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पढ़े, किसानों तक पहुंचने से पहले कैसे बीज हो गया फेल

locationबेतुलPublished: Jun 27, 2019 08:32:17 pm

Submitted by:

ghanshyam rathor

प्री मानसून की जिले में दस्तक के साथ ही खरीफ की बोवनी शुरू हो चुकी हैं लेकिन किसानों तक पहुंचने से पहले ही सरकारी बीज प्रयोगशाला की जांच में फेल(अमानक)हो गया है। जबकि बीज प्रमाणिकरण संस्था भोपाल द्वारा परीक्षण कर इन बीजों को पास किया गया था।

Seed

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बैतूल। प्री मानसून की जिले में दस्तक के साथ ही खरीफ की बोवनी शुरू हो चुकी हैं लेकिन किसानों तक पहुंचने से पहले ही सरकारी बीज प्रयोगशाला की जांच में फेल(अमानक)हो गया है। जबकि बीज प्रमाणिकरण संस्था भोपाल द्वारा परीक्षण कर इन बीजों को पास किया गया था। कृषि विभाग ने बीस दिन बाद जब प्रमाणिकरण बीज को पुन: जांच के लिए कृषि विभाग की प्रयोगशाला में भेजा तो बीज के नमूने फेल हो गए। जिससे बीज की गुणवत्ता संदेह के दायरे में आ गई है। बीज के नमूने फेल होने के बाद कृषि उपसंचालक ने बीज के विक्रय को प्रतिबंधित कर विक्रेताओं को शोकाज नोटिस जारी किए हैं। फेल हुए बीज के लॉट की कुल मात्रा तीन हजार किलो के आसपास बताई जाती है। बताया गया कि अभी सौ बीज के सेम्पलों की जांच रिपोर्ट आना बाकी है। इसलिए अमानक बीज की मात्रा बढ़ सकती है।
सोयाबीन एवं मक्के के चार सेम्पल हुए फेल
कृषि विभाग द्वारा जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे गए सोयाबीन एवं मक्के के चार सेम्पल फेल हो गए हैं। सुंदरम इंटरप्राईजेस बैतूल से सोयाबीन बीज के दो सेम्पल लिए गए थे। इसके अलावा रितेश कृषि सेवा केंद्र खेड़लीबाजार और सत्यम बीज भंडारण चिचोली से मक्के का एक-एक सेम्पल उठाया गया था। जो प्रयोगशाला में जांच के दौरान फेल हो गया है। सुंदरम इंटरप्राईजेस के फेल बीजे सेम्पल के लॉट की कुल मात्रा २५ क्विंटल, रितेश कृषि सेवा केंद्र के १४० किलो एवं सत्यम बीज भंडार के ३०० किलो बताई जाती है। इस प्रकार कुल २ हजार ९४० किलो के आसपास बीज फेल हुआ है। जिसके बाद कृषि उपंसचालक ने बीज के विक्रय पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और बीज विक्रेता को शोकाज नोटिस जारी किया गया है। उल्लेखनीय हो कि पिछले साल भी बीज के आठ से दस सेम्पल फेल हुए थे।
बीज प्रमाणिकर संस्था ने किया था सेम्पल पास
बीज प्रमाणिकर संस्था भोपाल में हैं। जहां बीज उत्पादकों द्वारा सेम्पल जांच के लिए भेजा जाता है। संस्था से पास होने (मानक सिद्ध)के बाद बीज का लॉट आता है। इसके बाद बीज उत्पादक संस्था बीज की पैकिंग करती है और बीज की सप्लाई कृषि विभाग को कर देती है। इस प्रक्रिया के बाद कृषि विभाग द्वारा पुन: नमूना लिया जाता है और उसे परीक्षण के लिए कृषि विभाग की प्रयोगशाला में भेजा जाता है,लेकिन बीज प्रमाणिकरण संस्था द्वारा परीक्षण कर पास किया गया बीज बीस दिन बाद ही कृषि विभाग की प्रयोगशाला में फेल (अमानक) हो जाता है। यह प्रक्रिया समझ से परे है और संदेह के दायरे में भी आती है। हालांकि बीज फेल होने के पीछे कृषि विभाग कई कारण गिनाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि बगैर ग्रेडिंग और जांच किए ही बीज बाजार में खपा दिया जाता है।अमानक बीज होने की वजह से उत्पादन पर असर पड़ता है।
सरकारी बीज भी भरोसे के लायक नहीं
किसानों को सोसायटियों के माध्यम से जो बीज उपलब्ध कराया जा रहा है वह भी भरोसे के लायक है या नहीं इसे लेकर भी संदेह है, क्योंकि बीज के जो नमूने कृषि विभाग द्वारा जांच के लिए प्रयोगशालाओं में भेजे गए हैं उनमें से अधिकांश की रिपोर्ट अभी आना बाकी है। जिन नमूनों की रिपोर्ट आई है उनमें से चार फेल हो चुके हैं। बताया गया कि कृषि विभाग द्वारा जिले के दसों विकासखंडों में स्थित एसडीओ कार्यालय से सोयाबीन एवं मक्का बीज के सेम्पल जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। कुल १७० सेम्पल जांच के लिए भेजे गए हैं। इसी प्रकार खाद के ५८ नमूने भेजे गए है। बीज के ६० सेम्पलों की रिपोर्ट आ चुकी हैं लेकिन खाद के नमूनों की रिपोर्ट आना अभी बाकी बताई जाती है।
किसानों को थमा रहे दो नंबर का माल
वाणिज्यकर विभाग की माने तो खाद पर टैक्स सरकार द्वारा वसूला जाता है। जबकि बीज और शीड्स को सरकार ने टैक्स फ्री कर रखा है। अब सवाल यह उठता है कि जब बीज और शीड्स टैक्स फ्री है तो फिर दुकानदार किसान को पक्का बिल क्यों नहीं देता है। दरअसल में दुकानदार को साल भर में बेचे गए उत्पादक से होने वाली आमदनी की विवरणी (लेखा-जोखा) वाणिज्यकर विभाग को प्रस्तुत करना पड़ता है। विभाग उसी आधार पर टैक्स की कटौत्री करता है। जिस सामान का पक्का बिल नहीं दिया जाता, वह दो नंबर का माना जाता है और इससे होने वाला मुनाफा सीधे दुकानदार की जेब में जाता है। इसलिए पक्का बिल देने से परहेज किया जाता है। वहीं खाद के मामले में भी यही स्थिति है। बिल न देकर टैक्स की चोरी की जाती है।
इनका कहना
– बीज के १७० नमूने कृषि विभाग द्वारा जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। कुछ की जांच रिपोर्ट आ चुकी हैं। सोयाबीन एवं मक्के के कुल चार नमूने फेल हुए है। जिसके बाद इसके विक्रय को प्रतिबंधित कर दुकानदारों को शोकाज नोटिस जारी किया गया है। जांच दल खाद बीज की गुणवत्ता पर नजर रखे हुए हैं।
– केपी भगत, उपसंचालक कृषि बैतूल।
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