बैतूल। 18 फरवरी 2018 को हुई एमपीपीएससी की परीक्षा को लेकर अभ्यार्थियों ने आयोग की कार्यप्रणाली एवं विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाए हैं। अभ्यार्थियों का कहना है कि परीक्षा के चार दिन बाद २१ फरवरी को आयोग द्वारा जो उत्तर कुंजी जारी की है उसमें हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आयोग द्वारा कई गलत उत्तर दिए गए हैं लेकिन इस वर्ष तो हद तक हो गई जब विवादित प्रश्नों की संख्या बढ़कर १५ हो गई है। अब आयोग गलत प्रश्नों के विरूद्ध अभ्यावेदन के लिए प्रति प्रश्न १०० रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। साथ ही पोर्टल शुल्क अलग से देना होगा। अगर कोई अभ्यार्थी अपने प्रश्नों के पक्ष में अभ्यावेदन प्रस्तुत करना चाहता है तो उसे १५०० रुपए एवं पोर्टल शुल्क अलग से भुगतान करना होगा। आयोग की इस कार्यप्रणाली के विरोध में अभ्यार्थियों ने एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को सौंपा है। जिसमें पांच दिवस के अंदर संशोधित उत्तर कुंजी जारी नहीं करने पर आयोग कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन एवं परीक्षा का सामूहिक बहिष्कार करने की चेतावनी दी गई है। अनुभवी सदस्यों पर उठाए सवाल अभ्यार्थियों का कहना था कि आयोग विद्वान एवं विशेषज्ञों की टीम द्वारा इस प्रकार की गलती कहां तक उचित है। इसका खामियाजा बेरोजगार छात्रों को भुगतना पड़ रहा है और आयोग द्वारा बेरोजगार छात्रों से कमाई का जरिया बनाया जा रहा है, लेकिन यह कहां तक तर्कसंगत है कि राज्य प्रशासनिक सेवाओं के चयन की सबसे बड़ी संस्था जो डिप्टी कलेक्टर डीएसपी जैसे पदों का चयन करती है और जिनके पास टीम के अनुभवी सदस्य एक पेपर को सेट करने के लिए लाखों रुपए लेते हैं उनके द्वारा इस प्रकार का पेपर एवं उत्तर कुंजी दी जाती है तो आयोग की कार्यप्रणाली एवं विश्वसनीयता पर सवाल उठना वाजिब है। प्रत्येक वर्ष आयोग द्वारा इस प्रकार की अनियमितता एवं कार्यप्रणाली आयोग की मर्यादा, सम्मान और मानकता को घटाने वाला है।