षण लिया है। फिर योजना के तहत कर्ज लेकर उपकरण खरीदने के बाद पेन बनाना शुरू किया। जिस पेन को स्कूल के दौरान लेकर जा रहे थे, उसी पेन को महिलाएं बना कर रोजगार पा रही हैं।
इस समूह में कुल 10 महिलाएं शामिल हैं। महिला चित्ररेखा यदु, सुमित्रा विश्वकर्मा, डगेश्वरी यदु एवं अन्य महिलाएं रुचि लेकर कार्य कर रही हैं। महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पेन बनाने से पहले प्रशिक्षण लिया है। फिर योजना के तहत कर्ज लेकर उपकरण खरीदने के बाद पेन बनाना शुरू किया। जिस पेन को स्कूल के दौरान लेकर जा रहे थे, उसी पेन को महिलाएं बना कर रोजगार पा रही हैं।