सतपुड़ा का लेबल 1429.50 फीट पर पहुंचा
बेतुलPublished: Jul 11, 2018 11:25:11 am
आधा फीट पानी बढऩे पर खोले जाएंगे गेट, १५ से २३ जुलाई तक डेम का लेबल १४३० फीट तय किया
सतपुड़ा का लेबल 1429.50 फीट पर पहुंचा
सारनी. तवा नदी पर बने सतपुड़ा जलाशय का लेबल दिनों दिन बढ़ रहा है। इस सीजन में 1425.45 फीट से लेबल बढ़कर 1429.50 फीट पर पहुंच गया है। अब जलस्तर बढ़ा तो गेट खोलकर तवा नदी में पानी छोड़कर जलाशय का लेबल मेंटेंन किया जाएगा। दरअसल 15 से 23 जुलाई के बीच डेम का लेबल 1430 फीट निश्चित किया गया है। यानी की अब आधा फीट भी जलाशय में पानी बढ़ा तो गेट खुलना तय है। इसकी संपूर्ण तैयारी पॉवर हाउस प्रबंधन द्वारा पहले ही कर ली गई है। तीन ओर से सतपुड़ा की पहाडिय़ों के बीच 2889 एकड़ क्षेत्रफल में फैले जलाशय का पानी 14 गेटों के जरिए रोका गया है। बरसात के दिनों में जलाशय का लेबल 1430 फीट से मेंटेंन किया जाता है जो बारिश के आखिरी दिनों में 1433 फीट पर लेबल मेंटेंन कर दिया जाता है। जलाशय के पानी का उपयोग औद्योगिक नगरी और सतपुड़ा पॉवर हाउस प्रबंधन के लिए किया जाता है। एसएन मेहता चेयरमेन मप्र इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड द्वारा 11 अक्टूबर 1964 को जलाशय के नींव का पत्थर रखा गया था।
156 मिलीमीटर बारिश दर्ज : क्षेत्र में अब तक 156 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई है। जिसमें पिछले 24 घंटे में हुई 8 एमएम बारिश दर्ज है। सीजन में सामान्य वर्षा 1500 मिलीमीटर है। सतपुड़ा जलाशय भरने की मुख्य वजह सारनी क्षेत्र में हुई बरसात नहीं है। बल्कि सतपुड़ा डैम के ऊपरी हिस्से यानी बैतूल-छिन्दवाड़ा जिले के सीमा क्षेत्र में हुई बरसात है। पहाड़ी नदी, नालों का सीधा पानी सतपुड़ा जलाशय में पहुंचता है। यही वजह है अल्पवर्षा में ही जलाशय का लेबल बढ़ गया। हालांकि जलाशय में राख, कचरा और पहाड़ी क्षेत्र की मिट्टी भी भारी मात्रा में एकत्रित हो गई है।
बेरोक-टोक पकड़ रहे मछली- 15 जून से 15 अगस्त तक मत्स्याखेट पर प्रतिबंध है। बावजूद इसके सतपुड़ा जलाशय से रोजाना सैकड़ों क्विंटल मछली पकड़कर क्षेत्र और बड़े शहरों में बेची जा रही है। जलाशय में इन दिनों 2 से लेकर 20 किलो ग्राम तक मछली पकड़ी जा रही है। बताया जा रहा है कि मछली में अपने वजन से दोगुना अंडे होते हैं। दो माह मछली का प्रजननकाल चलता है। इस वजह से शासन द्वारा इन दिनों में मत्स्याखेट पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया जाता है। फिर भी सतपुड़ा डेम में जाल डालकर नाव से मछली पकडऩे का सिलसिला जारी है। दरअसल बीते दो साल से सतपुड़ा जलाशय की देखरेख सिविल विभाग के हाथों में हैं।