अब नहीं लगाना पड़ेंगे कार्यालय के चक्कर, भूमि मालिक स्वयं करा सकेंगे डायवर्सन
बेतुलPublished: Sep 25, 2018 03:39:08 pm
अच्छी खबर: म.प्र भू राजस्व संहिता की धारा 172 हुई आज से खत्म, भूमि का वैल्यूवेशन निकालकर प्रीमियम की राशि बैंक चालान के माध्यम से भरना होगी।
अब नहीं लगाना पड़ेंगे कार्यालय के चक्कर, भूमि मालिक स्वयं करा सकेंगे डायवर्सन
बैतूल. आज से भूमिस्वामियों को जमीन का डायवर्सन कराने के लिए अनुविभागीय राजस्व अधिकारी कार्यालय के न तो चक्कर काटने पड़ेंगे और न ही लंबा इंतजार करना पड़ेगा, बल्कि भूमि स्वामी स्वयं अपनी जमीन का वैल्यूवेशन कर आसानी से डायवर्सन करा सकेगा। शासन द्वारा भूमिस्वामी को डायवर्सन प्रकरणों में राहत प्रदान करने के लिए म.प्र भू राजस्व संहिता की धारा १७२ को समाप्त कर दिया है। जिसके तहत अब भूमि स्वामियों को प्रीमियम की राशि बैंक चालान के माध्यम से जमा कर अनुविभागीय राजस्व अधिकारी को प्रज्ञापना(सूचना पत्र) देना होगी। जिसके बाद चालान दिनांक से ही भूमि का डायवर्सन मान लिया जाएगा।
यह होगी डायवर्सन की प्रक्रिया- भूमिस्वामियों को अपनी भूमि के बाजार मूल्य का स्वयं निर्धारण करना होगा। बाजार मूल्य निर्धारण के लिए गाइड लाइन भी जिला प्रशासन की वेबसाइट पर डाली गई है। बाजार मूल्य निर्धारित होने के बाद भूमि स्वामी को प्रीमियम की राशि बैंक में चालान के माध्यम से जमा करना होगी। जमा की गई राशि के चालान की प्रति प्रज्ञापना (सूचना पत्र) के माध्यम से अनुविभागीय राजस्व अधिकारी कार्यालय में प्रस्तुत करना होगा। प्रज्ञापना प्रस्तुत करने का दिनांक या चालान दिनांक से जमीन का डायवर्सन होना माना जाएगा। भूमिस्वामी द्वारा प्रज्ञापना प्रस्तुत करने के बाद सारी जिम्मेदारी संबंधित कार्यालय की होगी।
बदलाव का राजपत्र में किया गया प्रकाशन- म.प्र भू राजस्व संहिता की धारा १७२ का समाप्त कर उसकी जगह भू राजस्व संहिता की धारा ५९ को डायवर्सन प्रकरणों के लिए लागू कर दिया है। जिसके अंतर्गत जमीन के डायवर्सन संबंधी प्रकरण अब इसी धारा के तहत होंगे। २५ सितंबर २०१८ से इसे प्रदेश स्तर पर लागू किया जा रहा है। २७ जुलाई २०१८ को राजपत्र में इस नियम में संसोधन का प्रकाशन किया जा चुका हैं। नियम में हुए इस बदलाव से हजारों भूमिस्वामियों को फायदा पहुंचेगा जो जमीन का डायवर्सन कराने के लिए परेशान हो रहे हैं।
जिले में आधा सैकड़ा प्रकरण लंबित- जिले में डायवर्सन के वर्तमान में आधा सैकड़ा प्रकरण लंबित होना बताए जाते हैं। इनमें कई प्रकरण सालों पुराने हैं लेकिन इनमें सुनवाई चल रही है। चूंकि डायवर्सन के लिए भूमि स्वामी को पहले स्थानीय निकाय से एनओसी लेना पड़ती है और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से भू उपयोग का प्रमाण-पत्र लेना पड़ता है। इस वजह से कई चक्कर लगाने पड़ते थे। जिसके कारण भी प्रकरणों सालों लंबित रहते थे। पुराने पेडिंग पड़े इन प्रकरणों को भी नए सिरे से शामिल कर डायवर्सन किए जाएंगे।
चालान की राशि ज्यादा होना लौटाने का प्रावधान- आमतौर पर जमीन के वैल्यूवेशन को लेकर अक्सर गलतियां हो जाती है। इसलिए नियम में यह प्रावधान किया गया है कि भूमिस्वामी द्वारा प्रज्ञापना प्रस्तुत करने के ६० दिन के भीतर यदि भूमिस्वामी को उसके द्वारा भरे गए चालान की राशि में यदि कोई अंतर नजर आता है तो वह विभाग को सूचना देगा। यदि चालान की राशि कम हो तो दोबारा से डिफरेंस राशि जमा करना होगी। यदि राशि अधिक जमा हो गई है या किसी विशेष परिस्थितियों में भूमिस्वामी का डायवर्सन नहीं किया जा सकता है तो राशि वापस की जाएगी।