खगोलीय शास्त्र के अनुसार आंशिक सूर्यग्रहण हर 6 माह में होता है, लेकिन पूर्ण ग्रहण विशेष खगोलीय घटना के कारण ही देखने को मिलता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण 21 अगस्त 2017 को देखने को मिला था। इसके पहले आंशिक सूर्यग्रहण 13 सितंबर, 2015 को हुआ था।
तो चली जाएगी आंखों की रोशनी
माना जाता है कि सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से देखना खतरनाक होता है। भले ही यह आंशिक सूर्यग्रहण है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बिना सुरक्षा उपाय किए सूर्यग्रहण देखने से आंखों की रोशनी तात्कालिक या स्थाई रूप से भी जा सकती है।
माना जाता है कि सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से देखना खतरनाक होता है। भले ही यह आंशिक सूर्यग्रहण है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बिना सुरक्षा उपाय किए सूर्यग्रहण देखने से आंखों की रोशनी तात्कालिक या स्थाई रूप से भी जा सकती है।
तीन प्रकार का होता है सूर्यग्रहण
०१. पूर्ण सूर्य ग्रहण
पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है। इसके फलस्वरुप सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंच नहीं पाता है। और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति हो जाती है। इस प्रकार बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।
०१. पूर्ण सूर्य ग्रहण
पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है। इसके फलस्वरुप सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंच नहीं पाता है। और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति हो जाती है। इस प्रकार बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।
2. आंशिक सूर्यग्रहण
आंशिक सूर्यग्रहण में चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है। इसे आंशिक सूर्यग्रहण कहा जाता है।
आंशिक सूर्यग्रहण में चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है। इसे आंशिक सूर्यग्रहण कहा जाता है।
०३. वलय सूर्यग्रहण
तीसरे और अंतिम प्रकार का सूर्य ग्रहण “वलय सूर्यग्रहण” के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार के ग्रहण के समय चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है। सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन के समान प्रतीत होता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलय सूर्यग्रहण कहा जाता है।
तीसरे और अंतिम प्रकार का सूर्य ग्रहण “वलय सूर्यग्रहण” के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार के ग्रहण के समय चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है। सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन के समान प्रतीत होता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलय सूर्यग्रहण कहा जाता है।