देश में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक का भंडारण एवं उपयोग पर बैन लग गया। बावजूद इसके हर जगह सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है। विडंबना की बात तो यह है कि जिस प्रशासन पर पॉलीथिन के प्रतिबंध पर अमल कराने का दायित्व है, उनके अधिकारी इस दिशा में पूरी तरह लापरवाह बने हुए हैं।
अबी तक निकाय और पंचायत चुनाव में प्रशासन व्यस्त था इसलिए माना जा रहा था कि चुनाव के बाद कार्रवाई होगी पर अभी तक प्रशासन की ओर से दुकानदारों के खिलाफ ऐसी कोई सख्त कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। नतीजन शहर में सब्जी बाजार से लेकर नाश्ते, दूध-डेयरी, जनरल स्टोर, किराना स्टोर, कपड़े की दुकान आदि में पॉलीथिन का उपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है।
यही वजह है कि शहर में कचरे के ढेर में सबसे ज्यादा पॉलीथिन निकलती है और कचरे के ढेर में आग लगाने पर प्लास्टिक की थैलियां जलने के कारण उठने वाला धुंआ जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी है। फिर भी दुकानदार से लेकर ग्राहक बेखौफ होकर बाजार में पॉलीथिन लिए घूमते हैं। नपा को कार्रवाई करना चाहिए।
अमानक पॉलीथिन थैली का उपयोग न करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई नियम बनाए गए हैं। ठोस अपशिष्ट निवारण अधिनियम के तहत 40 माइक्रॉन से कम के मानक की थैली पर्यावरण को प्रदूषित करती है। इस पॉलीथीन को रिसाइकल नहीं किया जा सकता है। जिससे यह प्रदूषण का कारण बनती है। इसके उपयोग से न सिर्फ गाय, आवारा पशुओं को खतरा है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है। इसके बाद भी नगरपालिका प्रशासन सिंगल यूज पॉलीथिन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने के लिए कोई अभियान तक नहीं चला रही है। इसकी वजह से शहर में सिंगल यूज पॉलीथिन का उपयोग नहीं रूक रहा है।
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