गुरुवार को कलेक्टर की अध्यक्षता में अतिवृष्टि एवं बाढ़ की स्थिति से निपटने की पूर्व तैयारियों के संबंध में एक बैठक आयोजित हुई। जिसमें कलेक्टर राकेश सिंह ने कहा था कि आपदाएं कभी पूर्व सूचना देकर नहीं आतीं। इसलिए तैयारियां पुख्ता तरीके से की जाए। अब देखना यह है कि प्रशासन बाढ़-आपदा जैसी स्थितियों से निपटने के लिए कितने पुख्ता इंतजाम करता है। वैसे हाल ही में बिजली गिरने और आंधी तूफान जैसी घटनाओं के कारण आधा दर्जन लोगों की मौत हो चुकी हैं वहीं घरों की छते भी उड़ गई थी। जिले के कई पुल-पुलियाओं पर रैलिंग भी नहीं है जो बारिश में मुसीबत बनती है।
आगामी बारिश के मौसम में बाढ़-आपदा की स्थिति से निपटने को लेकर होमगार्ड विभाग द्वारा सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। होमागार्ड के डिस्ट्रीक कमांडेेंट एसआर आजमी ने बताया कि उनके 70 तैराकों एवं एसडीआरएम के दो गोताखोरों को सांपना जलाशय में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें बोट चलाने, तैराकी, गोताखोरी और बचाव आदि की ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 4 बोट होमगार्ड के पास मौजूद हैं। इनमें 2 फाइबर और 2 रबड़ की है। बोट को चलाने के लिए इलेक्ट्रानिक इंजन भीमौजूद हैं। कटर मशीनें भी रखी हुई है जिनका इस्तेमाल पेड़ आदि को हटाने के लिए किया जाता है।
नगरपालिका ने शहरी क्षेत्र में मौजूद नालों की सफाई का काम शुरू करा दिया है। सफाईकर्मियों की एक टीम इसी कार्य में लगी हुई है। नगरपालिका के स्वच्छता निरीक्षक संतोष धनेलिया ने बताया कि आजाद वार्ड में नाले की सफाई का काम शुरू करा दिया गया है। इसके अलावा बड़े नालों की सफाई के लिए फोकलेन मशीन का टेंडर भी किया जा रहा है। जल्द ही मशीन से नालों की सफाई का काम शुरू किया जाएगा। इसके अलावा बाढ़-आपदा से बचाव के लिए निचली बस्तियों में जहां जलभराव होता हैं वहां भी कर्मचारियों की ड्यूटी एवं तैनाती के इंतजाम के लिए ड्यूटी चार्ट बनाया जा रहा है। बाढ़ आपदा के दौरान लोगों को सुरक्षित रखे जाने के लिए भी लोगों को ठहराने के लिए जगह चिन्हित कर ली गई है।
शहर लगे करबला घाट के अंग्रेजों के जमाने में बना पुल पूरी तरह से रैलिंग विहीन है। यहां पूर्व में एक युवक की बाइक सहित डूबने से मौत भी हो चुकी हैं जिसके बाद प्रशासन द्वारा रैलिंग लगाई गई थी लेकिन पिछले साल की बाढ़ में यह रैलिंग भी उखड़ गई है। वर्तमान में पुल रैलिंग विहीन है। इस पुल की नदी तल से ऊंचाई कम होने से बारिश में हादसे होते हैं। हालांकि सेतु विभाग द्वारा यहां पुल निर्माण होना प्रस्तावित हैं लेकिन 4 साल बाद भी निर्माण नहीं हो सका है। यही हालत जिले भर में नदी-नालों पर बनाए गए रपटों के भी है। इन रपटों पर पानी भर जाता है जिससे लोगों द्वारा पार करने की वजह से हर साल हादसे होते हैं।
कलेक्टर ने कहा कि आगामी बरसात के मौसम के दृष्टिगत अतिवृष्टि एवं बाढ़ की स्थिति से निपटने के कार्य से जुड़े समस्त विभाग अभी से सजग रहें। बरसात में बाढ़ व अतिवृष्टि जैसी आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तैयारी रखी जाए। जिला मुख्यालय पर स्थापित किए जाने वाला कंट्रोल रूम राउंड-द-क्लॉक क्रियाशील रहे। मौसम विभाग से मिलने वाली सूचना से अपडेट रहें एवं समय पूर्व जरूरी इंतजाम सुनिश्चित करें। बरसात के दौरान बिजली गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव की जानकारी भी ग्रामीणों के बीच प्रचार-प्रसार की जाए। लोगों को यह भी जानकारी दी जाए कि वे बरसात या अतिवृष्टि अथवा बाढ़ की स्थिति में नदी-नालों के किनारे न जाएं अथवा नदी-नालों के बीच में बने टापुओं पर न रूकें।
– बाढ़ संभावित क्षेत्र पूर्व से ही चिन्हित कर वहां समस्त एहतियाती इंतजाम सुनिश्चित कर लिए जाएं। बाढ़ की स्थिति में लोगों को राहत पहुंचाने की रणनीति पूर्व से ही तैयार कर ली जाए।
– नगरीय क्षेत्रों में नदी-नालों की सफाई करवाकर यहां वर्षा के जल के सुगम निकासी की व्यवस्था की जाए।
– निचली बसाहटों को भी चिन्हित कर वहां रहने वाले लोगों को बाढ़ व अतिवृष्टि के दौरान राहत शिविरों में पहुंचाने की कार्ययोजना भी तैयार करें।
– जिला होमगार्ड विभाग को राहत उपकरण दुरुस्त रखने के निर्देश दिए। मोटरबोट इत्यादि उपकरण स्थानीय थानों में रखवाई जाए।
– सड़क कार्य से जुड़े विभागों से कहा कि बरसात के दौरान सड़कों व पुल-पुलियाओं पर दुर्घटनाएं न हो, इसलिए संकेतक बोर्ड लगाए जाएं।
– जहां पुल-पुलियाओं पर रैलिंग नहीं है, वहां रैलिंग लगाई जाए। जिन पुल-पुलियाओं पर बाढ़ का पानी ऊपर से निकलता है व दुर्घटना की आशंका रहती है वहां ड्रॉप गेट लगाए जाएं।
बाढ़ की स्थिति में ग्राम पंचायत सचिव, पटवारी अथवा कोटवार आवश्यक रूप से इन पुल-पुलियाओं की निगरानी रखें। ऐसे स्थानों पर वाहन एवं पैदल लोगों की आवाजाही न होने दें।
स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया कि वह चिकित्सा दल गठित कर उनको आपात परिस्थितियों में अपनी सेवाएं देने के लिए सतर्क करें।
बरसात अथवा अतिवृष्टि के दौरान जिले के समस्त जलाशयों, बांधों की निगरानी रखी जाए।
सरकारी इंतजामों के अलावा स्थानीय लोगों को भी बाढ़ अथवा अतिवृष्टि से बचाव के संबंध में प्रशिक्षित किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों के अच्छे तैराकों एवं गोताखोरों की जानकारी भी संकलित की जाए।
खदान इत्यादि से बने हुए गड्ढों में एकत्र हुए पानी में बच्चों के खेलने की स्थिति निर्मित न हो। ऐसे गड्ढें जो दुर्घटना की दृष्टि से खतरनाक हो सकते हैं, वहां आवश्यक फैंसिंग करवाई जाए एवं उन गड्ढोंं में जाने से लोगों को रोका जाए।