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यहां समाधी पर शीश नवाते ही, प्रेतबाधाओं से मिलती है मुक्ति

locationबेतुलPublished: Jan 21, 2019 08:53:12 pm

Submitted by:

ghanshyam rathor

चिचोली के समीपस्थ ग्राम मलाजपुर में पूर्णमासी के दिन से समाधी स्थल पर बाबा गुरू साहब की पूजा अर्चना कर भक्तों द्वारा मेले का शुभारंभ कर दिया गया है।

Samadhi

Mahant Phantom in front of Baba’s Samadhi

बैतूल। चिचोली के समीपस्थ ग्राम मलाजपुर में पूर्णमासी के दिन से समाधी स्थल पर बाबा गुरू साहब की पूजा अर्चना कर भक्तों द्वारा मेले का शुभारंभ कर दिया गया है। धार्मिक आस्था का केन्द्र बिंदु कहे जाने वाले इस मेले में भूत प्रेत बाधा से सताए हुए नर-नारी पहुंचकर अपनी तकलीफों से छुटकारा पा रहे हैं। आज के इस युग में भले ही यह दावा किया जाए कि भूत प्रेत नहीं होते लेकिन इन बातों से बिल्कुल हटकर वास्तव में यह स्थल प्रेत बाधा से ग्रसित लोगों के लिए निजात दिलाने के लिए पूजा जाता है। प्रचलित कथाओं के अनुसार विक्रम संवत् 1770 श्रवण चैथ के दिन समाधी स्थल पर अपने सैकड़ों श्रद्धालु भक्तों के समक्ष संत गुरू साहब बाबा ने यहां जीवित समाधी ली थी। वर्तमान में यहां छोटा मंदिर बना हुआ है। मलाजपुर के खुले प्रांगण में जैसे ही प्रेत बाधा से ग्रसित लोगों को लाया जाता है।उसे बाबा के श्री चरणों में झुकाया जाता है और देखते ही देखते उस पीडि़त की सांसे फूलने लगती है और वह झूमने लगता है। उसकी आँखे एक निश्चित दिशा की ओर स्थिर हो जाती है। पीडि़त में इतनी अधिक शक्ति का संचार होने लगता है कि उसे संभालना मुश्किल होता है। उसकी आवाज बदलने लगती है। जुबान से प्रेत बोलने लगता है और पीडि़त से यह उगलवा लिया जाता है कि उसे क्यों परेशान किया जा रहा है। जैसे-जैसे परिक्रमा लगाते है पीडि़त गुरू साहब बाबा के चरणों में झुकने लगता है और अंत में यह प्रेत हमेशा के लिए शरीर से निकल जाता है।
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