scriptमोटरसाइकिल से कर रहे थे सागौन की तस्करी | Teak was smuggled in a motorcycle | Patrika News

मोटरसाइकिल से कर रहे थे सागौन की तस्करी

locationबेतुलPublished: Sep 21, 2020 09:46:12 pm

Submitted by:

Devendra Karande

रात्रि गश्ती के दौरान चिचोली वन परिक्षेत्र अधिकारी के नेतृत्व में भीमपुर खामापुर मार्ग पर दो मोटरसाइकिल से अवैध रूप से सागौन की चरपट परिवहन करते हुए पकड़ा है। वन विभाग की कार्रवाई में सागौन चरपट और मोटरसाइकिल जब्त की गई है।

मोटरसाइकिल में सागौन चरपट सहित पकड़े गए आरोपी

Accused caught in a motorcycle with teak chapat

चिचोली। रात्रि गश्ती के दौरान चिचोली वन परिक्षेत्र अधिकारी के नेतृत्व में भीमपुर खामापुर मार्ग पर दो मोटरसाइकिल से अवैध रूप से सागौन की चरपट परिवहन करते हुए पकड़ा है। वन विभाग की कार्रवाई में सागौन चरपट और मोटरसाइकिल जब्त की गई है। बताया गया कि पश्चिम मंडल के चिचोली रेंज के वन परिक्षेत्र अधिकारी के नेतृत्व में गश्ती के दौरान खामापुर से भीमपुर मार्ग पर तुकाराम पिता गोंडे, सनी पिता सुखराम हरिराम पिता गोंडे सिंह एवं संजू वाडीवा द्वारा दो मोटरसाइकिल से सागौन की अवैध रूप से परिवहन करते हुए पकड़ा गया है। आरोपी द्वारा मोटरसाइकिल से आठ नग सागौन चरपट परिवहन किया जा रहा था। इन आरोपियों पर वन विनियम की धारा के तहत कार्यवाही की गई है। मोटरसाइकिलों को चिचोली रेंज कार्यालय जमा कराया गया है। विभाग की इस कार्रवाई में रमेश रावत, सुमीत रेगी, कुंवर लाल मालेवार का विशेष सहयोग रहा।
रेंजर हैं डेंजर ग्रामीणों के बकरे और मुर्गे उठा लेते हैं
बैतूल। नाकेदार और रेंजर वनों में रहने वाले आदिवासी और ग्रामीणों पर अन्याय करते हैं। जबरदस्ती उनके बकरे-बकरी और मुर्गा-मुर्गी उठा लेते हैं। उन्हें प्रताडि़त करते हैं। रेंजर डेंंजर हैं। ऐसा मुख् यमंत्री ने अपने जीवन के किसी वृतांत से उद्धरित किया। १९ सितंबर को मनाए गए वन अधिकार उत्सव के दौरान भोपाल में मुख् यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कही है। इस बात से वनकर्मी काफी दुखी है। स्टेट फॉरेस्ट रेंजर आफिसर्स(राजपत्रित)एसोसिएशन ने इसका विरोध जताया है।
स्टेट फॉरेस्ट रेंजर आफिसर्स(राजपत्रित)एसोसिएशन के अध्याक्ष वीरेन्द्र कुमार ने मु यमंत्री द्वारा दिए गए इस वक्तव्य का आधार पूछा है और स्पष्ट करने के लिए कहा है। इस तरह की घटनाएं कहां हो रही है। १५ वर्ष से शिवराजसिंह चौहान मु यमंत्री पद पर बने हुए हैं और फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। मु यमंत्री के इस तरह के वक्तव्य से समाज और विशेषकर आदिवासियों के मन में वन कर्मचारियों के प्रति नफरत की भावना पैदा होगी। कर्मचारी ग्रामीणों के बीच उपेक्षित महसूस करेंगे। जिससे वनों की सुरक्षा भी प्रभावित होगी। वन कर्मचारी हर मौसम में अपने परिवार से अलग रहकर कम वेतन और सुविधाओं के अभाव में वनों की सुरक्षा करता है। वर्तमान में प्रदेश स्तर पर अपात्र दावेदारों को पुन: परीक्षण कर पात्र कर वनाधिकार की मुहिम चलाई गई है। इसके बाद वनों में अतिक्रमण की घटनाएं बढ़ गई है। कई वनकर्मियों पर हमले हुए हैं। शासन स्तर से घटनाओं को रोकने कोई सहयोग नहीं किया और ऊपर से मु यमंत्री रेंजर और डेंजर व बकरा व मुर्गे ले जाने वाला बता रहे हैं। मुख् यमंत्री के इस वक्तव्य से रेंजर और वनकर्मी दुखी है।
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