अवैध कोयला खदानों से 20 टन कोयला और वाहन जब्त, माफियाओं में मचा हड़कंप
बेतुल•Feb 20, 2020 / 11:16 pm•
yashwant janoriya
अवैध कोयला खदानों से 20 टन कोयला जब्त, माफियाओं में मचा हड़कंप
सारनी. आधी रात के बाद वन विभाग ने अवैध कोयला खदानों पर छापामार कार्रवाई कर मौके से पांच वाहन और 20 टन कोयला बरामद किया है। साथ ही चार लोगों को हिरासत में लेकर उनके विरूद्ध कार्रवाई की है। जप्त वाहनों में तीन ट्रक, एक जीप और एक मोटरसाइकिल शामिल है।
रेंज अफसर विजय बारस्कर ने बताया मौके से ट्रक क्रमांक एमपी 09 एचएफ 3842, एमपी 48 एच 0885, एमपी 09 एचक्यू 4180 और एमपी 04 एचआर 0306 बोलेरो जीप व बाइक जप्त की है। जप्त कोयले का बाजार मूल्य लगभग एक लाख रुपए हैं। बताया जा रहा है कि प्रभारी एसडीओ विजय सूडा के मार्गदर्शन में वन विभाग शाहपुर, रानीपुर, सारनी रेंज के अफसरों व वन अमला ने मंगलवार को आधी रात के बाद संयुक्त रूप से डुल्हारा गांव में अवैध खदानों पर छापा मारा। जहां कोयले से लदे ट्रक व अन्य वाहन मिले। साथ ही रामप्रसाद पिता रामू, बलराम पिता विष्णु यादव, अशोक पिता बातू और कमलेश पिता रघुनंदन के विरूद्ध अपराध दर्ज किया है।
जगह-जगह अवैध खदानें
डुल्हारा गांव में तवा नदी किनारे अवैध खदानें कितनी है इसका सही पता प्रशासन को भी नहीं है। डुल्हारा में संचालित अवैध खदानें वेकोलि पाथाखेड़ा की भूमिगत खदानों की तरह ही है, लेकिन इन अवैध खदानों में सुरक्षा इंतजाम बिलकुल भी नहीं है। खदान धंसने पर बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। एक अनुमान के मुताबिक अवैध खदानों से रोजाना 100 टन से अधिक कोयला उत्पादन होता है जो औद्योगिक क्षेत्रों को कोल माफियाओं द्वारा विक्रय किया जाता है। अवैध खदानें कितने लंबे समय से संचालित हो रही है। इसका अंदाजा 50 से 150 मी. लंबी सुरंग से लग सकता है।
जल उपभोक्ता संथाओं के प्रशासकीय एवं वित्तीय अधिकार समाप्त
बैतूल ञ्च पत्रिका. जल संसाधन संभाग क्रमांक-2 बैतूल के कार्यपालन यंत्री एके देहरिया ने बताया कि जल उपभोक्ता संथाओं के प्रशासकीय एवं वित्तीय अधिकारी समाप्त हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि संचालक सहभागिता सिंचाईं प्रबंधन जल संसाधन विभाग भोपाल द्वारा जारी आदेश के अनुसार समस्त जल उपभोक्ता संथाओं के अध्यक्ष एवं संथाओं के प्रादेशित निर्वाचन क्षेत्र के सदस्यों की पदावधि 03 जनवरी 2020 को पूर्ण होने से संभाग के अंतर्गत समस्त संथाओं के प्रशासकीय एवं वित्तीय अधिकार समाप्त हो चुके हैं। अत: सेवानिवृत्त अध्यक्ष अपने अधिकारों का उपयोग न करें।