आशा सहयोगी प्रेमलता फरकाड़े, सरिता मासोतकर आदि ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं का नियमितीकरण आवश्यक है इसके साथ ही आशा कार्यकर्ताओं को प्रतिमा 10 हजार रूपए तथा सहयोगी को 15 हजार रूपए प्रतिमाह मानदेय , प्रतिदिन 100 रूपए भत्ता सहित उन्हे विभाग का अंग घोषित किया जाए। उन्होने बताया कि शासन द्वारा जमीनी स्तर पर कार्य कराने के लिए आशा कार्यकर्ताओं से कड़ी मेहनत कराई जाती है लेकिन उन्हे उनका हक नही दिया जा रहा है।
आशा कार्यकर्ताओ की अनिश्चितकालीन हड़ताल से शासन के संपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रभावित होने की संभावना हैं। विकासखंड में कुल 160 आशा कार्यकर्ताओ सहित 12 आशा सहयोगी कार्यरत हैं जो सभी हड़ताल पर जा रही हैं। हड़ताल से प्रसव, टीकाकरण, ग्रामीण परिवार नियोजन सहित आगामी 11 मार्च को होने जा रहा पल्स पोलियो अभियान भी प्रभावित हो सकता है। आशा कार्यकर्ताओं से बताया कि गर्भवती महिलाओं को प्रसव कराने में वे महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं हड़ताल की स्थिति में शासन की मंशा अनुरूप अस्पताल में प्रसव नही हो पाएगें।