उद्योग
उद्योगों को रॉ मटेरियल सहित बिजली आदि में सब्सिडी की सुविधा दी जाए।ताकि उद्योगों का संचालन शुरू हो सके और इससे प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार मिल सके।
पशुपालन
जिले में पशुपालन एवं पशुधन आधारित डेयरी उद्योगों बहुतायत में है। इसके बेहतर विकास के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराई जाए। जो किसान सिर्फ खेती पर निर्भर हैं उन्हें भी पशुपालन से जोड़ा जाए।
स्वरोजगार
लघु व कुटीर उद्योग के जरिए स्वरोजगार से जोडऩे का अभियान शुरू हो।
ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराए।
जैविक खेती
जिले की अर्थव्यवथा खेती पर आधारित हैं इसलिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए। जैविक उत्पाद के लिए मार्केट डेवलप किया जाए, ताकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिल सके और किसान परेशान न हो।
अर्थव्यवस्था
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए मनरेगा सहित अन्य सरकारी निर्माण योजनाओं में रोजगार मजदूरों को उपलब्ध कराए जाएं। जिले में अधिक से अधिक काम खोले जाए और सभी को रोजगार देने की कोशिश हो।
स्वरोजगार
जिले में सरकारी नौकरी के अलावा रोजगार के अन्य कोई साधन नहीं है। इसलिए स्वरोगार को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं संचालित की जाए। बेरोजगार को रोजगार के लिए रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाए।
जिले की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए स्किल डेवलपमेंट जैसे प्रोग्राम ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित किए जाए। लघु एवं कुटीर उद्योग संचालित हो जिसमें महिलाओं को जोड़ा जाए, ताकि लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
सप्लाई चेन बने मजबूत
कोरोना महामारी के दौरान जो मजदूर तबका महानगरों से लौट रहा है उनमें कई स्किल वर्कर भी शामिल है। इनका उपयोग हमें जिले की अर्थव्यवस्था और उद्योगों को मजबूत बनाने के लिए कर सकते हैं। उद्योग के दो हिस्से हैं पहला सप्लाई और दूसरा डिमांड हमारे राज्य में जितना भी काम किया जा रहा है वह सप्लाई साइड में हो रहा है। हमें डिमांड को भी मजबूत करना होगा। शासन से हमारी मांग है कि सप्लाई चेन को मजबूत किया जाए।
आशीष पांडे, जिलाध्यक्ष उद्योग संघ
उद्योग पतियों के लिए तो यह दूसरी महामारी का काल है। पहली महामारी जीएसटी और नोटबंदी के रूप में सामने आई थी जिसने उद्योगों की कमर तोड़ दी थी। जैसे-तैसे उद्योग खड़े हुए तो कोरोना महामारी में मजदूरों का पलायन और भारी भरकम बिजली बिलों ने उद्योगों को बर्बाद कर दिया है। सरकार मजदूरों और उद्योगपतियों के बारे में नहीं सोच रही है। सिर्फ वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है।इस ओर भी सरकार को ध्यान देना होगा।
सुखदर्शन सिंह, उद्योगपति बैतूल
सरकार ने उद्योगों को जो आर्थिक पैकेज दिया हैं वह आकर्षक तो हैं लेकिन जब तक उद्योगपति ऋण नहीं लेंगे तो इस पैकेज का कोई मतलब नहीं है। सोशल डिस्टेंसिंग के कारण श्रमिकों की कमी उद्योगों के संचालन में मुश्किलें खड़ी कर सकता है। श्रमिक कम होंगे तो प्रोडेक्शन कम होगा। उद्योग मुनाफे में नहीं चलेंगे। उद्योगों के संचालन में छूट देना चाहिए। उद्योगों के निरंतरता के लिए अतिक्ति पैकेज देना चाहिए।
एसएन मनोटे, महाप्रबंधक जिला उद्योग संघ बैतूल
उद्योगों के संचालन में बिजली और रॉ मटेरियल सहित श्रमिकों की समस्या आ रही है। खासकर बिजली का बिल उद्योगपतियों की कमर तोड़ दे रहा है। आज विद्युत कंपनी उद्योग बंद होने के बाद भी अनाप-शनाप बिजली बिल भेज रही है। वसूली के लिए भी उद्योगपतियों पर दबाव बनाया जा रहा है। हम चाहते हैं कि बिजली बिलों के भुगतान में सरकार उद्योगपतियों को थोड़ी राहत प्रदान करें। जब उद्योग ठीक तरह से संचालित होने लगेंगे तो बिजली बिल भरने में कोई दिक्कत नहीं है।
सलमान पटेल, युवा उद्योगपति
कोरोना संक्रमण की वजह से जिले में कई कैटेगिरी के मजदूर जिले में लौट रहे हैं। इन मजदूरों के सामने आज रोजी-रोटी के संकट के साथ ही रोजगार एक बड़ा प्रश्न है। ऐसे मजदूरों के आर्थिक विकास के लिए हमें स्वसहायता समूहों के माध्यम से स्वरोजगार जैसे कार्य संचालित करने होंगे। कुटीर उद्योगों का संचालन कर रोजगार को बढ़ावा देना होगा ताकि आर्थिक रूप से मजदूर तबका मजबूत हो सके।
मधुकर साबले, प्रदेशाध्यक्ष भारतीय मजदूर संघ बैतूल
परंपरागत कामों पशुपालन,जैविक खेती, मछली पालन को बढ़ाना देना होगा। जिससे ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरी चलती रहेगी। जिले में बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू करना होगा। जिले के मजदूरों को जिले में ही रोजगार मिल सके। हम सभी को मिलकर इस वैश्विक महामारी कोरोना को हराना है। पुन: हमारे भारत को मजबूत बनाना है। जैविक खेती के लिए मार्केट हो तो इसे बड़े स्तर पर किया जा सकता है।
सुनील सरियाम, संरक्षक ठेका मजदूर संघ सारणी