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मध्य प्रदेश / जंगल में मिले विचित्र जीव, छिपकली और दुर्लभ गिलहरी देख आप भी हो जाएंगे हैरान

locationबेतुलPublished: Jun 05, 2020 06:34:09 pm

Submitted by:

Manish Gite

सतपुड़ा के घने जंगलों में अनेक दुर्लभ वन्य जीव है जो जैव विविधता के लिए अच्छे संकेत है।

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बैतूल। लॉकडाउन के चलते जब पूरी दुनिया घरों में कैद है ऐसे में वाइल्ड लाइफ खुली हवा में सांस लेने निकल रहे हैं। खास बात यह है कि जंगलों में लोगों की आवाजाही कम होने से वन्य जीवों को भी बड़ी राहत मिली है। ऐसे में कई दुर्लभ प्रजाति के जीव भी नजर आने लगे हैं। सतपुड़ा का जंगल इन दिनों ऐसे ही जीवों को बाहर ला रहा है, जो लोगों की हमेशा से ही जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं।


विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वन्य जीवों और प्रकृति के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले सारनी निवासी आदिल खान ने पत्रिका से विशेष चर्चा में बताया कि सतपुड़ा के घने जंगलों में अनेक दुर्लभ वन्य जीव है जो जैव विविधता के लिए अच्छे संकेत है। उन्होंने बताया यहां दुर्लभ छिपकली जिसे ‘सतपुड़ा लियोपर्ड गेको’ के नाम से जानते हैं।

एल्बीनो कोबरा, दुर्लभ गिल्हरी और अनेक प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं।इनकी मौजूदगी जैव विविधता के लिए जरूरी है।उन्होंने बताया सतपुड़ा लियोपर्ड गेकोमप्र और छत्तीसगढ़ में पाई जाती है। इनकी मौजूदगी सतपुड़ा के जंगलों में अधिक है।यह रात के समय एक्टिव रहती है। कीड़े मकोड़े इनका मुख्य भोजन है। यह छिपकली बेहद आकर्षक होती है। खतरा महसूस होने पर यह तेजी से भाग जाती है या तेज आवाज़ निकालती है। सुनसान इलाके में इनकी आवाज किसी को भी हैरान कर सकती है। यह छिपकली लगभग 20 सेंटीमीटर तक बड़ी हो सकती है। बारिश के शुरुआती दिनों में सारनी शहर के जंगलों के पास के रिहायशी इलाकों में भी यह देखी जा सकती है। खासबात यह है कि यह छिपकली विषहीन होती है और इंसानों को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाती।

 

उड़ने वाली दुर्लभ गिलहरी
सारनी के जंगलों में उडऩे वाली गिलहरी भी देखी गई है। आदिल द्वारा इसकी कुछ तस्वीरें भी अपने कैमरे में कैद की है।यह गिलहरी भी दुर्लभ है। इसेघने जंगलों में ही देखा जा सकता है।आदिल ने बताया यह गिलहरी एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगा कर गलाइड करती है।इसलिए ये घने जंगल वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। यह निशाचर प्राणी है।पहले सारनी के रिहायशी इलाकों में घने व बड़े पेड़ों पर इनकी मौजूदगी अच्छी खासी संख्या में हुआ करती थी। लेकिन पेड़ों की अधिक कटाई के चलते इन्हें रिहायशी इलाकों में देखना अब मुश्किल हो गया है। सारनी क्षेत्र के लोग इन्हें उडऩे वाली बिल्ली नाम से जानते हैं। जबकि वास्तव में यह उडऩे वाली गिलहरी है।

 

मिला वाइल्ड एनिमल एंड नेचर रेस्क्यू सोसाइटी से सम्मान
कोविड-19 कोरोना वायरस के चलते भारत सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन में की अवधि में भी वन्य जीवों का संरक्षण करने पर आदिल खान को कोरोना योद्धा के सम्मान से सम्मानित किया गया।आदिल के द्वारा लगातार सांपों को रेस्क्यू कर जंगल में छोड़े जाते हैं। इसके अलावा पर्यावरण और जीव रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया जाता है।इसके लिए सारनी निवासी आदिल खान को राजस्थान की “वाइल्ड एनिमल एंड नेचर रेस्क्यू सोसाइटी” ने कोरोना योद्धा सम्मान पत्र से सम्मानित किया। इस पर खुशी व्यक्त करते हुए आदिल ने कहा इस तरह के सम्मान से लगातार बेहतर तरीके से कार्य करने का होसला बढ़ता है।

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