छोटे महादेव को लेकर मान्यता है कि भगवान भोले शंकर ने सबसे पहले पचमढ़ी में साधना की इसके उपरांत भोपाली की पावन गुफा मे तपस्या की थी। इस तपस्थली की गुफा में पवित्र जलधारा प्रवाहित होती है।
बीमारियों से निजात दिलाता है
रानीपुर निवासी रविशंकर पारखे ने बताया कि इस जल का बड़ा महत्व है जो रोग व बीमारियों से निजात दिलाता है। फसलों पर यदि कोई बीमारी आती है तो इस पावन स्थली से जल ले जाकर किसान अपने खेतों में छिड़काव करते हैं। जिससे लाभ होता है। भगवान भोले नाथ के दर्शन करने व अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए दूर-दूर से लोग बैलगाड़ी, साइकिल,मोटरसाइकिल जीप,बस और ट्रैक्टर आदि से पहुंचते हैं। रात भर रुकते भी है।
प्रतिमा भी स्थापित की गई
यहां की देनवा नदी जो सूख जाती है जिसमें मेले के समय पानी आ जाता है, यह भी लोंगो के लिए आश्चर्य से कम नहीं है। यहां पावन मनोकामना सिद्ध मंदिर भी हैं।महान संत योगी भूरा भगत जी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
अन्य प्रदेशों से आते हैं श्रद्धालु
इस पावन स्थल पर मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के भक्त आते हैं। हर भोला हर हर महादेव का जयघोष लगाते हुए यात्रा करते हैं। श्रावण मास व अन्य त्योहारों पर भगवान भोले के दरबार में हजारों श्रद्धालु दर्शन कर अपने जीवन को धन्य बनाते हैं। भगवान शंकर को त्रिशूल चढ़ाते हैं। आदिवासी भी अपनी परंपरा के अनुसार यहां पर पूजन के लिए पहुंचते हैं।
शिवरात्रि पर लगता है विशाल मेला
महाशिवरात्रि पर भोपाली स्थित छोटे महादेव में विशाल मेला लगता है। भगवान भोले शंकर के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे समाजसेवी संगठनों द्वारा यहां पर आयोजित किए जाते हैं। जिससे दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को खाने-पीने की भी समस्या नहीं रहती है। मेले में बड़ी-बड़ी दुकाने आती है। कीमती सामान भी आता है। जसामान खरीदने के लिए क्षेत्र के लोगों को इस मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है।