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बिगडऩे लगी भूख हड़ताल पर बैठे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की सेहत

locationबेतुलPublished: May 18, 2018 11:17:04 pm

Submitted by:

rakesh malviya

उजड़ते शहर के अस्तित्व को बचाने 18 दिनों से चल रहे भूख हड़ताल को समर्थन मिल रहा है, बंद रहे बाजार, नहीं चले आटो

hunger strike modi

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सारनी. उजड़ते शहर के अस्तित्व को बचाने 18 दिनों से चल रहे भूख हड़ताल को पूरे नगर का समर्थन मिल रहा है। नगर के जय स्तंभ चौक पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे 88 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के समर्थन में शुक्रवार को शहर के बाजार बंद रहे। औद्योगिक नगरी के इतिहास में पहली बार बगडोना और सारनी के बाजार पूरी तरह बंद रहे। वहीं पाथाखेड़ा में बंद का मिलाजुला असर रहा। बड़ी दुकानों की बात तो दूर है। शायद यह पहला अवसर है। जब होटल, हेयर सैलून, पान सेंटर से लेकर चाय की दुकानें तक बंद रही। खासबात यह रही कि इस आंदोलन को राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों, व्यापारी, आम जनता, सामाजिक संगठन, छात्र संगठन, आटों संघ, महिला संगठन, मप्र कांग्रेस सेवादल, टेंट एसोसिएशन, बुद्धजीवी समेत स्कूली विद्यार्थियों ने तक समर्थन किया है। जिससे आंदोलन पर बैठे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का मनोबल बढ़ा है। उन्होंने कहा कि पहले देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। अब शहर के अस्तित्व को बचाने लडक़र मुझे अ‘छा लग रहा है। इस आंदोलन में सभी की सहभागीता ने एकजुटता का संदेश दिया है। उन्होंने सत्ताधारी नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बार-बार झूठा प्रचार कर रहे है कि जल्द नई कोयला खदानें, विद्युत इकाइयां स्थापित होगी। फिर सीएम के बैतूल आगमन पर नए उद्योग लगाने संबंधित चर्चा करने का क्या औचित्य रहा। इससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि सत्ता पक्ष के नेता सिर्फ झूठी वाहवाही बटोर रहे हैं। शुक्रवार दोपहर 12 बजे जब मोदी का स्वास्थ्य परीक्षण डॉक्टर वीएन झरबड़े द्वारा किया गया तो बीपी 110/70, पल्स 70, शुगर 70, वेट 61 किलोग्राम रहा। शरीर में तेजी से पानी की कमी हो रही है। इसके लिए डॉक्टर द्वारा पानी पीने की सलाह दी गई है।
मोदी को क्यों बैठना पड़ा भूख हड़ताल पर
बंद होते उद्योग और पलायन करते लोगों से उजड़ते शहर को देख स्वतंत्रा संग्राम सेनानी व मजदूर नेता कृष्णा मोदी ने तीन माह तक पूरे शहर में घूम-घूमकर आम जनता से चर्चा की। फिर दो अलग-अलग बैठक कर उद्योग बचाओं, नगर बचाओं संघर्ष समिति का गठन किया। इस समिति के माध्यम से नुक्कड़ सभाए की। लोगों को जागरूक किया। फिर शहर के अस्तित्व को बचाने आंदोलन की शुरूआत की। 15 दिनों तक लगातार क्रमिक भूख हड़ताल का दौर जारी रहा। लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने आंदोलनकारियों की तरफ देखा भी नहीं। इसके बाद मोदी ने समिति की बैठक लेकर खुद अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने का निर्णय लिया। इनके भूख हड़ताल पर बैठते ही प्रशासन हरकत में आ गया। लेकिन मोदी जी नहीं माने औदा आंदोलन जारी है।
जुटे सैकड़ों लोग
शुक्रवार को आंदोलन स्थल पर प्रमोद दरवाई, विजय यादव, राजेश नायर, बब्लू रघुवंशी, राजू बतरा, अमित मालवीय, रामा वाइकर, मो. इलियास, राकेश महाले, अजय सोनी, सुरेश भूमरकर, अशोक पचौरी, राघवेन्द्र रघुवंशी, शब्बीर बेदी, हरिश पाल, मिंटू राजपूत, पंचू खान, सुनील ठाकुर, गंगाधर चढ़ोकर, सोमपाल, कमला गिरी, दिलीप बारस्कर, नरेन्द्र विश्वकर्मा, सुनील मौखेड़े, सुभाष, राजेश खवसे, पिंटू, दिलीप मोरे, दीपक गोहे, सतीश कोसे, हेमराज नागले, सतीश साहू, चिरंजन खाड़ा समेत सैकड़ों की संख्या में नगर के लोग और व्यापारी शामिल हुए।
राजनीति से प्रेरित है आंदोलन : रंजीत
उद्योग बचाओं, नगर बचाओं संघर्ष समिति द्वारा 18 दिनों से चल रहे आंदोलन को भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री रंजीत सिंह ने राजनीति से प्रेरित होना बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग आंदोलन में शामिल है। जिन्होंने देश को 60 साल तक लूटा है। जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार है। तब से प्रदेश ने उन्नति की है। जिसके प्रमाण जल आवर्धन योजना, स्टेट हाइवे, विद्युतीकरण, फोरलेन पर स्ट्रीट लाइट, पार्क, 250-250 मेगावाट की यूनिटें, प्रधानमंत्री आवास योजना है। उन्होंने कहा कि हम भी मोदी जी के साथ है। लेकिन वहां बैठने वाले नेताओं के साथ नहीं है। हम सब चाहते हैं कि शहर में उद्योग आए।

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