पानी नहीं मिलने पर पार्षदों का हंगामा, सीएमओ से मिलने पहुंचे तो कहा आचार संहिता है भीड़ मत लगाओ
बेतुलPublished: Mar 18, 2019 08:17:43 pm
शहर में पेयजल सप्लाई व्यवस्था लडख़ड़ाने से आक्रोशित पार्षदों ने सोमवार को नगरपालिका सीएमओ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
बैतूल। शहर में पेयजल सप्लाई व्यवस्था लडख़ड़ाने से आक्रोशित पार्षदों ने सोमवार को नगरपालिका सीएमओ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पार्षदों का आरोप था कि वार्डों में पेयजल सप्लाई नहीं होने परेशान होकर जब वे सीएमओ से मिलने बाल मंदिर के सभाकक्ष में पहुंचे तो सीएमओ ने आचार संहिता का हवाला देते हुए उन्हें एक-एक कर कक्ष के अंदर आने के लिए कहा। जिससे पार्षद भड़क गए और उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया। इधर पूरे मामले को लेकर सीएमओ का कहना था कि ताप्ती बैराज में पाइप लाइन का बैंड खराब होने के कारण चार दिन से सप्लाई बंद थी। चूंकि अब सप्लाई शुरू हो गई है तो सभी वार्डों में व्यवस्था सुधारने में थोड़ा समय लग रहा लेकिन पार्षद सुनने के लिए तैयार नहीं है। विरोध करने वालों में सिर्फ भाजपा पार्षद ही मौजूद थे। जबकि नगरपालिका में भाजपा की ही परिषद है।
आचार संहिता का हवाला दिया तो भड़के पार्षद
पिछले चार-पांच दिन से वार्डों में पेयजल सप्लाई ठप होने से आक्रोशित भाजपाई पार्षद कैलाश धोटे, पवन यादव, दिलीप सतीजा, गोलू बतरा, सावन्या शेषकर, रवि ओमकार, निशांत वर्मा आज सुबह नगरपालिका जा पहुंचे, लेकिन सीएमओ प्रियंका सिंह अपने कक्ष में नहीं बैठी थी। पार्षदों ने सीएमओ को फोन कर नगरपालिका आने के लिए कहा। सीएमओ ने आचार संहिता का हवाला देते हुए पार्षदों से बाल मंदिर आने के लिए कहा दिया। जब सभी पार्षद एकजुट होकर बाल मंदिर सभाकक्ष में पहुंचे तो सीएमओ ने भीड़ देखकर पार्षदों से आचार संहिता लगी होने की बात कही और एक-एक कर अंदर आने के लिए कहा लेकिन पार्षद नहीं माने और भड़ककर कक्ष से बाहर निकल आए। पार्षदों ने सड़क पर ही प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
पार्षदों का आरोप गुमराह कर रही नपा
पार्षदों का आरोप था कि नगरपालिका से शहर में पेयजल सप्लाई व्यवस्था नहीं संभल रही है। फील्ड में काम करने की जगह अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टालने का काम कर रहे है। वार्डों में चार-पांच दिनों से नल नहीं आए हैं, टंकियों को भरा नहीं गया है। वार्ड की जनता तो हमसे सवाल कर रहे हैं हम उन्हें क्या जवाब दे। पार्षदों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मनमर्जी से पेयजल व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है। कई बार शिकायतें दर्ज कराने के बाद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है। इसलिए हमें अव्यवस्था के चलते आक्रोश जताना पड़ रहा है। पार्षदों का यह भी कहना था कि यदि उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।