आंकड़ों की बाजीगरी न दिखाए सीधे बताए कौन से काम चालू हैं
बेतुलPublished: Feb 19, 2019 09:40:10 pm
चार माह के लंबे अंतराल के बाद पहली बार जिले के प्रभारी मंत्री कमलेश्वर पटेल की अध्यक्षता में जिला योजना समिति की बैठक मंगलवार को जिला पंचायत के सभाकक्ष में आयोजित हुई।
District Planning Committee
बैतूल। चार माह के लंबे अंतराल के बाद पहली बार जिले के प्रभारी मंत्री कमलेश्वर पटेल की अध्यक्षता में जिला योजना समिति की बैठक मंगलवार को जिला पंचायत के सभाकक्ष में आयोजित हुई। बैठक में सिर्फ जियोस के सदस्यों को ही बैठने की अनुमति दी गई जबकि मीडिया को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। यही नहीं जिला प्रशासन द्वारा सभाकक्ष के दरवाजे एवं खिड़कियों को भी बंद करा दिया गया था ताकि अंदर क्या खिचड़ी पक रही है किसी को पता नहीं चल सके। करीब सवा घंटे चली इस बैठक में प्रभारी मंत्री ने शुरूआत में ही अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित कर दिया था कि आंकड़ों की बाजीगरी न दिखाई जाए सीधे बताया जाए कि कौन से काम चालू है और कितने पूर्ण हो चुके हैं। हालांकि बैठक के एजेंडे में सभी विभाग निर्माण कार्यों की उपलब्धि का विस्तृत विवरण लेकर आए थे लेकिन प्रभारी मंत्री ने आमजनों द्वारा निर्माण कार्यों को लेकर की गई शिकायतों के आधार पर अधिकारियों से सवाल जवाब किए। कुछ सवालों के जवाब तो अधिकारियों ने दिए लेकिन कुछ में उनकी बोलती बंद हो गई। जिसके बाद प्रभारी मंत्री ने सभी कार्यों को गुणवत्तापूर्ण तरीके से समय-सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिए। पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने जलसंसाधन विभाग एवं पीएचई विभाग की समीक्षा में कहा कि जलाशय निर्माण के लिए किसानों की बेशकीमती जमीनों का अधिग्रहण कर लिया जाता है। बदले में उन्हें मुआवजा भी समय पर नहीं दिया जाता है और योजना जब बन जाती है तो किसानों को पानी भी नसीब नहीं होता है। पारसडोह जलाशय से जुड़े ऐसे कई किसान है जो यह समस्या लेकर हमारे पास आ चुके हैं। यदि कोई पेयजल एवं सिंचाई से जुड़ी कोई योजना बनाई जा रही है तो देखा जाए कि उसका लाभ सभी को मिले। योजना ऐसी न बनाई जाए जिससे कि लोगों की तकलीफे बढ़े।
मंत्री ने की पेयजल की समीक्षा
बैठक में पीएचई मंत्री पांसे ने पेयजल की समीक्षा भी की। जलसंसाधन विभाग द्वारा बताया गया कि सांपना मध्यम जलाशय से ०.५० मि.घ.मी, लाखापुर जलाशय से २.२६ मि.घ.मी एवं कुर्सी जलाशय से ०.८७३ मि.घ.मी पानी पेयजल के लिए आरक्षित करके रखा गया है। बैठक में विभाग द्वारा बताया गया कि ३ मध्यम एवं १८ लघु सिंचाई योजनाएं ऐसी है जिनकी प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हो चुकी हैं लेकिन निर्माण एजेंसी का निर्धारण होना शेष है।