मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने जनवरी माह की (एमओडी) मैरिड आर्डर डिस्पैच फरवरी माह में जारी की है। जिसमें सतपुड़ा ताप विद्युत गृह की उत्पादन लागत 6 से 16 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ी है। वहीं बिरसिंहपुर और अमरकंटक पॉवर प्लांट की उत्पादन लागत में सुधार आया है सतपुड़ा के पीएच-टू और पीएच-थ्री की उत्पादन लागत पहले 2.64 पैसे प्रति यूनिट थी जो नई एमओडी में बढक़र 2.70 पैसे प्रति यूनिट हो गई है। इसी तरह पीएच-फोर की उत्पादन लागत 2.25 पैसे से बढक़र 2.41 पैसे प्रति यूनिट जा पहुंची है। बिरसिंहपुर की 500 मेगावाट की उत्पादन लागत पहले 1.97 पैसे प्रति यूनिट थी जो अब 5 पैसे के सुधार के साथ 1.92 पैसे प्रति यूनिट पर आ पहुंची है। वहीं 210-210 मेगावाट की इकाइयों की उत्पादन लागत 2.11 पैसे प्रति यूनिट से घटकर 2.७ पैसे प्रति यूनिट पर आ पहुंची है। अमरकंटक ताप गृह की उत्पादन लागत में भी 2 पैसे प्रति यूनिट का सुधार आया है। 1.49 पैसे से घटकर उत्पादन लागत नई एमओडी में 1.47 पैसे प्रति यूनिट हो गई है। श्रीसिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट से 2.78 पैसे प्रति यूनिट की दर से विद्युत उत्पादन हो रहा है। दरअसल इन प्लांटों को समीप की खदानों से कोयला आपूर्ति ज्यादा हुआ है। जबकि सतपुड़ा को एसईसीएल से कोयला आपूर्ति होने से उत्पादन लागत बढ़ी है।
कोयला संकट से जूझ रहे सतपुड़ा के लिए राहत भरी खबर है। सतपुड़ा के यार्डों में स्टॉक बढक़र 1 लाख 26 हजार मीट्रिक टन के पार पहुंच गया है। वजह क्षमतानुरूप कायेला मिलना और तकनीकी कारणों से कोई न कोई विद्युत इकाई का बंद रहना है। रबि के सीजन में हालत यह थी कि कोल साल्टेज के चलते एक इकाई को लगातार बंद और बाकी इकाइयों को क्षमता से कम लोड पर चलाना पड़ रहा था। लेकिन इन दिनों क्षमतानुरूप कोयला मिलने से स्टॉक बढ़ रहा है। फिलहाल पांच इकाइयों में 15 हजार 500 मीट्रिक टन कोयले की खपत हो रही है।
बिजली की मांग में कमी आई है। सभी इकाइयां बेकिंग डाउन पर चलाई जा रही है। कोल स्टॉक 1 लाख 26 हजार मीट्रिक टन के आसपास है।
अमित बंसोड़, पीआरओ, सतपुड़ा, सारनी।