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सडक़ों एवं कॉलोनियों में पड़ी अमानक पॉलिथीन सरकार के आदेश को दिखा रही ठेंगा

locationबेतुलPublished: Jul 05, 2023 09:05:05 pm

Submitted by:

rakesh malviya

- प्रतिबंध के बाद शहर में धड़ल्ले से हो रहा सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग

सडक़ों एवं कॉलोनियों में पड़ी अमानक पॉलिथीन सरकार के आदेश को दिखा रही ठेंगा
हरदा. शहर के विवेकानंद कॉम्पलेक्स परिसर में घरों में उपयोग कर फेंकी गई अमानक पॉलिथीन। ,हरदा. शहर के विवेकानंद कॉम्पलेक्स परिसर में घरों में उपयोग कर फेंकी गई अमानक पॉलिथीन। ,हरदा. शहर के विवेकानंद कॉम्पलेक्स परिसर में घरों में उपयोग कर फेंकी गई अमानक पॉलिथीन। ,हरदा. शहर के विवेकानंद कॉम्पलेक्स परिसर में घरों में उपयोग कर फेंकी गई अमानक पॉलिथीन। ,हरदा. शहर के विवेकानंद कॉम्पलेक्स परिसर में घरों में उपयोग कर फेंकी गई अमानक पॉलिथीन।
हरदा. सुप्रीम कोर्ट और सरकार के आदेश के बाद भी शहर में अमानक पॉलिथीन के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लग पाया है। प्लास्टिक वेस्ट (मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग) रुल्स 2011 को लागू कराने के लिए कोई भी गंभीर नहीं है। यही कारण है कि शहर में अमानक पॉलीथिन का खुलकर उपयोग किया जा रहा है। यह पॉलिथीन शहर की कॉलोनियों, बाजारों एवं नाले-नालियों में फेंकी जा रही है, जिससे पशुओं के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। मगर नगर पालिका इसके उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगा पा रही है। रोजाना शहर से करीब एक क्विंटल खतरनाक पॉलिथीन निकल रही है।
पर्यावरण के साथ पशुओं के लिए भी घातक
जानकारी के मुताबिक सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के साथ पशुओं के लिए भी घातक है। हर साल पॉलिथीन के खाने से पशुओं की मौत होती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार 40 माइक्रोन से कम की पॉलिथिन पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह कभी नष्ट नहीं होती और ना ही जलाने व मिट्टी में दबाने से होती है। शहर में खुलेआम खाने-पीने की चीजों से लेकर फल, सब्जी व अन्य सामानों को देने में दुकानों पर सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है। इसके बाद लोग इन्हें कचरे एवं खाद्य सामग्रियों के साथ फेंकते हैं। मवेशी खाद्य सामग्रियों के साथ पॉलिथीन को भी खा जाते हैं, जो उनकी मौत का कारण भी बन रही है। लेकिन इसके बावजूद लोग अथवा जिम्मेदार इनके उपयोग पर रोक लगाने को लेकर जागरुक नहीं हैं।
कचरे के साथ सिंगल यूज प्लास्टिक भी निकल रही
शहर की आबादी करीब 80 हजार से अधिक की है। प्रतिदिन घरों एवं बाजारों से करीब 20 टन गीला और सूखा कचरा निकल रहा है। इसमें हर घर से करीब दो से पांच सिंगल यूज पॉलिथीन निकलती हैं। इस तरह पूरे शहर से प्रतिदिन करीब एक क्विंटल अमानक पॉलिथीन निकल रही है। कई लोग घरों के आसपास खाली प्लॉटों, सडक़ों एवं नालियों में फेंकते हैं, वहीं नपा को भी कचरे में बड़ी मात्रा में सिंगल यूज पॉलिथीन मिलती है, जिन्हें वे मुक्तिधाम के सामने ट्रेचिंग ग्राउंड पर फेंक रहे हैं। यहां भी दिनभर मवेशी कचरे को खाते दिखाई देते हैं।
औपचारिक रूप से चलता है जब्ती का अभियान
सरकार ने सिंगल यूज पॉलीथिन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है, मगर शहर में यह प्रतिबंध शहर में लागू नहीं दिखाई देता। जिले में रोजाना लगभग 4 लाख रुपए की अमानक पॉलिथीन और प्लास्टिक, डिस्पोजल का विक्रय हो रहा है। वहीं हर महीने नपा के कर्मचारी दुकानों पर जाकर कुछ अमानक पॉलिथीन की जब्ती कर औपचारिकता कर रहे हैं। साथ ही वे इन पॉलिथन में सामान नहीं देने का अल्टीमेटम दे रहे हैं। किंतु नतीजा सिफर ही दिख रहा है। आज भी शहर की सडक़ों, गलियों, नालियों और खाली मैदानों में पड़ी पॉलीथिन प्रतिबंध को ठेंगा दिखा रही हैं।
इनका कहना है
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नपा के कर्मचारी मिलकर शहर में अमानक पॉलिथीन का उपयोग करने वालों पर कार्रवाई करते रहते हैं। अब फिर से सिंगल यूज प्लॉस्टिक के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।
ज्ञानेंद्र कुमार यादव, सीएमओ, नपा, हरदा
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