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बेतुल

292 व्यापारियों पर बकाया है 25 लाख से अधिक, कंपनी थमा रही है नोटिस

वर्षों से व्यापारी जमा नहीं कर रहे शॉपिंग सेंटर की दुकानें और मकानों का किराया

बेतुलOct 20, 2019 / 10:47 pm

yashwant janoriya

292 व्यापारियों पर बकाया है 25 लाख से अधिक, कंपनी थमा रही है नोटिस

292 व्यापारियों पर बकाया है 25 लाख से अधिक, कंपनी थमा रही है नोटिस

सारनी. मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी ने दुकानदारों और प्लाट धारकों को किराया जमा करने नोटिस देने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। सिविल विभाग के रिकार्ड में 270 शेड (प्लाट) और शॉपिंग सेंटर की 22 दुकानें हैं। जिनका किराया प्रतिमाह की दर से व्यापारियों को भुगतान करना है, लेकिन बीते दस वर्षों में गिने चुने व्यापारियों ने ही दुकान आवंटन का शुल्क जमा किया है।
नियमित शुल्क जमा करने वाले व्यापारियों में सांईनाथ का नाम सबसे पहले हैं। वहीं बाकी व्यापारियों पर कंपनी का बकाया है। एक अनुमान के मुताबिक सभी व्यापारियों पर 25 लाख रुपए से अधिक बकाया है। जिसमें सरचार्ज शामिल नहीं है। बताया बताया जा रहा है कि शॉपिंग सेंटर की दुकानें और मकानों का किराया कंपनी ने 300 रुपए से बढ़ाकर 12 हजार रुपए तक कर दिया था। जिसे व्यापारियों और जनप्रतिनिधियों के अथक प्रयासों के बाद कंपनी ने कम करके 2700 रुपए कर दिया है। वहीं प्लाट आवंटन के शुल्क और सरचार्ज की स्पष्ट जानकारी सिविल विभाग के पास भी नहीं है। दरअसल, कंपनी द्वारा आवंटित किए गए प्लाटों को व्यापारियों ने बढ़ा लिया है। जिससे सरचार्ज की राशि बढ़ती जा रही है।
जारी है अतिक्रमण का दौर
मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी की भूमि पर अतिक्रमण का दौर बदस्तूर जारी है। जिसमें दुकान और मकान निर्माण शामिल है।कंपनी के रिकार्ड के अलावा ऐसे सैकड़ों मकान और दुकान है। जिनका कोई किराया कंपनी को नहीं दिया जाता। हालत यह है कि जिसे जहां खाली भूमि दिखाई दे रही है। वह वहीं मकान या दुकान निर्माण कर ले रहा है। इसकी जानकारी सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी के सिविल विभाग को भलीभांति है। बावजूद रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं किए जा रहे। यही वजह है कि अतिक्रमण का दौर बदस्तूर जारी है। वहीं विद्युत नगरी सारनी में लगभग एक दर्जन गेस्ट हाउस है। जिन पर कंपनी का किराया बकाया है। कई ऐसे में भी गेस्ट हाउस है। जिन्हें विक्रय कर दिया है, लेकिन आज भी नाम उन्हीं का है।
यहां भी यही है हाल
सिर्फ विद्युत नगरी सारनी ही नहीं। बल्कि कोल नगरी पाथाखेड़ा और उपनगरी शोभापुर भी डब्ल्यूसीएल की भूमि पर बसा है। रोजगार की चाह में सैकड़ों लोग मकान और दुकान बनाकर यहीं बस गए।खासबात यह है कि डब्ल्यूसीएल की भूमि पर निर्मित दुकानों का किराया सतपुड़ा ताप विद्युत गृह प्रबंधन की तरह नहीं वसूला जाता।जिसके चलते कोल नगरी और उपनगरी में कंपनी की भूमि पर अतिक्रमण कर मकान व दुकान निर्माण का दौर बदस्तूर जारी है। यूं कहे तो नगरपालिका परिषद सारनी अंतर्गत 36 में से 30 वार्ड औद्योगिक संस्थान की भूमि पर है।यहां वर्षों से निवासरत लोगों को स्थाई पट्टे दिलाने की मांग को लेकर बीते दिनों स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. कृष्णा मोदी द्वारा आंदोलन भी चलाया था।
इनका कहना है
व्यापार की स्थिति ठीक नहीं होने से व्यापारी जो किराया जमा करते हैं ले लेते हैं। कुछ व्यापारी नियमित किराया जमा कर रहे हैं कुछ व्यापारियों ने वर्षों से किराया जमा नहीं किया है। किराया जमा करने व्यापारियों को नोटिस दिए जा रहे हैं। 292 व्यापारियों पर 25 लाख रुपए से अधिक किराया बाकी है।
मंगल सिंह धुर्वे, सिविल अधिकारी, सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी
शॉपिंग सेंटर और एबी-टाइप शॉपिंग सेंटर का किराया कम करने मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्री से कई बार मुलाकात की। ज्ञापन सौंपा। तब जाकर शॉपिंग सेंटर का किराया कम किया है। घटते व्यापार को देखते हुए कंपनी और उर्जा मंत्री से किराया माफ करने या कम करने पुन: पत्राचार किया है।
विनय मालवीय, अध्यक्ष सतपुड़ा व्यापारी संघ, सारनी
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