भैंसदेही में टे्रनी पटवारी भीमराव कास्लेकर का दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी होने की शिकायत हुई थी। जिसके बाद प्रमाण पत्र की जांच की गई। जिला अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से प्रमाण पत्र बनाए जाने की वजह से भैंसदेही एसडीएम राकेश सिंह मरकाम द्वारा इसकी जांच के लिए जिला अस्पताल के सीएस को लिखा था। जांच में पटवारी का प्रमाण पत्र फर्जी निकला है। प्रमाण पत्र फर्जी होने से अब पटवारी फरार हो गया है। पटवारी ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर ही नौकरी हासिल की थी। पटवारी ने जिला अस्पताल के मेडिकल बोर्ड का जो प्रमाण पत्र दिया था,उसमें डॉक्टरों के हस्ताक्षर फर्जी पाए गए हैं। अब सीएस द्वारा पटवारी पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर को लिखा है
आमला ब्लॉक के ग्राम काठी निवासी पिंटू कालभोर ने बताया कि लगभग दो वर्ष पहले दुर्घटना में घायल होने पर इसका इलाज कराने जिला अस्पताल गया था। अस्पताल में एक्सरा करा रहा था। यहां पर कमलेश कास्लेकर मिला। उसने विकलांग प्रमाण पत्र बनाने की बात कही। प्रमाण पत्र बनाने के लिए २० हजार रुपए मांगे। प्रमाण पत्र बनाने के बाद पैसे देने की बात कही। कमलेश ने लगभग दो माह बाद ५५ प्रतिशत का प्रमाण पत्र बनाकर दिया। प्रमाण पत्र बनने के बाद ग्राम डोब निवासी अपने ही चाचा के लड़के से २० हजार रुपए कमलेश के लिए भिजवाएं। चाचा के लड़के ने उसे २० हजार रुपए दिए। पिंटू ने बताया नौकरी की उम्मीद के चलते प्रमाण पत्र बना लिया था। अब पता चला कि यह प्रमाण पत्र फर्जी है। पैसे भी चले गए प्रमाण पत्र भी फर्जी बन गया। इसकी शिकायत कर कार्रवाई की मांग की जाएगी।
मेडिकल बोर्ड के फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने में जिला अस्पताल के सीएस कार्यालय में जिला हस्तक्षेप केन्द्र के कर्मचारी कमलेश कास्लेकर की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। पिंटू कालभोर के फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने में पिंटू द्वारा कमलेश को २० हजार रुपए देना बताया गया है। पिंटू द्वारा मामले की शिकायत के बाद जांच में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
मेडिकल बोर्ड के फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने के मामले में एक पूरा गिरोह काम कर रहा है। मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र जो बनाए गए हैं,उसमें डॉक्टरों की फर्जी हस्ताक्षर और सील लगी हुई है। पिंटू के प्रमाण पत्र के मामले में ४ अप्रैल २०१६ पहले सर्टिफिकेट जारी किया है। उसके बाद ६ दिसंबर २०१६ को कागज बने हैं। जबकि पहले कागज जारी होते हैं फिर प्रमाण पत्र जारी होता है।
टे्रनी पटवारी का दिव्यांग सर्टिफिकेट फर्जी होने की शिकायत मिली थी। सर्टिफिकेट जिला अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से जारी किया था। जिससे जांच के लिए सीएस को दिया गया है।
राकेश सिंह मरकाम, एसडीएम भैंसदेही।
डॉ एके बारंगा, सीएस जिला अस्पताल बैतूल।
रुपेश मानेकर, सचिव दृष्टिबाधित संघ बैतूल।