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Lockdown 4.0: उद्योगपति, मजदूर संगठन प्रतिनिधि ने कहा उद्योगों को राहत और परंपरागत रोजगार को मिले बढ़ावा

locationबेतुलPublished: May 27, 2020 01:51:37 pm

Submitted by:

poonam soni

जिले के उद्योगपति, मजदूर संगठन प्रतिनिधि, विषय विशेषज्ञों के साथ वेबिनार पर बैतूल पत्रिका ने की चर्चा

Lockdown 4.0: उद्योगपति, मजदूर संगठन प्रतिनिधि ने कहा उद्योगों को राहत और परंपरागत रोजगार को मिले बढ़ावा

Lockdown 4.0: उद्योगपति, मजदूर संगठन प्रतिनिधि ने कहा उद्योगों को राहत और परंपरागत रोजगार को मिले बढ़ावा

बैतूल। कोरोना ने जिले की अर्थव्यवस्था को उजाड़ दिया है। पलायन हजारों मजदूरों का सड़कों पर बेहद दर्द भरे अनुभवों से रुबरु करा रहा है। अन्य राज्यों से वापस लौटें हजारों लोगों और मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना एक चुनौती बना हुआ है। जिले में उद्योगपतियों को सुविधा और पशुपालन, जैविक खेती,स्किल डेव्लपमेंट, लघु व कुटीर उद्योग,कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिले तो वापस लौटे मजदूर अपनी कार्यकुशला से फिर से जान फंूक सकते हैं। जिले में मुंबई, गुजराज, महाराष्ट्र पुणे, तमिलनाडू आदि राज्यों से लौटे मजदूर जिले के उद्योग टायर, पाइप, मार्बल, फूड प्रोडक्ट यूनिटों को गति दे सकते हैं। बाहर से लौटे कई मजदूरों में कामों को लेकर काबलियत है। मजदूर जब अपनी मेहनत से अन्य राज्यों को संवार सकते हैं तो बैतूल में भी कर सकते हैं। पत्रिका ने नए भारत अभियान में हर तबके के प्रतिनिधियों ने एक मन से स्वीकार किया कि यही वक्त है जब स्थानीय प्रोडक्ट को स्थानीय श्रमिकों की मदद से बढ़ा स्वरुप दिया जा सकता है। जिले में रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं। जिलेवासियों की मेहनत, जज्बा और जुनून एक नया बैतूल बना सकता है। संकट के इस दौर में सभी को एक साथ मिलकर चलने की जरुरत है।
जिले की यह है प्राथमिकताएं
उद्योग
उद्योगों को रॉ मटेरियल सहित बिजली आदि में सब्सिडी की सुविधा दी जाए।ताकि उद्योगों का संचालन शुरू हो सके और इससे प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार मिल सके।
पशुपालन
जिले में पशुपालन एवं पशुधन आधारित डेयरी उद्योगों बहुतायत में है। इसके बेहतर विकास के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराई जाए। जो किसान सिर्फ खेती पर निर्भर हैं उन्हें भी पशुपालन से जोड़ा जाए।
स्वरोजगार
लघु व कुटीर उद्योग के जरिए स्वरोजगार से जोडऩे का अभियान शुरू हो।
ऐसे लोगों को सरकार कम
ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराए।
जैविक खेती
जिले की अर्थव्यवथा खेती पर आधारित हैं इसलिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए। जैविक उत्पाद के लिए मार्केट डेवलप किया जाए, ताकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिल सके और किसान परेशान न हो।
अर्थव्यवस्था
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए मनरेगा सहित अन्य सरकारी निर्माण योजनाओं में रोजगार मजदूरों को उपलब्ध कराए जाएं। जिले में अधिक से अधिक काम खोले जाए और सभी को रोजगार देने की कोशिश हो।
स्वरोजगार
जिले में सरकारी नौकरी के अलावा रोजगार के अन्य कोई साधन नहीं है। इसलिए स्वरोगार को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं संचालित की जाए। बेरोजगार को रोजगार के लिए रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाए।
स्किल डेवलपमेंट
जिले की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए स्किल डेवलपमेंट जैसे प्रोग्राम ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित किए जाए। लघु एवं कुटीर उद्योग संचालित हो जिसमें महिलाओं को जोड़ा जाए, ताकि लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
क्या कहते हैं उद्योगपति
सप्लाई चेन बने मजबूत
कोरोना महामारी के दौरान जो मजदूर तबका महानगरों से लौट रहा है उनमें कई स्किल वर्कर भी शामिल है। इनका उपयोग हमें जिले की अर्थव्यवस्था और उद्योगों को मजबूत बनाने के लिए कर सकते हैं। उद्योग के दो हिस्से हैं पहला सप्लाई और दूसरा डिमांड हमारे राज्य में जितना भी काम किया जा रहा है वह सप्लाई साइड में हो रहा है। हमें डिमांड को भी मजबूत करना होगा। शासन से हमारी मांग है कि सप्लाई चेन को मजबूत किया जाए।
आशीष पांडे, जिलाध्यक्ष उद्योग संघ
बिजली बिल में मिले छूट
उद्योग पतियों के लिए तो यह दूसरी महामारी का काल है। पहली महामारी जीएसटी और नोटबंदी के रूप में सामने आई थी जिसने उद्योगों की कमर तोड़ दी थी। जैसे-तैसे उद्योग खड़े हुए तो कोरोना महामारी में मजदूरों का पलायन और भारी भरकम बिजली बिलों ने उद्योगों को बर्बाद कर दिया है। सरकार मजदूरों और उद्योगपतियों के बारे में नहीं सोच रही है। सिर्फ वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है।इस ओर भी सरकार को ध्यान देना होगा।
सुखदर्शन सिंह, उद्योगपति बैतूल
मिले अतिरिक्त पैकेज
सरकार ने उद्योगों को जो आर्थिक पैकेज दिया हैं वह आकर्षक तो हैं लेकिन जब तक उद्योगपति ऋण नहीं लेंगे तो इस पैकेज का कोई मतलब नहीं है। सोशल डिस्टेंसिंग के कारण श्रमिकों की कमी उद्योगों के संचालन में मुश्किलें खड़ी कर सकता है। श्रमिक कम होंगे तो प्रोडेक्शन कम होगा। उद्योग मुनाफे में नहीं चलेंगे। उद्योगों के संचालन में छूट देना चाहिए। उद्योगों के निरंतरता के लिए अतिक्ति पैकेज देना चाहिए।
एसएन मनोटे, महाप्रबंधक जिला उद्योग संघ बैतूल
बिजली में मिले राहत
उद्योगों के संचालन में बिजली और रॉ मटेरियल सहित श्रमिकों की समस्या आ रही है। खासकर बिजली का बिल उद्योगपतियों की कमर तोड़ दे रहा है। आज विद्युत कंपनी उद्योग बंद होने के बाद भी अनाप-शनाप बिजली बिल भेज रही है। वसूली के लिए भी उद्योगपतियों पर दबाव बनाया जा रहा है। हम चाहते हैं कि बिजली बिलों के भुगतान में सरकार उद्योगपतियों को थोड़ी राहत प्रदान करें। जब उद्योग ठीक तरह से संचालित होने लगेंगे तो बिजली बिल भरने में कोई दिक्कत नहीं है।
सलमान पटेल, युवा उद्योगपति
लघु और कुटीर उद्योगों पर दिया जाए जोर
कोरोना संक्रमण की वजह से जिले में कई कैटेगिरी के मजदूर जिले में लौट रहे हैं। इन मजदूरों के सामने आज रोजी-रोटी के संकट के साथ ही रोजगार एक बड़ा प्रश्न है। ऐसे मजदूरों के आर्थिक विकास के लिए हमें स्वसहायता समूहों के माध्यम से स्वरोजगार जैसे कार्य संचालित करने होंगे। कुटीर उद्योगों का संचालन कर रोजगार को बढ़ावा देना होगा ताकि आर्थिक रूप से मजदूर तबका मजबूत हो सके।
मधुकर साबले, प्रदेशाध्यक्ष भारतीय मजदूर संघ बैतूल
परंपरागत कामों को मिले बढ़ावा
परंपरागत कामों पशुपालन,जैविक खेती, मछली पालन को बढ़ाना देना होगा। जिससे ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरी चलती रहेगी। जिले में बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू करना होगा। जिले के मजदूरों को जिले में ही रोजगार मिल सके। हम सभी को मिलकर इस वैश्विक महामारी कोरोना को हराना है। पुन: हमारे भारत को मजबूत बनाना है। जैविक खेती के लिए मार्केट हो तो इसे बड़े स्तर पर किया जा सकता है।
सुनील सरियाम, संरक्षक ठेका मजदूर संघ सारणी
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