दोनों किडनी खराब
उपचार के लिए जब उन्हें भोपाल के अस्पताल ले जाया गया तो वहां जांच में पता चला कि निकलेश की दोनों किडनियां खराब हो चुकी है जिन्हे तत्काल गुजरात के नाडियाद में स्थित किडनी के हास्पीटल में भर्ती कराया गया। निकलेश की जान बचाने के लिए एक किडनी की जरूरत पड़ी एैसे कठिन समय में निकलेश की मां कुसुम सोनी उम्र 70 वर्ष ने अपनी उम्र की परवाह किए बिना अपने बेटे को किडनी देने का मन बना लिया। हालांकि उम्र अधिक होने से सभी परिजनों ने उन्हे मना किया लेकिन वे अपनी जिद पर अड़ी रही और सौभाग्य से डाक्टरों द्वारा की गई जांच में वे फिट भी पाई गई। जांच उपरांत 24 अगस्त को मां-बेटे का सफल आपरेशन हुआ और मां की एक किडनी बेटे को लगा दी गई जिससे उसकी जान बच गई।
उपचार के लिए जब उन्हें भोपाल के अस्पताल ले जाया गया तो वहां जांच में पता चला कि निकलेश की दोनों किडनियां खराब हो चुकी है जिन्हे तत्काल गुजरात के नाडियाद में स्थित किडनी के हास्पीटल में भर्ती कराया गया। निकलेश की जान बचाने के लिए एक किडनी की जरूरत पड़ी एैसे कठिन समय में निकलेश की मां कुसुम सोनी उम्र 70 वर्ष ने अपनी उम्र की परवाह किए बिना अपने बेटे को किडनी देने का मन बना लिया। हालांकि उम्र अधिक होने से सभी परिजनों ने उन्हे मना किया लेकिन वे अपनी जिद पर अड़ी रही और सौभाग्य से डाक्टरों द्वारा की गई जांच में वे फिट भी पाई गई। जांच उपरांत 24 अगस्त को मां-बेटे का सफल आपरेशन हुआ और मां की एक किडनी बेटे को लगा दी गई जिससे उसकी जान बच गई।
मां दिया जीवन दान
परिवार में पांच भाई बहनों में सबसे छोटे निकलेश की कुछ वर्ष पूर्व ही शादी हुई थी जिससे उनके दो छोटे बच्चे भी हैं ऐसे समय अचानक उनकी दोनों किडनियां खराब होने से परिवार पर मानों कोई वज्रपात हुआ लेकिन परिवार की मुखिया मां कुसुम सोनी ने सबको हिम्मत बंधाते हुए बेटे को किडनी देकर परिवार की खुशियां फिर से वापस ले आई। मां के द्वारा दिए गए जीवन दान के बारे में पूछने पर निकलेश बताते हैं कि वैसे तो कहने के लिए उनके पास कोई शब्द ही नही हैं लेकिन वो इतना जरूर कहेगें कि दुनिया में भगवान का कोई जीता-जागता स्वरूप है तो वह सिर्फ मां है जो उन्होने साक्षात देखा है। गौरतलब है कि आज के युग में जहां परिवारों का विघटन हो रहा है बुजुर्गों को बेसहारा छोड़ा जा रहा है एैसे समय में संयुक्त परिवार में बुजुर्गों की जहां अहमियत समझ में आती है वहीं यह अन्य बिखरते परिवारों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत है।
परिवार में पांच भाई बहनों में सबसे छोटे निकलेश की कुछ वर्ष पूर्व ही शादी हुई थी जिससे उनके दो छोटे बच्चे भी हैं ऐसे समय अचानक उनकी दोनों किडनियां खराब होने से परिवार पर मानों कोई वज्रपात हुआ लेकिन परिवार की मुखिया मां कुसुम सोनी ने सबको हिम्मत बंधाते हुए बेटे को किडनी देकर परिवार की खुशियां फिर से वापस ले आई। मां के द्वारा दिए गए जीवन दान के बारे में पूछने पर निकलेश बताते हैं कि वैसे तो कहने के लिए उनके पास कोई शब्द ही नही हैं लेकिन वो इतना जरूर कहेगें कि दुनिया में भगवान का कोई जीता-जागता स्वरूप है तो वह सिर्फ मां है जो उन्होने साक्षात देखा है। गौरतलब है कि आज के युग में जहां परिवारों का विघटन हो रहा है बुजुर्गों को बेसहारा छोड़ा जा रहा है एैसे समय में संयुक्त परिवार में बुजुर्गों की जहां अहमियत समझ में आती है वहीं यह अन्य बिखरते परिवारों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत है।