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मप्र के इतिहास में 26 दिसंबर को सर्वोच्च बिजली की मांग, जानने के लिए पढ़े ये खबर

locationबेतुलPublished: Dec 27, 2018 01:02:56 pm

Submitted by:

pradeep sahu

26 दिसंबर को प्रदेश के इतिहास में सर्वोच्च बिजली की मांग 13 हजार 705 मेगावाट दर्ज की

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मप्र के इतिहास में 26 दिसंबर को सर्वोच्च बिजली की मांग 13, 705 मेगावाट रही

सारनी. कोयला संकट से जूझ रहे मप्र में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। 26 दिसंबर को प्रदेश के इतिहास में सर्वोच्च बिजली की मांग 13 हजार 705 मेगावाट दर्ज की गई है। इससे पहले कभी भी मप्र में इतनी डिमांड नहीं रही। ठंड से जैसे-जैसे प्रदेश ठिठुर रहा है। वैसे-वैसे बिजली की मांग बढ़ रही है। वर्ष 2017 में 26 दिसंबर को 12 हजार 35 मेगावाट बिजली की मांग थी। जबकि 2018 में 26 दिसंबर को 13 हजार 705 मेगावाट बिजली की मांग दर्ज की गई जो बीते वर्ष की तुलना में 1730 मेगावाट अधिक है। बिजली की मांग पूरी करने में कोयला संकट बाधा बन रहा है। थर्मल और हाइड्रल प्लांटों से बुधवार को 5 हजार मेगावाट के आसपास विद्युत उत्पादन हुआ। जबकि बाकी जरूरत सेंट्रल और निजी बिजली घरों से पूरी की जा रही है। बुधवार को प्रदेश के चारों थर्मल पॉवर प्लांटों में 1 लाख 59 हजार मीट्रिक टन कोल स्टॉक रहा। यह स्टॉक महज डेढ़ दिन बिजली घर चलाने में सहायक है।
कोयला संकट से जूझ रहे पॉवर प्लांट
प्रदेश के सभी थर्मल पॉवर प्लांट कोयला संकट से जूझ रहे हैं। प्रमुख तीनों प्लांटों में महज एक से डेढ़ दिन का कोल स्टॉक है। यही वजह है कि सभी विद्युत इकाइयों को सुबह के समय पूरी क्षमता और दोपहर बाद से कम लोड पर चलाया जा रहा है। ताकि कोयले की खपत कम हो और प्लांट चलते रहे। यदि सभी प्लांटों को क्षमतानुरूप चलाया जाए तो कोयले की कमी से विद्युत इकाइयां बंद करने की नौबत आने से इंकार नहीं कर सकते। तीनों प्रमुख प्लांटों में कोयले की स्थिति चिंताजनक है। सिंगाजी पॉवर प्लांट में तो सिर्फ एक ही दिन का कोल स्टॉक है।
लगातार बंद है एक इकाई
कोयले की कमी के चलते सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी की 200 या 210 मेगावाट की एक इकाई लगातार बंद रखी जा रही है। यह इकाई एक-दो नहीं। बल्कि बीते कई महीनों से बंद रखी जा रही है। इससे सतपुड़ा के विद्युत उत्पादन लगातार प्रभावित हो रहा है। बावजूद इसके कोयला संकट की वजह से इकाई चालू नहीं की जा रही। बुधवार को सतपुड़ा की 6, 8, 9 नंबर इकाई को 150-150 मेगावाट और 10-11 नंबर इकाई को 165-165 मेगावाट के लोड पर चलाया गया। यानी की सभी इकाइयां क्षमता से कम लोड पर चलाई जा रही है। इन इकाइयों में फिलहाल 15 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हो रही है। जबकि पूरी क्षमता से चलाने पर 19 हजार मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता पड़ेगी।
इस तरह बढ़ी डिमांड
दिनांक – डिमांड (2018) डिमांड (2017)
22 दिसं. – 13, 264 – 11, 809
23 दिसं. – 13, 284 – 12, 008
24 दिसं. – 13, 640 – 11, 925
25 दिसं. – 13, 642 – 12, 041
26 दिसं. – 13, 705 – 12, 035
(नोट :- वर्ष 2017-18 में 22 से 26 दिसंबर के बीच बिजली की मांग मेगावाट में इस तरह रही।)
मप्र के बिजली घरों में कोल स्टॉक और विद्युत उत्पादन –
प्लांट – उत्पादन – क्षमता – स्टॉक
सतपुड़ा – 864 – 1330 – 36,000
बिरसिंहपुर – 1039 – 1340 – 37,000
सिंगाजी – 1168 – 1860 – 35,000
अमरकंटक- 216 – 210 – 51,000
(नोट :- बिजली उत्पादन, क्षमता मेगावाट में हैं। कोल स्टॉक मीट्रिक टन में हैं।)
इनका कहना –
क्रिटिकल कोल की वजह से 7 नंबर इकाई बंद है। सतपुड़ा से 864 मेगावाट के आसपास बिजली उत्पादन हो रहा है। कोल स्टॉक 36 हजार मीट्रिक टन के करीब है। विदेशी कोयले की अब तक तीन रैक आई है।
अमित बंसोड़, पीआरओ, सतपुड़ा ताप गृह, सारनी।
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