अपने गुरु को नमन् कर मनाई गुरुपूर्णिमा
बेतुलPublished: Jul 28, 2018 12:14:57 pm
शोभायात्रा निकाली, हुए भंडारे
अपने गुरु को नमन् कर मनाई गुरुपूर्णिमा
मुलताई. ग्राम बिरूल बाजार में आनंदपुरी महाराज की विशाल रथ यात्रा निकली। शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया तथा पूरे मार्ग पर रांगोली डाली गई जो आकर्षण का केन्द्र रही। ग्रामीण दिलीप भूमरकर ने बताया कि इस वर्ष भी आनंदपुरी महाराज की रथयात्रा निकली जिसमें भक्तगण केसरिया परिधान पहने हुए जयकारे लगा रहे थे। रथयात्रा पर ग्रामीणों द्वारा फूलों की वर्षा की गई। शोभायात्रा सुबह 8 बजे आनंदपुरी दरबार से प्रारंभ हुई जो गुजरी होते हुए लोहार चौक, मंगल भवन एवं दक्षिणेश्वर महाकाली एवं बजरंग मंदिर होते हुए वापस दरबार पहुंची। ग्रामीणों के अनुसार लगभग 300 वर्ष पूर्व अनंतपुरी बाबा बिरूल आए थे जहां उन्होंने जीवित समाधी ली थी तभी से रथ यात्रा की परंपरा चली आ रही है तथा लोग पूरे उत्साह से परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। आयोजन में पूर्व विधायक सुखदेव पांस सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधिगण शामिल हुए। वहीं नगर के विभिन्न स्कूलों में गुरू पूर्णिमा पर सरस्वती पूजन एवं गुरू पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया। नगर के गुरूकुल विद्या मंदिर, करोला पब्लिक स्कूल, न्यू कार्मल कान्वेट, ड्रीम्ज पब्लिक स्कूल में भी विभिन्न कार्यक्रम हुए। गुरूकुल विद्या मंदिर में गारगी साहू, प्रवण देशमुख, अर्थव पंवार, आमिर खान, अंकित, क्रिश आदि विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों को सम्मानित किया। इधर गायत्री मंदिर में विद्यारंभ संस्कार का आयोजन किया। पंचकुंडीय महायज्ञ किया। बालक वेद देशमुख का विद्यारंभ संस्कार कर उसे कापी एवं कलम भेंट की। वीआईपी स्कूल में भी गायत्री परिवार की सदस्य मीरा देशमुख द्वारा विद्यारंभ संस्कार कर सैकड़ों बच्चों को गुरू पुर्णिमा की जानकारी दी गई। गुरू पूर्णिमा पर शुक्रवार को ग्राम तिवरखेड़ में भाजपा युवा मोर्चा द्वारा सफाई अभियान चलाया सफाई अभियान में अमराकरे पटेल, राजू दातिर, सुधाकर सोनी, निलेश पटेल, उत्तम चोधरी, रूपेश भोयरे, दुर्गेश वर्मा, सत्यम भोयरे, मुकेश आदि युवाओं ने श्रमदान किया। चंद्रग्रहण होने से मंदिरों तथा मठों में गुरूपूर्णिमा पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ रही। वैसे गुरूपूर्णिमा पर सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं की ताप्ती तट सहित मंदिरों एवं मठों में भीड उमड़ती है लेकिन चंद्रग्रहण के कारण इस वर्ष सुबह से लेकर दोपहर तक ही धार्मिक आयोजन एवं अनुष्ठान संपन्न करा लिए गए जिसके बाद मंदिरों के पट बंद कर दिए गए।