The snake was brought to the hospital by closing it in the
बैतूल। सांप के डंसने को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां है। लोग सांप को पकड़कर रख लेते हैं। ऐसा ही एक मामला सांईखेड़ा थाना थाना क्षेत्र के ग्राम उमनबेहरा में सामने आया है। शनिवार वृद्धा के पैर में सांप लिपट गया। डंसने की आंशका मेंं परिवार के लोगों ने सांप को डिब्बे में बंदकर जिला अस्पताल ले आए।
ग्राम उमनबेहरा निवासी झनकू ने बताया कि भाभी कमदी पति वारु ६० वर्ष के पैर में शनिवार शाम को सांप लिपट गया। सांप डंसने की आशंका में कमदी को रात में ११.३० बजे के लगभग जिला अस्पताल लाया गया है। डॉक्टर ने कमदी का इलाज किया और बताया कि सांप ने नहीं डंसा था। दहशत की वजह से तबीयत खराब हो गई थी। वृद्धा का स्वास्थ्य ठीक है। वृद्धा के परिजन डिब्बे में ही सांप को बंद करके जिला अस्पताल लेकर आ गए। झनक ने बताया कि सांप को इसलिए पकड़ा था कि पिछले साल तीन-बार सांप घर में घुस गया था। मवेशियों को डंस लिया,जिससे मौत हो गई थी। इसलिए सांप को पकड़ लिया। इसे भगत को बताऊंगा। भगत का गांव भी इधर ही है, जिससे अस्पताल लेकर आ गया हंू। झनक प्लास्टिक के डिब्बे में सांप बंद करके जिला अस्पताल पहुंचा था।
पहले भी आ चुके मामले
सांप के डंसने के बाद उसे बंधक बनाए जाने के मामले हाल ही में भी सामने आ चुके हैं। भैंसदेही के चोपनीखुर्द में १० जुलाई को सांप ने एक बच्ची को डंस लिया था। बच्ची की मौत हो गई थी। परिजनों ने सांप को पेटी बंधक बना लिया था। इसके पहले भी चिचोली थाना क्षेत्र के धनियाजाम में ८ जून को महिला की मौत हो गई थी। जिसके बाद ग्रामीणों ने सांप के बंधक बना लिया था।
लोगों में हैं मान्यता
सांप के डंसने के बाद लोगों में यह मान्यता है कि इसके पकड़कर निगरानी में रखा जाए। लोगों को डंसने के बाद कई बार सांप की भी मौत हो जाती है। सांप को जिंदा रखते हैं तभी तक सर्पदंश से पीडि़त व्यक्ति भी जिंदा रहता है।
लोगों में हैं अंध विश्वास
इस संंबंध में जिला अस्पताल के डॉ राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि सांप के बांधने से इलाज का कोई संबंध नहीं है। झाडफ़ूंक से कुछ नहीं होता है। विषैली सांप की सिर्फ चार प्रजाति है। इनके डंसने पर मौत होती है। अन्य सांपों में विष नहीं होता है। बिना विष वाले सांपों के डंसने पर जान बच जाती है। जिससे लोगों में इसको लेकर अंध विश्वास बढ़ रहा है।