scriptपॉवर प्लांट पहुंचने से पहले ही जंगल में उतार लेते हैं कोयला | Before the power plant arrives, take off in the woods | Patrika News

पॉवर प्लांट पहुंचने से पहले ही जंगल में उतार लेते हैं कोयला

locationबेतुलPublished: Jan 17, 2019 10:39:14 pm

Submitted by:

pradeep sahu

कहीं झाडिय़ों में तो कहीं नाले के मुहाने पर छिपाकर रखा है कोयला

पॉवर प्लांट पहुंचने से पहले ही जंगल में उतार लेते हैं कोयला

पॉवर प्लांट पहुंचने से पहले ही जंगल में उतार लेते हैं कोयला

सारनी. औद्योगिक नगरी में कोयले का काला खेल बदस्तूर जारी है। सतपुड़ा पॉवर प्लांट में पहुंचने से पहले ही जंगल में कोयला खाली हो रहा है। यहां से रात के अंधेरे में ट्रैक्टर ट्राली और डंपरों के जरिए यही कोयला आसानी से पार कर दिया जाता है। कोयले का यह काला खेल लंबे समय से चल रहा है, लेकिन अब तक खनिज विभाग, पुलिस प्रशासन, डब्ल्यूसीएल और मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी द्वारा कार्रवाई करने में रुचि नहीं ली गई है। यही वजह है कि इस खेल से जुड़े लोगों द्वारा बेखौफ कोयला परिवहन करने वाले डंपरों से कोयला निकालकर पहले नालों में छुपा दिया जाता है फिर उसे अपनी सुविधानुसार क्षेत्र से बाहर पहुंचा दिया जाता है। सारनी के राजडोह नदी के ढलान वाले क्षेत्र से लेकर खैरवानी की पुलिया तक जगह-जगह नालों के पाइपों में बड़ी मात्रा में कोयला छुपाकर रखा गया है। पत्रिका टीम द्वारा जब मौके का मुआयना किया गया तो एक-दो। नहीं बल्कि आधा दर्जन से अधिक पुलियाओं में कोयला मिला। किसी पर झाडिय़ां ढंकी थी तो किसी पर धूल। खासबात यह है कि जहां कोयला छुपाया गया है। उस क्षेत्र में बाकायदा पेट्रोलिंग होती है। फिर भी इतने बड़े खेल की किसी को भनक नहीं होना संदेह को जन्म देने जैसा है।
सतपुड़ा को होता है आपूर्ति – वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड पेंच, कन्हान क्षेत्र की खदानों से सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी को रोडसेल के जरिए कोयला आपूर्ति होता है। 24 घंटे डंपर चलते हैं। घने जंगल वाले क्षेत्र में डंपरों को रोककर उसमें 100 से 300 क्विंटल तक कोयला निकाल लिया जाता है। प्रति डंपरों से इतना कोयला निकालकर नालों में छुपा दिया जाता है। फिर मौके का फायदा उठाकर इसी कोयले को 6 से 7 हजार रुपए प्रति टन के हिसाब से बेच दिया जाता है। इस खेल में स्थानीय लोग भी जुड़े हैं।
कोयला संकट से जूझ रहा प्लांट- प्रदेश के प्रमुख प्लांटों में से एक सतपुड़ा ताप विद्युत गृह एक साल से कोयला संकट से जूझ रहा है। खपत अनुरूप कोयला नहीं मिलने पर लंबे समय तक प्लांट की एक इकाई को बंद रखी गई। जिन दिनों प्रदेश में सर्वाधिक बिजली की मांग रही। उन दिनों में ही लगातार इकाई बंद रखी गई। वजह कोयला संकट था। इस बीच भी सतपुड़ा को आपूर्ति होने वाले कोयले में सेंध लगती रही और इस गोरखधंधे से जुड़े लोग मालामाल होते रहे।
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