बंद होते उद्योग और पलायन करते लोगों से उजड़ते शहर को देख स्वतंत्रा संग्राम सेनानी व मजदूर नेता कृष्णा मोदी ने तीन माह तक पूरे शहर में घूम-घूमकर आम जनता से चर्चा की। फिर दो अलग-अलग बैठक कर उद्योग बचाओं, नगर बचाओं संघर्ष समिति का गठन किया। इस समिति के माध्यम से नुक्कड़ सभाए की। लोगों को जागरूक किया। फिर शहर के अस्तित्व को बचाने आंदोलन की शुरूआत की। 15 दिनों तक लगातार क्रमिक भूख हड़ताल का दौर जारी रहा। लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने आंदोलनकारियों की तरफ देखा भी नहीं। इसके बाद मोदी ने समिति की बैठक लेकर खुद अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने का निर्णय लिया। इनके भूख हड़ताल पर बैठते ही प्रशासन हरकत में आ गया। लेकिन मोदी जी नहीं माने औदा आंदोलन जारी है।
शुक्रवार को आंदोलन स्थल पर प्रमोद दरवाई, विजय यादव, राजेश नायर, बब्लू रघुवंशी, राजू बतरा, अमित मालवीय, रामा वाइकर, मो. इलियास, राकेश महाले, अजय सोनी, सुरेश भूमरकर, अशोक पचौरी, राघवेन्द्र रघुवंशी, शब्बीर बेदी, हरिश पाल, मिंटू राजपूत, पंचू खान, सुनील ठाकुर, गंगाधर चढ़ोकर, सोमपाल, कमला गिरी, दिलीप बारस्कर, नरेन्द्र विश्वकर्मा, सुनील मौखेड़े, सुभाष, राजेश खवसे, पिंटू, दिलीप मोरे, दीपक गोहे, सतीश कोसे, हेमराज नागले, सतीश साहू, चिरंजन खाड़ा समेत सैकड़ों की संख्या में नगर के लोग और व्यापारी शामिल हुए।
उद्योग बचाओं, नगर बचाओं संघर्ष समिति द्वारा 18 दिनों से चल रहे आंदोलन को भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री रंजीत सिंह ने राजनीति से प्रेरित होना बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग आंदोलन में शामिल है। जिन्होंने देश को 60 साल तक लूटा है। जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार है। तब से प्रदेश ने उन्नति की है। जिसके प्रमाण जल आवर्धन योजना, स्टेट हाइवे, विद्युतीकरण, फोरलेन पर स्ट्रीट लाइट, पार्क, 250-250 मेगावाट की यूनिटें, प्रधानमंत्री आवास योजना है। उन्होंने कहा कि हम भी मोदी जी के साथ है। लेकिन वहां बैठने वाले नेताओं के साथ नहीं है। हम सब चाहते हैं कि शहर में उद्योग आए।