मुलताई।नगर का सरकारी अस्पताल इस समय डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहा है। मुलताई के अस्पताल पर मुलताई थाने सहित अन्य दो और थानों की एमएलसी और पीएम सहित पट्टन और आमला ब्लॉक के कुछ गांवों की डिलेवरी का लोड है, ऎसे में यहां डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, लेकिन उसी पुराने ढर्रे पर अस्पताल चलाया जा रहा है।
जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह है कि यहां कम से कम तीन और स्थाई डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन आधे से भी कम स्टाफ से काम चलाया जा रहा है।
मुलताई जैसे इतने बड़े ब्लॉक की स्वास्थ्य सेवाएं मुलताई के तीन डॉक्टरों के भरोसे हैं। उस पर बोरदही थाना सहित सांईखेड़ा थाना क्षेत्र की एमएलसी सहित पीएम भी इन्हीं डॉक्टरों को संभालना पड़ रहा है। जिससे स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ा रही है। मुलताई के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार ओपीडी, इमरजेंसी के साथ-साथ उन्हें कोर्ट पेशी और पीएम सहित एमएलसी भी निपटाना है।
अस्पताल में लगभग तीन सौ ओपीडी रोज
नगर के सरकारी अस्पताल में लगभग तीन सौ मरीजों की रोजाना ओपीडी है। इसके अलावा महीने के लगभग 20 पीएम और लगभग 30 डिलेवरी होती है। रोजाना लगभग डॉक्टरों को एक दर्जन से ज्यादा एमएलसी भी करना पड़ती है।
इतना वर्क लोड होने के बाद एमबीएसयू और एनआरसी भी संभालनी पड़ती है। एक-एक डॉक्टर के पास कई-कई प्रभार है। जिससे काम करने में परेशानी हो रही है। सीएचसी लेबल पर फिलहाल कम से कम सात डॉक्टरों की आवश्कता है।
ड्रेसर तक नहीं अस्पताल के पास
इतने हेवी वर्क लोड वाले अस्पताल में एक भी ड्रेसर नहीं है। इस अस्पताल में क्या पूरे ब्लॉक में एक भी ड्रेसर नहीं है। नगर के अस्पताल में तो ओटी सहायक से ड्रेसिंग करवाई जाती है। एक्सीडेंट होने पर जब मरीजों को मुलताई के सरकारी अस्पताल लाया जाता है तो यहां डॉक्टरों को ड्रेसिंग करना पड़ता है।
जबकि अस्पताल में कम से कम दो ड्रेसरों की आवश्कता है। लाख प्रयासों के बाद भी मुलताई के अस्पताल में स्टाफ नहीं बढ़ पा रहा है। लोगों का कहना है कि अस्पताल में सफाई सहित अन्य व्यवस्थाएं अच्छी हो गई है, लेकिन स्टाफ बड़ा दिया जाए तो मरीजों को बिना किसी परेशानी के अच्छा इलाज मिलेगा।
समस्या से सभी अवगत है
स्टाफ की कमी से परेशानी होती है। कमी की समस्या से सभी अवगत है। फिलहाल जितना स्टाफ है, उसी से काम चलाया जा रहा है। रजनीश शर्मा बीएमओ सरकारी अस्पताल मुलताई।