scriptएसईसीएल के कोयले ने बढ़ाई लागत, महंगा हुआ बिजली उत्पादन | SECL's coal increased cost, costlier electricity generation | Patrika News

एसईसीएल के कोयले ने बढ़ाई लागत, महंगा हुआ बिजली उत्पादन

locationबेतुलPublished: Jan 15, 2019 10:47:24 pm

Submitted by:

pradeep sahu

पुरानी इकाइयों की उत्पादन लागत दिसंबर माह में 2.58 पैसे थी अब 2.64 पैसे हो गई

पुरानी इकाइयों की उत्पादन लागत

पुरानी इकाइयों की उत्पादन लागत

सारनी. मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने दिसंबर माह की मैरिड आर्डर डिस्पैच (एमओडी) जनवरी माह में जारी की है। इसमें सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी की 3 से 6 पैसे प्रति यूनिट और श्रीसिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट खंडवा में 8 से 15 पैसे प्रति यूनिट विद्युत उत्पादन लागत बढ़ी है। इसकी मुख्य वजह कोयले के दाम बढऩा है। दरअसल दोनों प्लांटों को डब्ल्यूसीएल के बजाय एसईसीएल की खदानों से ज्यादा कोयला आपूर्ति हुआ है और इस कोयले का परिवहन भाड़ा अधिक है। इस वजह से उत्पादन लागत बढ़ी है। वहीं बिरसिंहपुर और अमरकंटक ताप विद्युत गृह की विद्युत उत्पादन लागत में एक पैसे प्रति यूनिट सुधार आया है। सतपुड़ा की पुरानी इकाइयों की उत्पादन लागत दिसंबर माह में 2.58 पैसे थी जो अब 2.64 पैसे हो गई है। वहीं नई इकाई की उत्पादन लागत 2.22 से बढ़कर 2.25 पैसे प्रति यूनिट हो गई है। इसी तरह खंडवा की 600-600 मेगावाट की उत्पादन लागत 2.68 पैसे से बढ़कर 2.76 पैसे प्रति यूनिट हो गई है। वहीं 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल यूनिट की उत्पादन लागत 2.40 पैसे से बढ़कर 2.55 पैसे प्रति यूनिट हो गई है।
नहीं मिल रहा खपत के अनुरूप कोयला – सतपुड़ा ताप विद्युत गृह में 53 हजार मीट्रिक टन कोल स्टॉक है। यहां रोजाना खपत 19 हजार मीट्रिक टन के आसपास है। जबकि रेलवे, रोडसेल और कन्वेयर बेल्ट लाइन के जरिए ताप गृह में महज 12 से 15 हजार मीट्रिक टन कोयला रोजाना पहुंच रहा है। खपत के अनुरूप कोयला नहीं मिलने से स्टॉक में लगातार कमी आ रही है। कोयला संकट के चलते लंबे समय तक एक इकाई बंद भी रखी गई। बावजूद इसके सतपुड़ा से कोयला संकट दूर नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि अब तक सतपुड़ा को 6 रैक से अधिक विदेशी कोयला भी मिला है। 50 हजार मीट्रिक टन विदेशी कोयला आयात होना है।
घटने लगी डिमांड – प्रदेश में बिजली की मांग ने इस साल नए रिकार्ड बनाए हैं। जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में अधिकतम 14 हजार 90 मेगावाट बिजली की मांग रही है। इसके बाद से ही बिजली की मांग में कमी आने लगी है। इन दिनों 13 हजार 500 मेगावाट के आसपास डिमांड रह रही है। जिसे पूरा करने में मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के अलावा हाइड्रल, निजी और सेंट्रल की मदद ली जा रही है। सतपुड़ा की पांच इकाइयों से फिलहाल विद्युत उत्पादन हो रहा है।
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