वेकोलि में वाहनों की कमी, कर्मचारियों को लाने और छोडऩे में लगाई एम्बुलेंस
रेस्क्यू टीम के पास अप्रैल से नहीं वाहन
वेकोलि में वाहनों की कमी, कर्मचारियों को लाने और छोडऩे में लगाई एम्बुलेंस
सारनी. वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) के पास अप्रैल माह से वाहनों का टोटा है। हालत यह है कि कर्मचारी बसों के बजाए एम्बुलेंस से परिवहन कर रहे हैं इतना ही नहीं। एम्बुलेंस से मटेरियल तक परिहवन किए जा रहे हैं। वह भी तब जब क्षेत्रीय चिकित्सालय में दो और खदानों पर तीन एम्बुलबेंस की पहले से ही कमी है। इनके अलावा दो बस और पांच जीप के टेंडर भी अभी तक नहीं हुए हैं। खासबात यह है कि वेकोलि में सुरक्षा को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। बावजूद इसके रेस्क्यू टीम के पास अप्रैल माह से जीप नहीं है। कहीं भी हादसा नहीं होने पर उधारी के वाहन से रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच रही है। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि छह भूमिगत खदानों वाले पाथाखेड़ा क्षेत्र में बस, एम्बुलेंस और जीप का कितना अभाव है। खासबात यह है कि इन सभी मुद्दों को लेकर श्रमिक संगठनों द्वारा प्रबंधन से पत्राचार करने के अलावा मौखिक रूप से अवगत कराया गया, लेकिन कंपनी प्रबंधन ने अब तक इस ओर गंभीरता नहीं दिखाई। सूत्र बताते हैं कि कुछ वाहनों के टेंडर हो गए हैं, लेकिन अनुबंध नहीं हो पाया है। यही वजह है कि कर्मचारियों के लिए बस, रेस्क्यू टीम के लिए जीप और अस्पताल के लिए एम्बुलेंस तक नहीं लग पाई।
होनी थी नौ है चार एम्बुलेंस – छह भूमिगत खदानों वाले पाथाखेड़ा क्षेत्र में करीब 5 हजार कोल कर्मी कार्यरत है। जिनकी स्वास्थ्य सुविधा के लिए 120 बिस्तर वाला क्षेत्रीय चिकित्सालय है। जहां तीन एम्बुलेंस की जरूरत हमेशा रहती है। बीते कई माह से सिर्फ एक एम्बुलेंस के भरोसे पूरा अस्पताल है इतना ही नहीं, इस एक एम्बुलेंस की दूरी माह में 2800 किलोमीटर है। यह दूरी एक माह की बात तो दूर है। आठ दिन में ही पूरी हो जाती है। इसके बाद अधिक दूरी तय करने पर शुल्क देना होता है। वहीं तवा-1, छतरपुर-टू और शोभापुर माइन की एम्बुलेंस बंद है। आपातकाल से निपटने कोल प्रबंधन द्वारा छतरपुर परियोजना में एक, सारनी माइन में एक और तवा परियोजना में एक एम्बुलेंस लगा रखी है। इसमें से भी तवा-टू खदान की एम्बुलेंस से कर्मचारियों को परिवहन किया जा रहा है।
गंभीर नहीं कोल प्रबंधन – पाथाखेड़ा क्षेत्र में व्याप्त कंपनी के वाहनों की समस्या से पांचों केंद्रीय श्रमिक संगठन भलीभांति अवगत है। इस समस्या के निराकरण के लिए संगठनों द्वारा कोल प्रबंधन को समय-समय पर अवगत भी कराया गया, लेकिन प्रबंधन ने गंभीरता नहीं दिखाई। वहीं कोल प्रबंधन ने पत्राचार के अलावा कोई भी क्रांतिकारी कदम नहीं उठाया। यही वजह है कि कोल कर्मियों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए निजी वाहनों का उपयोग करना पड़ रहा है। बीते दिनों बीएमएस महामंत्री अशोक मालवीय और इंटक महामंत्री दामोदर मिश्रा ने भी इस मुद््दे पर कहा था कि हमने प्रबंधन से पत्राचार किया है पर व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आया।