scriptपढ़े, जर्जर भवन मालिकों को नोटिस जारी करने के बाद नपा क्यों बैकफुट पर आई | After issuing notice, municipality came on backfoot | Patrika News

पढ़े, जर्जर भवन मालिकों को नोटिस जारी करने के बाद नपा क्यों बैकफुट पर आई

locationबेतुलPublished: Jun 28, 2019 09:46:09 pm

Submitted by:

ghanshyam rathor

इंदौर में जर्जर भवन तोडऩे की कार्रवाई के दौरान विधायक द्वारा निगम कर्मचारियों को बेट से पीटे जाने की घटना के बाद बैतूल में जर्जर भवनों को डिसमेंटल किए जाने की कार्रवाई को नगरपालिका ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

dismantle

dismantle

बैतूल। इंदौर में जर्जर भवन तोडऩे की कार्रवाई के दौरान विधायक द्वारा निगम कर्मचारियों को बेट से पीटे जाने की घटना के बाद बैतूल में जर्जर भवनों को डिसमेंटल किए जाने की कार्रवाई को नगरपालिका ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अब नगरपालिका कार्रवाई में विवाद बताकर प्रकरण एसडीएम कार्यालय में भेजने की बात कह रही है और सीधे कार्रवाई करने से बच रही है। वहीं भवन स्वामी एवं किरायेदार के बीच आपसी विवाद के चलते जर्जर भवनों की हालत जस की तस बनी हुई है। उल्लेखनीय हो कि नगरपालिका ने एक माह पहले इंजीनियरों से सर्वे कराकर १२ भवन स्वामियों को नोटिस जारी किए थे। नोटिस में नगरपालिका अधिनियम १९६१ की धारा २२१ का हवाला देते हुए एक सप्ताह के भीतर जर्जर भवनों की आवश्यक मरम्मत कराने एवं डिसमेंटल के लिए कहा गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
नोटिस को लेकर भी विवाद
नगरपालिका द्वारा भवन स्वामियों को नगरपालिका अधिनियम १९६१ की धारा २२१ का हवाला देते नोटिस जारी किए गए हैं लेकिन नोटिस को लेकर भी सशंय एवं विवाद की स्थिति नजर आ रही है। जर्जर भवन को लेकर कांग्रेस नेता हेमंत वागद्रे को भी नोटिस जारी किया गया है। जबकि भवन उनके नाम पर न होकर उनकी मां के नाम से हैं। इसी प्रकार स्वीटी पटेल निवासी गंज ने विवाद के चलते कोर्ट से स्टे आर्डर ले आया था लेकिन उन्हें भी नोटिस जारी किया गया है। बताया गया कि नगपालिका के इंजीनियरों द्वारा शहर में सर्वे करने के बाद भवनों को चिन्हित कर जर्जर घोषित किया था। कुल १२ भवन चिन्हित किए गए थे।जिन्हें नोटिस भी जारी किए गए।
भवन स्वामी और किरायेदारों के बीच विवाद
नगरपालिका ने जिन भवनों को जर्जर एवं क्षतिग्रस्त घोषित कर दिया हैं उनमें से अधिकांश में भवन स्वामी एवं किरायेदारों के बीच आपसी विवाद की स्थिति है। भवन स्वामी बिल्डिंग को डिसमेंटल करने के पक्ष में हैं लेकिन सालों से काबिज किरायेदार बिल्डिंग को खाली नहीं करना चाहते हैं। यहीं कारण है कि विवाद के चलते कुछ एक मामले कोर्ट में विचाराधीन भी है। दोनों पक्षों के बीच विवादित स्थिति होने से जर्जर भवन का न तो मरम्मत हो सकी है और न ही डिसमेंटल किया जा रहा है। नगरपालिका ने जिन भवनों को जर्जर घोषित किया है वहां न तो कोई साइन बोर्ड लगाया गया है और न ही कोई सूचना चस्पा की गई है। इससे जर्जर भवनों के कारण आसपास के भवन भी खतरे में है।
क्या कहते हैं भवन स्वामी एवं किरायेदार
१. कोठीबाजार निवासी भवन स्वामी नूतन जैन का कहना है कि उन्हें नगरपालिका द्वारा १० मई को नोटिस जारी किया गया है। जिसमें जर्जर भवन की मरम्मत या उसे डिसमेंटल करने के लिए कहा गया है। चूंकि किरायेदार खाली नहीं कर रहे हैं इसलिए न तो भवन की मरम्मत हो पा रही है और न ही उसे डिसमेंटल किया जा सका है। इधर किरायेदार दिनेश सोनी ३० सालों से बिल्डिंग में कपड़े की दुकान चला रहे हैं। उनका कहना है कि बिल्डिंग क्षतिग्रस्त नहीं है। भवन स्वामी जबदस्ती दुकान खाली करना चाहते हैं। बिल्डिंग के छत की बाउंड्रीवाल ही क्षतिग्रस्त है जिसे मरम्मत कर ठीक कराया जा सकता है लेकिन दुकान खाली करने के लिए कहा जाता है। मामला विवादित होने के कारण नपा भी नोटिस जारी करने के बाद सीधे कार्रवाई करने से बच रही है।
२. गंज जवाहर वार्ड निवासी प्रतीक शाह को भी नगरपालिका ने जर्जर भवन को गिराने या मरम्मत के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन यहां भी किरायेदार के कब्जे वाली स्थिति के चलते मामला अधर में लटका है। प्रतीक शाह ने बताया कि बिल्डिंग १०० साल पुरानी है नपा के नोटिस के बाद हमनें बिल्डिंग की पूरी छत को तारपोलिन से ढांक दिया है लेकिन मिट्टी एंव लकड़ी से बना यह मकान कितने दिनों से टिका रह सकता है कहा नहीं जा सकता है। वहीं इस बिल्डिंग में दुकान संचालित करने वाले रामदीन राठौर सहित अन्य से संपर्क नहीं होने के कारण चर्चा नहीं हो सकी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो