ग्रामीणों ने बताया कि खंडसरा सहित आसपास के गांवों में सरकारी घास जमीन पहले गायों के चारागाह के लिए सुरक्षित था। लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने इन स्थानों पर कब्जा कर लिया है और बकायदा धान, सोयाबीन व चना की फसल ले रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार ग्राम खंडसरा में ही लगभग 100 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया गया है। कब्जेधारियों ने अपनी राजनीतिक पहुंच का भय दिखाकर ग्रामीणों को चुप करा दिया है, जिसकी वजह से ग्रामसभा में भी ग्रामीण उनके खिलाफ कुछ भी कहने से डरते हैं। गंगाधर यादव ने बताया कि कब्जेधारी की दबंगई के कारण पंच-सरपंच भी अवैध कब्जा हटाने का प्रस्ताव लाने से पीछे हट जाते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि एक ओर राज्य सरकार छत्तीसगढ़ की पुरातन संस्कृति को बनाए रखने के लिए ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा अऊ बारी, ऐला बचाना है संगवारीÓ अभियान चला रही है। जिसके लिए गांव-गांव में गौठान बनाए जा रहे हैं। वहीं ग्राम खंडसरा में अवैध कब्जा के कारण गौठान नहीं बन पाया है। जिसके कारण मवेशी सड़कों पर विचरने और दुर्घटनाग्रस्त होकर दम तोडऩे के लिए मजबूर हो गई हैं। सड़कों पर मवेशियों के घूमने से सड़क हादसे बढ़ गए हैं। गायों की इस दुर्दशा पर चिंता जताते हुए ग्रामीणों ने कलक्टर को आवेदन कर गांव की चारागाह सरकारी घास जमीन को कब्जामुक्त करने और जल्द से जल्द गौठान बनाने की मांग की है।