हालत बिगड़ने पर नागपुर किया रेफर
पाढ़र अस्पताल में इलाजरत एडीजे महेन्द्र त्रिपाठी और बड़े बेटे अभियान त्रिपाठी की हालत में कुछ सुधार आया। 25 जुलाई की सुबह भी जो लोग उनसे मिले तो उनकी दोनों से अच्छे से बात हुई थी और जल्द ही अस्पताल से छुट्टी की बात भी की। लेकिन 25 जुलाई की ही शाम दोनों की हालत बिगड़ गई और डॉक्टर्स ने उन्हें नागपुर रेफर कर दिया। बताया जा रहा है कि नागपुर ले जाते वक्त बेटे अभियान की रास्ते में ही मौत हो गई जबकि देर रात न्यायाधीश पिता ने भी दम तोड़ दिया। बताया ये भी जा रहा है कि गंज पुलिस ने न्यायाधीश के बयान ले लिए थे जिसमें उन्होंने आटे की जांच की बात कही थी। पुलिस ने आटा जब्त कर घर सील कर दिया है।
इंदौर से मंगाया था आटा
बताया यह भी गया कि आटा शायद इंदौर से आया था और एक सूत्र के अनुसार आटे में किसी के व्दारा कुछ मिलाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि न्यायाधीश त्रिपाठी तो डायबिटीज और बीपी के मरीज थे लेकिन उनका बड़ा बेटा अभियान किसी बॉडी बिल्डर से कम नहीं था, ऐसे में सिर्फ फूड प्वाइजनिंग से उसकी मौत किसी के गले नहीं उतर रही। एक तथ्य यह भी है कि मौत से पहले दोनों करीब ढाई दिन पाढर अस्पताल में उपचाररत रहे। इतने लंबे समय में फूड प्वाइजनिंग सरीखी बीमारी आमतौर पर कंट्रोल में आ जाती है। लेकिन इलाज के बाद भी स्थिति बिगड़ी और पाढर अस्पताल से जाने के कुछ घंटों के अंदर ही बाप-बेटे की मौत हो गई।