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तीन साल बाद फिर नगरपालिका ने इस डैम को लेकर जताई चिंता

locationबेतुलPublished: Apr 10, 2019 01:56:47 pm

Submitted by:

sandeep nayak

माचना में होगा गहरीकरण नपा ने मांगी अनुमति

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तीन साल बाद फिर नगरपालिका ने इस डैम को लेकर जताई चिंता

खबर ०२ फोटो ०१ एवं ०२ कैप्श्र बैतूल। माचना डैम गर्मी से पहले ही पूरी तरह से सूख चुका हैं।
खबर ०२ फोटो ०३ कैप्शन बैतूल। २७ मार्च को पत्रिका ने डैम के गहरीकरण कराए जाने के लिए खबर प्रकाशित की थी।
बैतूल। तीन साल के लंबे अरसे के बाद एक बार फिर माचना डैम के गहरीकरण को लेकर नगरपालिका ने चिंता जताई है। डैम में जमा सिल्ट को हटाकर गहरीकरण किए जाने के लिए नगरपालिका ने कलेक्टर को पत्र लिखा है। नगरपालिका का कहना था कि विगत तीन साल से डैम का गहरीकरण नहीं कराया गया है। डैम में अत्याधिक मात्रा में सिल्ट जमा होने के कारण पानी के स्टोरेज की क्षमता कम हो गई है। डैम का यदि गहरीकरण कराया जाता है तो पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सकेगा। उल्लेखनीय हो कि पत्रिका ने २७मार्च को डैम से पानी लाने में माचना को भूली नपा शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। जिसके बाद नगरपालिका ने डैम के गहरीकरण कराए जाने की सुध ली है।
30 हजार घनमीटर क्षेत्र में होना है खुदाई
माचना डैम में मौजूद सिल्ट को हटाए जाने के लिए ३० हजार घनमीटर क्षेत्र में खुदाई किए जाने की अनुमति नगपालिका द्वारा मांगी गई है। नगरपालिका द्वारा कलेक्टर को लिख पत्र में बताया कि ५०० मीटर गुणांक ३० मीटर गुणांक २.० मीटर बराबर से ३० हजार घन मीटर सिल्ट निकाली जाना है। इससे जहां नदी की गहराई बढ़ जाएगी वहीं बारिश के दौरान जल संग्रहण की क्षमता में भी वृद्धि होगी। इसके साथ ही पानी के परकोलेेशन की संभावना भी बढ़ जाएगी। चूंकि बारिश का दो माह का समय शेष रह गया है ऐसे में नगरपालिका की कोशिश है कि दो महीने के अंदर डैम का गहरीकरण करा लिया जाए ताकि पानी भरपूर मात्रा में संग्रहण किया जा सके।

जनभागीदारी के माध्यम से होगा गहरीकरण
जनभागीदारी के माध्यम से माचना डैम के गहरीकरण का प्रस्ताव नगरपालिका द्वारा लिया गया है। नगरपालिका ने बताया कि शहर के प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा जनहित में स्वयं के संसाधनों से माचना डैम का गहरीकरण कराए जाने के लिए सहमति प्रदान की गई है। उल्लेखनीय हो कि तीन साल पहले कलेक्टर ज्ञानेश्वर बी पाटिल द्वारा माचना डैम के सूखने पर गहरीकरण किए जाने के लिए प्रयास किए गए थे। उस आमजन के अलावा मशीनों के माध्यम से डैम का गहरीकरण कराया गया था। जिसके बाद डैम के जलसंग्रहण की क्षमता में भी वृद्धि हुई थी।

फरवरी से पहले ही सूख गई माचना
इस साल फरवरी माह में ही माचना नदी पूरी तहर से सूख गई है। वैसे दिसंबर २०१८ से ही माचना में पानी खत्म होना शुरू हो गया था। चूंकि ताप्ती से पेयजल की सप्लाई शुरू हो गई थी तो नगरपालिका ने माचना की तरफ ध्यान देना छोड़ दिया। यहीं कारण रहा कि माचना से सप्लाई भी बंद कर दी गई। वर्तमान में माचना डैम पूरी तरह से सूख चुका हैं। पानी की एक बूंद तक डोह में मौजूद नहीं है। जबकि नगरपालिका द्वारा माचना नदी में पानी लाने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च कर लाखापुर जलाशय से १८ किमी लंबी पाइप लाइन बिछाई गई थी। ठेकेदार द्वारा पाइप लाइन का काम भी अधूरा छोड़ दिया गया था। इसके अलावा ग्राम बाजपुर में नगरपालिका द्वारा हजार फीट के तीन बोर खनन भी लाखों रुपए खर्च कर कराए गए थे। इस पूरी कवायद के बाद भी नगरपालिका माचना को पुर्नजीवित नहीं कर पाई।
इनका कहना
– माचना डैम में काफी सिल्ट जमा हो गई है।डैम की सफाई कराए जाने की अनुमति के लिए हमारे द्वारा कलेक्टर एवं खनिज अधिकारी को पत्र लिखा गया है। अनुमति मिलने के बाद डैम का गहरीकरण कराया जाएगा ताकि अधिक मात्रा में बारिश के जल का संग्रहण किया जा सके।
– प्रियंका सिंह, सीएमओ नगरपालिका बैतूल।

फैक्ट फाइल
माचना नदी क्षेत्रफल ८२ वर्ग किलोमीटर
बांध संचय क्षमता १३.६५ करोड़ लीटर
बांध की लंबाई १०० मीटर
बांध की ऊंचाई ४.६ मीटर
पंप हाउस व्यास ४.५ मीटर
पंप हाउस की ऊंचाई १८ मीटर
जल शोधन संयंत्र ३४ लाख लीटर प्रतिदिन
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