पहली में पांच और तीसरी में चार बच्चे ही क्यों…
उपस्थिति पंजी देखने के दौरान जिला पंचायत सीईओ ने पाया की कक्षा पहली में पांच ही बच्चे दर्ज है और कक्षा तीसरी में चार बच्चे, चौथी में छह बच्चे, आंगनबाड़ी की 6 साल की छोटी सी बच्ची भी इस संस्थान में रहती है बच्चों की दर्ज संख्या काफी कम है। जो बच्चे दर्ज हैं वह आस-पास के गांव के ही है जिनके घर में ही अच्छे स्कूल उपलब्ध हैं। उन्होंने प्रधान पाठक से कहां की संस्थान का कार्य संतोषप्रद नहीं है। केंद्र सरकार का उद्देश्य दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में जहां शिक्षा की व्यवस्था नहीं है वहां के बच्चों को आपके संस्थान के माध्यम से शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩा है मगर आपके यहां दो तीन किलोमीटर दूरी के बच्चों को दर्ज किया है।
उपस्थिति पंजी देखने के दौरान जिला पंचायत सीईओ ने पाया की कक्षा पहली में पांच ही बच्चे दर्ज है और कक्षा तीसरी में चार बच्चे, चौथी में छह बच्चे, आंगनबाड़ी की 6 साल की छोटी सी बच्ची भी इस संस्थान में रहती है बच्चों की दर्ज संख्या काफी कम है। जो बच्चे दर्ज हैं वह आस-पास के गांव के ही है जिनके घर में ही अच्छे स्कूल उपलब्ध हैं। उन्होंने प्रधान पाठक से कहां की संस्थान का कार्य संतोषप्रद नहीं है। केंद्र सरकार का उद्देश्य दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में जहां शिक्षा की व्यवस्था नहीं है वहां के बच्चों को आपके संस्थान के माध्यम से शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩा है मगर आपके यहां दो तीन किलोमीटर दूरी के बच्चों को दर्ज किया है।
जिपं सीईओ ने कहा कैसे हो रहा काम
घोड़ाडोंगरी. जिला पंचायत सीईओ शीला दाहिमा ने शिक्षा समिति से संस्था के सेटअप के बारे में, सरकारी अनुदान , कलेक्टर से लिए एपरूवल के बारे में, ई पेमेंट , टीचरों के खाते नंबर , छात्राओं की सूची एवं मेडिकल की जानकारी के बारे में शिष्यवृत्ती के अंतर्गत दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में जब जानकारी मांगी तो संस्था द्वारा किसी तरह की जानकारी संस्था में उपलब्ध ना होने की बात कही। जिस पर सीईओ ने कहा कि संस्थान के हर छात्रा की जानकारी समग्र शिक्षा पोर्टल पर दर्ज नहीं है फिर इतने समय से आप शासन से पैसा कैसे ले रहे हैं। संस्थान के संचालन के लिए शासन की कुछ गाइड लाईन होती है। उन्होंने लापरवाही पर कार्रवाई की बात कहीं।
घोड़ाडोंगरी. जिला पंचायत सीईओ शीला दाहिमा ने शिक्षा समिति से संस्था के सेटअप के बारे में, सरकारी अनुदान , कलेक्टर से लिए एपरूवल के बारे में, ई पेमेंट , टीचरों के खाते नंबर , छात्राओं की सूची एवं मेडिकल की जानकारी के बारे में शिष्यवृत्ती के अंतर्गत दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में जब जानकारी मांगी तो संस्था द्वारा किसी तरह की जानकारी संस्था में उपलब्ध ना होने की बात कही। जिस पर सीईओ ने कहा कि संस्थान के हर छात्रा की जानकारी समग्र शिक्षा पोर्टल पर दर्ज नहीं है फिर इतने समय से आप शासन से पैसा कैसे ले रहे हैं। संस्थान के संचालन के लिए शासन की कुछ गाइड लाईन होती है। उन्होंने लापरवाही पर कार्रवाई की बात कहीं।