दर्शनार्थी मनोहर अग्रवाल बतातें है कि यह मंदिर भाई बहन के नाम से अब प्रदेश सहित देश भर में प्रसिद्धि पाने लगा है। यहां मकर संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है, जो सूर्य उपासना करते हुए उनकी कृपा पाने की गुहार लगाते है। मां ताप्ती के प्रति आस्था रखने वाले लोगो का कहना है कि पूरे भारत वर्ष में ताप्ती तट किनारे यह ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां पर सूर्य भगवान अपने पूरे पारिवारिक सदस्यों के साथ विराजे हैं। जहां पर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
मंदिर के पुजारी राजेश दुबे बताते हैं कि धार्मिक मान्यता व पुराणों के अनुसार मां ताप्ती को आदि गंगा भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार जब सृष्टि की रचना की गई थी तब से ही मां ताप्ती पृथ्वी पर हैं। जबकि अन्य नदियां जिनका वर्णन धार्मिक ग्रंथों में है। उनमें से अधिकांश नदियों को ऋषि-मुनियों व अन्य तपस्वियों द्वारा उपासना करते हुए पृथ्वी पर लाने का कार्य किया गया है, जबकि सृष्टि की शुरुआत से ही मां ताप्ती नदी का अस्तित्व में होना बताया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार शनि भगवान ने अपनी बहन ताप्ती को यह वरदान दिया था कि जो भी ताप्ती नदी में स्नान करने के बाद उनकी उपासना करेगा उसे शनि का प्रभाव कम होगा। इसी मान्यता को मानने वालों की संख्या हजारों में है, जिन पर भी शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है। वह कम से कम पांच शनिवार मां ताप्ती में स्नान करने के बाद सूर्य की उपासना व शनि देव की पूजा करने के बाद हनुमान जी के दर्शन का लाभ लेते हैं । ताप्ती में आस्था रखने वाले भक्त कहते हैं कि ऐसा करने से उन्होंने अपने जीवन में काफी सकारात्मक बदलाव भी देखे हैं।