खपत के अनुरूप नहीं मिला कोयला तो बंद करनी पड़ सकती है पुरानी इकाई
बेतुलPublished: Apr 23, 2019 10:42:46 pm
सतपुड़ा पॉवर प्लांट में फिर गहराया कोयला संकट
खपत के अनुरूप नहीं मिला कोयला तो बंद करनी पड़ सकती है पुरानी इकाई
सारनी. मप्र के सरकारी बिजली घरों में एक बार फिर कोयला संकट गहरा गया है जिससे बिजली उत्पादन पर असर पडऩे से इंकार नहीं किया जा सकता। 1330 मेगावाट क्षमता के सतपुड़ा पॉवर प्लांट में महज दो दिन का कोल स्टॉक है। यही हाल 1340 मेगावाट के बिरसिंहपुर पॉवर प्लांट के भी हैं। प्रदेश के सबसे बड़े सुपर क्रिटिकल प्लांट खंडवा में भी महज 5 दिन का ही कोल स्टॉक है। प्रदेश के चार बिजली घरों में कुल 2 लाख 52 हजार मीट्रिक टन कोयला है। खपत के अनुरूप कोयला नहीं मिलने से बिजली घर प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सतपुड़ा पॉवर प्लांट की 210 मेगावाट की 8 नंबर इकाई पहले से ही बंद है बावजूद इसके सतपुड़ा के जरूरत के मुताबिक कोयला नहीं मिल रहा। मंगलवार को रोडसेल से 5 हजार मीट्रिक टन के स्थान पर 2040 मीट्रिक टन ही कोयला मिला। हालत यह है कि कोयला संकट कम करने छोटी इकाइयों का लोड घटाना पड़ रहा है। दो दिन सतपुड़ा को खपत के अनुरूप कोयला नहीं मिला तो यहां की तीन छोटी इकाइयों का लोड घटा दिया जाएगा। गौरतलब है कि मप्र में थर्मल पॉवर प्लांट की विद्युत उत्पादन क्षमता 5400 मेगावाट और हाइड्रल प्लांट की क्षमता 2435 मेगावाट है। वहीं सतपुड़ा ताप विद्युत गृह की 210 मेगावाट की 8 नंबर इकाई लंबे समय से बंद है। इस इकाई के आईडी फेन में तकनीकी खराबी आई थी। संधारण कार्य चल रहा है। फिलहाल इकाई बंद है। आईडी फेन का काम पूरा होते ही टरबाइन का कार्य किया जाएगा। ऐसा करने से इकाई का संधारण कार्य भी हो जाएगा और कोयला संकट से जूझ रहे सतपुड़ा में कोयले की खपत भी कम होगी।
बिजली उत्पादन पर पड़ रहा असर – प्रदेश के बिजली घरों में कोयला संकट की आहट से प्रबंधन चिंतित है। अभी से इकाइयों का लोड घटाना, तकनीकी काम निकालकर इकाई को बंद रखना। वार्षिक संधारण कार्य करना जैसे कार्य कराए जा रहे हैं ताकि प्लांट में कम से कम कोयले की खपत हो। हालांकि इसका असर बिजली उत्पादन पर पड़ता है। वार्षिक उत्पादन पिछडऩे के कारण में कोयला संकट भी एक कारण है। सतपुड़ा की 210 मेगावाट की 8 नंबर, श्रीसिंगाजी पॉवर प्लांट खंडवा के फेस-टू की 660 मेगावाट की इकाई फिलहाल बंद है।