कोरोना इफैक्ट: 400 सालों में पहली बार मलाजपुर में नहीं लगा भूतों का मेला
चिचोली। पूरे देश भर में प्रसिद्ध श्री गुरु साहब बाबा समाधि स्थल पर प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा पर भूतों के नाम से लगने वाले मेला इस साल कोरोना संक्रमण की वजह से प्रशासन द्वारा स्थगित कर दिया। हालांकि श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए समाधि स्थल पर जाने की छूट दी है। मलाजपुर के400 सालों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब समाधि स्थल पर मेले का आयोजन नहीं किया गया।
बेतुल
Updated: January 17, 2022 10:33:04 pm
चिचोली। पूरे देश भर में प्रसिद्ध श्री गुरु साहब बाबा समाधि स्थल पर प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा पर भूतों के नाम से लगने वाले मेला इस साल कोरोना संक्रमण की वजह से प्रशासन द्वारा स्थगित कर दिया। हालांकि श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए समाधि स्थल पर जाने की छूट दी है। मलाजपुर के ४०० सालों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब समाधि स्थल पर मेले का आयोजन नहीं किया गया।
चिचोली तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूरी पर मलाजपुर ग्राम में पूरी श्रद्धा, धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा के बीच पौष पूर्णिमा पर गुरु साहब बाबा समाधि स्थल पर श्रद्धालुओं ने माथा टेक कर अपनी मन्नतें मांगी। मान्यता है कि गुरु साहब समाधि स्थल पर प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति को ले जाकर समाधि स्थल की परिक्रमा कराने पर वह प्रेत बाधा मुक्त हो जाता है। सदियों से यह चमत्कार लोग अपने सामने देखते आ रहे हैं। गुरु साहब बाबा दरबार पवित्र धार्मिक स्थल मलाजपुर में विगत ४०० वर्षों से पौष पूर्णिमा पर मेला लगता है। मेले में देश भर से लोग अपनी परेशानी लेकर पहुंचे हैं।
गुरूसाहब दरबार में लगता है मेला
गुरुसाहब बाबा ने मलाजपुर में सन् 1770 में किशोर अवस्था में जीवित समाधि ले ली थी। तब से यहां पिछले 400 वर्षों से हर साल विशाल मेला पूस मास की पूर्णिमा से बसंत पंचमी तक लगता है। संपूर्ण दरबार व समाधि की देखरेख के लिए पांच महंत करते हैं। आज तक मेले में कभी चोरी-डकैती की घटनाएं नहीं हुईं। प्रेत बाधाओं से मुक्ति पाने वाले लोगों की मेले की प्रथम रात्रि से ही भारी भीड़ लगी रहती है। यहां पर जिले का सबसे बड़ा मेला भी लगता है।
गुड़ हैं पर मक्खी नहीं, शक्कर हैं पर चींटी नहीं
साल भर गुरुसाहब बाबा की समाधि पर गुड़ चढ़ाने के लिए हजारों की संख्या में जनता यहां पहुंचती है तथा अपनी मनोकामना पूर्ण करती है। भारी मात्रा में यहां तुलादान व चढ़ोत्तरी स्वरूप गुड़ व शक्कर चढ़ाया जाता है। मगर पूरे समाधि परिसर में मक्खी व चीटियां नहीं पाई जाती।
पहले दिन भरता है भूतों का बाजार
मलाजपुर के गुरुसाहब बाबा के दरबार में हर साल लगने वाले मेले का शुरु दिन भूतों के बाजार का दिन माना जाता है। मेले के प्रथम दिन पूस मास की पूर्णिमा को पूरे दिन व रात भर समाधि परिसर की परिक्रमा करते हजारों की संख्या में भूत-प्रेत बाधाओं से पीडि़त व्यक्ति क्या पुरुष-क्या महिलाएं किलकारी मारते और तरह-तरह की आवाजें निकालते, भागते-दौड़ते परिसर की परिक्रमा करते देखे जा सकते हैं।

Devotees arrived at the tomb for darshan
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